CG कोयला घोटाले में 25 रुपए के कमीशन से कैसे बना लिए 500 करोड़, ED की FIR में 35 से ज्यादा सफेदपोशों के नाम, देखिए कौन- कौन शामिल

author-image
Chakresh
New Update
CG कोयला घोटाले में 25 रुपए के कमीशन से कैसे बना लिए 500 करोड़, ED की FIR में 35 से ज्यादा सफेदपोशों के नाम, देखिए कौन- कौन शामिल

RAIPUR. छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित कोयला घोटाला ( Chhattisgarh COAL scam ) मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED - Enforcement Directorate ) ने एंटी करप्शन ब्यूरो ( ACB- Anti Corruption Bureau ) रायपुर में FIR दर्ज करवाई है। ED ने कोयला घोटाला मामले में एसीबी में जो FIR दर्ज करवाई है, उसमें 35 नामजद हैं और शेष अन्य के रूप में दर्ज हैं। इनमें जो आरोपी हैं उनमें सौम्या चौरसिया, समीर बिश्नोई, रानू साहू, सूर्यकांत तिवारी, राम गोपाल अग्रवाल (जो PCC के कोषाध्यक्ष भी है), भिलाई के विधायक देवेंद्र यादव, कांकेर के तत्कालीन विधायक शिशुपाल शोरी, कांग्रेस प्रवक्ता आरपी सिंह, विनोद तिवारी तत्कालीन ्कालीन मंत्री अमरजीत भगत, तत्कालीन ्कालीन विधायक चंद्रदेव राय, तत्कालीन विधायक बृहस्पति सिंह, उर्दू कमेटी के अध्यक्ष इदरीश गांधी, तत्कालीन विधायक गुलाब कमरो, तात्कालिक विधायक यू डी मिंज, सुनील अग्रवाल के नाम शामिल हैं।

FIR में क्या दर्ज हैं?

प्रवर्तन निदेशालय ने कोयला घोटाले की FIR में यह बताया है कि सूर्यकांत तिवारी, सौम्या चौरसिया, समीर बिश्नोई एवं अन्य आरोपियों ने कोयला लेवी स्कैम में 500 करोड़ से ऊपर का घोटाला किया है। छत्तीसगढ़ के रायगढ़, कोरबा, सूरजपुर में जैसे कोयला से जुड़े क्षेत्रों में जिला खनिज अधिकारियों द्वारा खनिज निदेशालय से जारी मैन्युअल डियो और परमिट को आधार बनाकर कोयला ट्रांसपोर्टर्स से 25 रुपए टन के हिसाब अवैध वसूली करते थे। सूर्यकांत तिवारी के लिए रायपुर क्षेत्र में रोशन सिंह और निखिल चंद्राकर, सूरजपुर में राहुल सिंह और वीरेंद्र जायसवाल, बिलासपुर में पारख कुर्रे और चंद्रप्रकाश जायसवाल, रायगढ़ में नवनीत तिवारी और कोरबा मोइनिद्दीन कुरैशी इस लेव्ही के षड्यंत्र को खनिज अधिकारियों के साथ मिलकर करवाते थे। इस घोटाले में सौम्या चौरसिया, रानू साहू, सूर्यकांत तिवारी सीधे तौर पर शामिल थे और पूरे स्कैम को संचालित करते थे। सौम्या चौरसिया को सूर्यकांत ने मनीष और जय नामक व्यक्तियों के माध्यम से 36 करोड़ रुपए की अवैध लेव्ही का हिस्सा पहुंचाया।

कोडवर्ड में होता था लेन- देन

प्रवर्तन निदेशालय ने कोयला घोटाले मामले में दर्ज एफआईआर में जेपी मौर्या, आईएएस कुंजाम, अधिवक्ता पीयूष भाटिया का जिक्र करते हुए यह लिखा है कि इनकी संलिप्ततता की भी जांच आवश्यक है। क्योंकि इन सब का नाम सूर्यकांत तिवारी द्वारा अपने हाथ से लिखी डायरी में कोड वर्ड में उल्लेख किया गया है। उपरोक्त सिंडिकेट द्वारा जुलाई 2020 से जून 2022 के बीच लगभग 540 करोड़ रुपए की अवैध लेव्ही वसूली गई। इनमें से 296 करोड रुपए की अवैध लेव्ही की जांच ईडी कर चुकी है।

किस नेता को कितने रुपए मिले थे

जांच एजेंसी ED ने दावा किया है कि भिलाई नगर से विधायक रहे यादव को खैरागढ़ उपचुनाव (अप्रैल 2022 में ) और अन्य राजनीतिक एवं व्यक्तिगत खर्चों के लिए कोयला ‘कार्टेल’ द्वारा उत्पन्न अपराध की आय से कथित तौर पर लगभग तीन करोड़ रुपए मिले थे। ईडी के अनुसार, बिलाईगढ़ विधायक राय को चुनावी खर्च और व्यक्तिगत उपहारों के लिए कथित तौर पर 46 लाख मिले थे, जबकि कांग्रेस नेता तिवारी और सिंह को राजनीतिक और व्यक्तिगत खर्चों के लिए क्रमशः लगभग 1.87 करोड़ रुपएऔर 2.01 करोड़ मिले थे।

25 रुपए से कैसे हुई 540 करोड़ की उगाही

खदान से कोयला उठाना है, उसके लिए डीएम से एनओसी लेनी होगी, लेकिन उसके पहले हमें हर एक टन कोयले पर 25 रुपए चुका दीजिए। इस तरह से ट्रांसपोर्टर्स और कारोबारियों से जबरन वसूली की गई। हर दिन दो से तीन करोड़ कमाए गए। ये पैसा राजनेताओं, नौकरशाहों और कारोबारियों में बांटा गया। बस इतनी सी कहानी है छत्तीसगढ़ के कथित कोयला लेवी घोटाले की। दरअसल छत्तीसगढ़ के कोयला लेवी घोटाले का मास्टरमाइंड कारोबारी सूर्यकांत तिवारी है। इस मामले में ईडी ने अब तक सूर्यकांत तिवारी, उसके चाचा लक्ष्मीकांत तिवारी, आईएएस अफसर समीर विश्नोई और कोयला कारोबारी सुनील अग्रवाल समेत 9 लोगों को गिरफ्तार किया है। आइए जानते हैं पूरा मामला क्या है…

  • इसकी कहानी शुरू होती है 15 जुलाई 2020 से, जब छत्तीसगढ़ के भूविज्ञान और खनन विभाग ने खदानों से कोयले के ट्रांसपोर्ट के लिए ई-परमिट की ऑनलाइन प्रक्रिया को संशोधित किया।
  • इस नियम से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट यानि NOC जारी करना जरूरी हो गया, लेकिन ED का दावा है कि इसके लिए कोई SOP या प्रक्रिया जारी नहीं की गई।
  • एक माइनिंग कंपनी खरीदार के पक्ष में कोल डिलीवरी ऑर्डर (CDO) जारी करती है, जिसे कंपनी के पास 500 रुपए प्रति मीट्रिक टन के हिसाब से बयाना राशि यानि EMD जमा करनी होती है और 45 दिनों के भीतर कोयला उठाना पड़ता है।
  • ED का दावा है कि नए नोटिफिकेशन ने कथित तौर पर माइनिंग कंपनियों को ट्रांसमिट परमिट के लिए एनओसी लेने के लिए सरकार के पास आवेदन करने को मजबूर कर दिया।
  • बगैर एनओसी के परमिट जारी नहीं किया जाता और CDO भी एक्जीक्यूट नहीं होती है। 45 दिन के बाद CDO खत्म हो जाएगी और खरीदार की EMD को भी जब्त कर लिया जाएगा।
  • ED की जांच में सामने आया कि माइनिंग डिपार्टमेंट की डॉक्यूमेंट प्रोसेस सही नहीं थी। कई जगहों पर सिग्नेचर नहीं थे, नोट शीट नहीं थी। कलेक्टर या डीएमओ की मनमर्जी पर नाममात्र की जांच करवाकर एनओसी जारी कर दी जाती थी।
  • ED के मुताबिक, 15 जुलाई 2022 के बाद बगैर किसी एसओपी के 30 हजार से ज्यादा एनओसी जारी कर दी गईं। इन और आउट का रजिस्टर भी मेंटेन नहीं किया गया। अफसरों की भूमिका भी साफ नहीं थी। ट्रांसपोर्टर का नाम, कंपनी का नाम भी नहीं था।

मास्टर माइंड सूर्यकांत तिवारी

  • ईडी के मुताबिक, इस पूरे कार्टल को सूर्यकांत तिवारी चलाता था। उसने सीनियर अफसरों की मदद से उगाही का एक नेटवर्क तैयार किया था।
  • सूर्यकांत तिवारी ने कोयला ट्रांसपोर्टर्स और कारोबारियों से जबरन पैसे ऐंठने के लिए जमीनी स्तर पर अपनी टीम बना रखी थी।
  • इसमें हर खरीदार या ट्रांसपोर्ट को डीएम ऑफिस से एनओसी लेने से पहले 25 रुपए प्रति टन के हिसाब से चुकाना पड़ता था।
  • इसके लिए उन्होंने कुछ आदमियों को रखा जो इस पैसे को इकट्ठा करते थे। बाद में इन पैसों को किंगपिन, वर्करों, सीनियर आईएएस-आईपीएस अफसरों और राजनेताओं में बांट दिया जाता था।
  • ईडी का अनुमान है कि ऐसा करके हर दिन दो से तीन करोड़ रुपए की उगाही की गई। इस मामले में ईडी ने सूर्यकांत तिवारी के चाचा लक्ष्मीकांत तिवारी को गिरफ्तार किया था। लक्ष्मीकांत तिवारी ने कबूल किया है वो हर दिन 1-2 करोड़ की उगाही करता था।
  • ईडी के मुताबिक, इस पूरे खेल में कम से कम 540 करोड़ की जबरन वसूली की गई। इस मामले में जनवरी 2023 तक ईडी ने आरोपियों की 170 करोड़ की संपत्ति जब्त कर ली थी।

क्या हुआ इस पैसे का?

  • सूर्यकांत तिवारी के पास से एक डायरी भी मिली है। इस डायरी में उसने लिखा है कि वो कितना पैसा किसे देता था।
  • इस डायरी में लिखा है जबरन वसूली से आए 540 करोड़ में से 170 करोड़ रुपए की बेनामी संपत्ति खरीदी गई। बेनामी संपत्ति यानी किसी दूसरे नाम से संपत्ति खरीदी गई।
  • 52 करोड़ रुपए राजनेताओं को दिए गए। 4 करोड़ रुपए छत्तीसगढ़ के विधायकों को दिए गए। 6 करोड़ रुपए पूर्व विधायकों में बांटे गए। इसके अलावा 36 करोड़ रुपए अफसरों में बंटे।

ED ने इनको आरोपी बनाया

  1. सूर्यकांत तिवारीः इसे ही पूरे घोटाले का मास्टरमाइंड माना जा रहा है। जबरन वसूली के लिए इसी ने नेटवर्क तैयार किया था।
  2. सौम्या चौरसियाः छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की डिप्टी सेक्रेटरी। इनकी साढ़े 7 करोड़ से ज्यादा की बेनामी संपत्ति जब्त हो चुकी है।
  3. लक्ष्मीकांत तिवारीः सूर्यकांत तिवारी के चाचा। कबूला है कि हर दिन 1-2 करोड़ की उगाही करते थे। सूर्यकांत तिवारी के भाई रजनीकांत तिवारी और मां कैलाश तिवारी भी आरोपी हैं।
  4. समीर विश्नोईः 2009 बैच के आईएएस अफसर हैं। समीर और उनकी पत्नी के पास 47 लाख कैश और 4 किलो सोने की जवाहरात मिले थे।
  5. सुनील अग्रवालः इंद्रमाणी ग्रुप के मालिक। कोयला कारोबारी हैं। ED के मुताबिक, सूर्यकांत तिवारी के बड़े कारोबारी दोस्त हैं।
  6. इन सबके अलावा माइनिंग अफसर शिव शंकर नाग, संदीप कुमार नायक और राजेश चौधरी भी आरोपी हैं। लक्ष्मीकांत तिवारी के रिश्तेदार मनीष उपाध्याय को भी आरोपी बनाया गया है।

इनके खिलाफ करवाई ED ने FIR

01. सौम्या चौरसिया, तत. उप सचिव, मुख्यमंत्री कार्यालय, छ.ग. शासन

02. समीर बिश्नोई, आई.ए.एस. तत्कालीन निदेशक भू-विज्ञान एवं खनिज

03. रानू साहू, आई.ए.एस. तत्कालीन कलेक्टर कोरबा

04. संदीप कुमार नायक, सहायक खनिज अधिकारी

05. शिवशंकर नाग खनिज अधिकारी

06. सूर्यकांत तिवारी

07. मनीष उणध्याय

08. रौशन कुमार सिंह,

09. निखिल चंद्राकर

10. राहुल सिंह

11. पारेख कुर्रे

12. मोईनुद्दीन कुरैशी

13. विरेन्द्र जायसवाल

14 रजनीकांत तिवारी

15. हेमंत जायसवाल

16. जोगिन्दर सिंह

17. नवनीत तिवारी

18. दिपेश टांक

19. देवेन्द्र डडसेना

20. राहुल मिश्रा

21. रामगोपाल अग्रवाल, तत्कालीन कोषाध्यक्ष, छ.ग. कांग्रेस पार्टी

22. देवेन्द्र सिंह यादव, तत्कालीन विधायक, भिलाई नगर

23. शीशुपाल सोरी, तत्कालीन विधायक, कांकेर

24. रामप्रताप सिंह तत्कालीन प्रवक्ता कांग्रेस

25. विनोद तिवारी, तत्कालीन पी.ई.पी.,

26. अमरजीत भगत, तत्कालीन विधायक, सीतापुर

27. चंद्रदेव प्रसादराय, तत्कालीन विधायक, बिलाईगढ़

28. बृहस्पत सिंह, तत्कालीन विधायक, रामानुजगंज

29. इदरिश गांधी, पी.ई.पी.

30. गुलाब कमरो, तत्कालीन विधायक, भरतपुर सोनहत

31. यु.डी. मिंज, तत्कालीन विधायक, कुनकुरी

32. सुनील कुमार अग्रवाल, इंद्रमणी ग्रुप निवासी रायपुर

33. जय, सूर्यकांत का साथी

34. चंद्रप्रकाश जायसवाल, निवासी कोरबा

35. लक्ष्मीकांत तिवारी एवं अन्य


Q&A

Q: छत्तीसगढ़ कोयला घोटाले में किस नेटवर्क ने अवैध वसूली की?

A: छत्तीसगढ़ कोयला घोटाले में सूर्यकांत तिवारी के नेतृत्व में एक सिंडिकेट ने अवैध वसूली की। इस सिंडिकेट में कोयला कारोबारी, नौकरशाह और राजनेता शामिल थे। सूर्यकांत तिवारी को इस घोटाले का मास्टरमाइंड माना जाता है। उसने कोयला ट्रांसपोर्टर्स और कारोबारियों से जबरन पैसे ऐंठने के लिए जमीनी स्तर पर अपनी टीम बना रखी थी। इस टीम में हर खरीदार या ट्रांसपोर्ट को डीएम ऑफिस से एनओसी लेने से पहले 25 रुपए प्रति टन के हिसाब से चुकाना पड़ता था। इस पैसे को सूर्यकांत तिवारी के चाचा लक्ष्मीकांत तिवारी, आईएएस अधिकारी समीर विश्नोई और कोयला कारोबारी सुनील अग्रवाल के बीच बांटा जाता था।

Q: छत्तीसगढ़ कोयला घोटाले में कितनी अवैध वसूली की गई?

A: ईडी की जांच में सामने आया है कि छत्तीसगढ़ कोयला घोटाले में कम से कम 540 करोड़ रुपए की अवैध वसूली की गई। ईडी ने इस मामले में 30 हजार से ज्यादा एनओसी की जांच की है। इन एनओसी में कई जगहों पर सिग्नेचर नहीं थे, नोट शीट नहीं थी। कलेक्टर या डीएमओ की मनमर्जी पर नाममात्र की जांच करवाकर एनओसी जारी कर दी जाती थी। ईडी का अनुमान है कि ऐसा करके हर दिन दो से तीन करोड़ रुपए की अवैध वसूली की गई।

Q: छत्तीसगढ़ कोयला घोटाले में किन-किन नेताओं के नाम सामने आए हैं?

A: छत्तीसगढ़ कोयला घोटाले में कांग्रेस के कई नेताओं के नाम सामने आए हैं। इनमें भिलाई के विधायक देवेंद्र यादव, बिलासपुर के विधायक चंद्रदेव राय, कोरबा के विधायक अमरजीत भगत, पूर्व विधायक शिशुपाल शोरी, आरपी सिंह और गुलाब कमरो शामिल हैं। ईडी ने इन नेताओं पर आरोप लगाया है कि उन्होंने कोयला ट्रांसपोर्टरों से जबरन वसूली में हिस्सा लिया था।

Q: छत्तीसगढ़ कोयला घोटाले की जांच अभी भी चल रही है या नहीं?

A: हाँ, छत्तीसगढ़ कोयला घोटाले की जांच अभी भी चल रही है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) और एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) इस मामले की जांच कर रहे हैं। ED ने इस मामले में अब तक 9 लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें सूर्यकांत तिवारी, लक्ष्मीकांत तिवारी, समीर विश्नोई, सुनील अग्रवाल, सौम्या चौरसिया, शिव शंकर नाग, संदीप कुमार नायक और राजेश चौधरी शामिल हैं। ED ने इन आरोपियों की 170 करोड़ की संपत्ति भी जब्त कर ली है।



IAS Ranu Sahu Suryakant Tiwari सूर्यकांत तिवारी Coal scam of Rs 500 crore in Chhattisgarh FIR of ED Enforcement Directorate IAS Soumya Chaurasia छत्तीसगढ़ में 500 करोड़ का कोयला घोटाला ईडी प्रवर्तन निदेशालय की एफआईआर आइएएस सौम्या चौरसिया आइएएस रानू साहू