CM शिवराज ने शराब पीने वालों पर सख्ती पर कहा- इंदौर पुलिस ने 133 में से 77 FIR सिर्फ शराब पीने वालों पर कीं, गुंडों पर एक्शन नहीं

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Pratibha Rana
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CM शिवराज ने शराब पीने वालों पर सख्ती पर कहा- इंदौर पुलिस ने 133 में से 77 FIR सिर्फ शराब पीने वालों पर कीं, गुंडों पर एक्शन नहीं

संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर पुलिस ने गजब ही कर डाला। सीएम शिवराज सिंह चौहान के आदेश का इतना पालन गुरुवार (29 जून) सुबह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इंदौर लॉ एंड आर्डर को लेकर बैठक ली और सख्त निर्देश दिए कि गुंडों के खिलाफ और सार्वजनिक जगह शराब पीनों वालों पर कठोर कार्रवाई की जाए। सीएम के आदेश को अमल में लाने के लिए पुलिस कमिशनर मकरंद देउस्कर ने सभी थाना प्रभारियों को यह आदेश आगे बढ़ा दिया, अब पता नहीं कहां मिसकम्युनिकेशन हुआ कि इंदौर पुलिस ने एक ही दिन में 77 एफआईआर केवल सार्वजनिक स्थल पर शराब पीनों वालों पर तो कर डाली, लेकिन गुंडों पर कोई बड़ी सख्ती नहीं की गई। इंदौर शहरी सीमा में कुल एफआईआर की संख्या 29 जून को 133 रही, जिसमें 60 फीसदी अकेले शराब पीने वालों की थी। 



इतने नंबर अजीब क्यों हैं?



एक दिन में 77 एफआईआर शराब पीनों वालों पर अजीब क्यों हैं? क्योंकि इंदौर में औसतन पुलिस तीन-चार केस ही बनाती है, 28 जून को तीन केस, 27 जून को एक केस, 26 जून को तीन केस, 25 जून को दस केस ही बने थे। इनका कुल एफआईआर में हिस्सा 5 फीसदी से भी कम होता है जो अब एक दिन में 60 फीसदी हो गया। वहीं एक अप्रैल से अहाते बंद होने से हर शराब दुकान के बाहर, मैदान पर हजारों शराबी शराब पीते मिल जाते हैं, यानि यह नंबर पुलिस एक दिन में एक हजार भी कर सकती है, इस पर कोई रोक नहीं है। 



जिस धारा में केस, उसमें केवल 500 का जुर्माना, कोई गिरफ्तारी ही नहीं



यह केस मुख्य तौर पर 36 बी धारा में होते हैं। इस धारा में केस होने पर थाने पर से ही जमानत का प्रावधान है और कोर्ट में भी इस केस को गंभीर नहीं माना गया है, वहां भी केस 500 रुपए के अर्थदंड के साथ खत्म हो जाता है, क्योंकि इसमें सजा का प्रावधान ही नहीं है। वहीं इस केस के लिए पुलिस की लंबी खानापूर्ति हो जाती है, केस दर्ज करने से लेकर पंचनामा बनाना, आरोपी को थाने से जमानत देना और फिर कोर्ट में केस पेश करना। 



पुलिस ने पकड़ा क्या सौ ग्राम शराब, ग्लास और नमकीन



इंदौर पुलिस में सबसे ज्यादा केस तुकोगंज थाने में 13, राउ में नौ, लसूडिया, संयोगितागंज, बाणगंगा में 6-6 केस, गांधीनगर थाने में पांच केस, जूनी इंदौर, रावजी बाजार में चार-चार केस, चंदनगनर और कनाडिया में तीन-तीन केस, पंढरीनाथ, आजादनगर, परदेशीपुरा, पलासिया छोटी ग्वालटोली, पंढरीनाथ, द्वारकापुरी थाने में दो-दो केस दर्ज किए। इन केस में डिटेल देखें तो कहीं पर पुलिस ने आधी भरी हुई बियर की बोतल पकड़ी जिसकी कीमत कहीं पर 50 तो कहीं सौ रुपए बताई गई है, कहीं पर देशी क्वार्टर पकड़ा जो 50 तो कहीं पर 75 रुपए कीमत का है, किसी पुलिस थाने ने और अधिक सख्ती करते हुए डिस्पोजल ग्लास और नमकीन भी पकड़ा है, तो किसी ने कुल 60 रुपए, 25 रुपए भी जब्त किए हैं। 



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जहां विवाद हुआ राजेंद्रनगर थाने में वहां एक भी केस नहीं



अब इस पूरे किस्से में यह भी अजीब हुआ कि सीएम और गृहमंत्री ने सख्ती का बात राजेंद्र नगर थाने में ट्रेजर टाउन कॉलोनी में बढती नशाखोरी, गुंडागर्दी के कारण लोगों के पलायन के संदर्भ को लेकर कही थी, अब पुलिस ने वहां एक भी शराबखोरी, नशा, गुंडागर्दी का कोई केस ही नहीं बनाया। वहीं एक भी अपराध ही 29 जून को दर्ज नहीं किया गया। एक और मजेदार बात जिस एरिया में सबसे ज्यादा बार, पब है, विजयनगर थाने में वहां की पुलिस को भी कोई केस सावर्जनिक तौर पर शराब पीने वाला नहीं मिला। 



खाकी का आप भी तो मान रखिए ना साहब



अब पुलिस के इस जांबाज कारनामे के बाद बात तो उठेगी ही खाकी का आप भी तो मान रखिए ना साहब। मकान खाली करने के लिए मजबूर करने वाले गुंडों को पकड़िए, उनके घर तोड़िए, ड्रग्स रैकेट खत्म कीजिए, पैडलर को पकड़िए। शराब पीने वालों की खानापूर्ति में लग जाएंगे तो इससे गुंडागर्दी कैसे खत्म होगी? सीएम, गृहमंत्री और पुलिस कमिशनर तीनों को ही सोचना होगा, जैसा गृहमंत्री ने कहा कि गुंडे संभाल दिए जाएंगे, तो वह कीजिए, यह पुलिस को किस काम में लगा दिया।

 


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