BHOPAL. मध्यप्रदेश में नई सरकार के मंत्रिमंडल का जल्द ही गठन किया जा सकता है। मंत्रिमंडल का स्वरूप क्या होगा, इस पर मंथन के लिए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा कल यानी रविवार ( 17 दिसंबर) को दिल्ली जाएंगे। वहां शीर्ष नेतृत्व से चर्चा करेंगे। इसके बाद मंत्रिमंडल में शामिल नामों को अंतिम रूप दिया जाएगा। बताया गया है कि दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, संगठन महासचिव बीएल संतोष से मुलाकात के बाद मंत्रिमंडल का फॉर्मूला तय किया जाएगा। मंत्रिमंडल में नए चेहरों को जगह देने के लिए सबसे ज्यादा कवायद चल रही है। इसमें यह तय किया जाना महत्वपूर्ण है कि मंत्री मंडल में नए चेहरों के साथ ही पुराने वरिष्ठ और दिग्गज नामों का अनुपात क्या रखा जाए?
गुजरात फॉर्मूले का दिख सकता है असर
सितंबर 2021 में बीजेपी ने गुजरात में बड़ा प्रयोग किया था। यहां विजय रूपाणी की जगह भूपेंद्र पटेल मुख्यमंत्री बनाए गए। इससे पहले विजय रूपाणी के चेहरे पर ही 2017 का गुजरात विधानसभा चुनाव लड़ा गया था। इसमें बीजेपी ने 115 सीटें हासिल कर सरकार बनाई थी। इससे यह साफ था कि रूपाणी की लोकप्रियता भी कम नहीं हुई। बावजूद इसके नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी ने सीएम बदल दिया। इसके अलावा प्रयोग के तौर पर भूपेंद्र पटेल के मंत्रिमंडल में 24 नए विधायकों को मंत्री बनाया गया। पूरी टीम ही बदल दी गई। मंत्रियों का फैसला भी दिल्ली में हुआ था। रूपाणी मंत्रिमंडल के 22 मंत्रियों को भूपेंद्र पटेल की सरकार में जगह नहीं मिली।
दंबगों की दादागिरी नहीं चलेगी
बीजेपी नेतृत्व के इस फैसले का सबसे बड़ा असर यह हुआ कि भूपेंद्र पटेल ने फ्री हैंड सरकार चलाई। उन्हें गवर्नेंस के लिए किसी के विरोध का सामना नहीं करना पड़ा। मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी ऐसे ही समीकरण बन रहे हैं। यहां नए चेहरों को सीएम बनाया गया है। मध्यप्रदेश में डॉ. मोहन यादव, राजस्थान में भजनलाल शर्मा और छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव साय के चेहरे भी दिल्ली से तय किए गए। मंत्रिमंडल में सिर्फ दो डिप्टी सीएम ही रखे गए। मंत्री कौन बनेंगे, यह फैसला आलाकमान ही तय करेगा। ऐसी उम्मीद जताई जा रही है। मंत्रिमंडल में विवाद नहीं हो और नए मुख्यमंत्री हाईकमान के सपनों को पूरा करें, ऐसा तभी संभव होगा, जब पुराने दबंग चेहरे सत्ता से दूर रहेंगे।