JAIPUR. राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत चाहते हैं कि पार्टी चुनाव से दो महीने पहले टिकट तय कर दे ताकि प्रत्याशी को तैयारी करने का समय मिल सके। हालांकि कांग्रेस में कामकाज की ढीले रवैये को देखते हुए ऐसा संभव नहीं लगता है, लेकिन ऐसा होता है तो इसके कई असर देखने को मिल सकते हैं। जयपुर में गुरुवार (15 जून) को यूथ कांग्रेस की प्रदेश कार्यकारिणी समिति की बैठक को संबोधित करते हुए सीएम गहलोत ने कहा कि हम चाहते हैं कि दो माह पहले जिनको टिकट मिलना है, उनके नाम तय हो जाएं। इसके लिए हमने पार्टी के इंचार्ज रंधावाजी (सुखजिंदर सिंह रंधावा) को भी कहा है।
थका हुआ नेता क्या तैयारी करेगा
सीएम गहलोत ने कहा कि टिकट तय होते समय नेता दिल्ली की सड़कों के चक्कर लगा कर थक जाते हैं। अब थके हुए नेता को टिकट मिल भी गया तो वह क्या तैयारी करेगा, इसलिए दो माह पहले संबंधित को इशारा कर देना चाहिए ताकि वह बेहतर ढंग से तैयारी कर सके।
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तरीका भी बताया
सीएम ने इसका तरीका भी बताया और कहा कि अभी सर्वे चल रहे हैं और जीतने वाले नेता को ही टिकट मिलना चाहिए। जिस नेता का जनता और कार्यकर्ताओं से ज्यादा संपर्क रहता है, उसके जीतने की संभावना ज्यादा रहती है। ऐसे नेताओं के नाम ही सर्वे में डलवा देने चाहिए। वहीं जिन विधायकों को लगता है कि जीत कर नहीं आ सकते, उन्हें खुद आगे कर बता देना चाहिए और यह भी बताना चाहिए कि किसे टिकट दे सकते हैं।
लेकिन होगा कैसे, अभी तक तो जिला अध्यक्ष भी नहीं है
सीएम गहलोत ने अपनी इच्छा तो जाहिर कर दी है, लेकिन कांग्रेस के कामकाज की गति का आलम यह है कि पार्टी पिछले तीन साल से जिला अध्यक्ष तक नियुक्त नहीं कर पाई है। कुल 39 जिला अध्यक्ष बनने हैं, जिनमें से अभी सिर्फ आठ ही काम कर रहे हैं। वहीं ब्लॉक अध्यक्ष भी हाल में ही नियुक्त किए गए हैं। टिकट तय करने में जिला अध्यक्ष अहम भूमिका निभाते हैं, क्योंकि जो पैनल बन कर जाता है, उसमें जिला अध्यक्ष की राय अहम मानी जाती है। चूंकि जिला अध्यक्ष नहीं हैं, इसलिए जिला कार्यकारिणी भी नहीं है। यानी राजस्थान में प्रदेश स्तर पर पार्टी भले ही दिख रही हो, लेकिन जिला स्तर पर संगठन ही नहीं है।
कहीं गुटबाजी से ध्यान भटकाना तो नहीं है उद्देश्य
कांग्रेस में कामकाज की गति को देखते हुए हालांकि गहलोत के सुझाव पर काम होना मुश्किल लगता है, लेकिन यदि किसी तरह यह कर दिया जाता है, तो इसका बड़ा असर पार्टी की मौजूदा गुटबाजी की स्थिति पर पड़ेगा। माना जा रहा है कि इसके जरिए गहलोत कहीं ना कहीं पार्टी की गुटबाजी से कार्यकर्ताओं का ध्यान भटकाना चाहते हैं, इस सुझाव के ये असर आ सकते हैं नजर-
- पार्टी में अभी गहलोत बनाम सचिन का विवाद हल नहीं हुआ है। यदि टिकट की प्रक्रिया शुरू हो जाती है तो सबका ध्यान टिकटों की ओर चला जाएगा और मामला अपने आप ही दब जाएगा।