संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर में जिला प्रशासन की लापरवाही और अधिकारियों के सोते रहने की कार्यशैली के चलते दशहरा मैदान मेले में करंट लगने से एक युवक की मौत हो गई। इस मेले की मंजूरी केवल एक माह की 10 जून से नौ जुलाई तक ही थी, लेकिन इसके बाद भी मेला चल रहा था। राउ एसडीएम के साथ ही तहसीलदार, आरआई, पटवारी किसी ने यहां मंजूरी जारी होने के बाद निरीक्षण करने की जहमत नहीं उठाई, जबकि जमीन नजूल विभाग की होकर जिला प्रशासन के ही अधीन आती है। प्रशासन ही इसे किराए पर देता है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि मेले में कम किराया राशि लिए जाने की भी शिकायत हो चुकी है, लेकिन इस पर भी कोई ध्यान नहीं दिया गया। वहीं मेला प्रबंधक संजय अडसपुरकर ने कहा कि हमने मेले की मंजूरी 16 जुलाई तक बढ़ाने की प्रक्रिया की थी, तय तारीख के बाद मेला खोला जा रहा था। इस दौरान ही यह घटना होने की बात पता चली है, मैं अभी इंदौर के बाहर हूं, मैं भी पता कर रहा हूं, यह कैसे हुआ।
युवक की मौत करंट लगने से हुई
अन्नपूर्णा थाना क्षेत्र के दशहरा मैदान में चल रहे एक मेले में यह हादसा हुआ है। दरअसल, मेले में एक युवक की करंट लगने की वजह से मौत हो गई है। जैसे ही युवक को करंट लगा उसे तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां उसके उपचार के दौरान मौत हो गई। मामले को मेला प्रबंधन द्वारा दबाने की कोशिश की गई, लेकिन यह मामला जैसे-तैसे पुलिस तक पहुंच गया। जिसके बाद पुलिस ने युवक का जिला अस्पताल में पोस्टमार्टम करवाया गया। इस पूरे मामले को लेकर पुलिस जांच में जुटी हुई है। मृतक युवक का नाम मोहम्मद शाकिर निवासी सिकंदर बाग कॉलोनी सदर बाजार थाना क्षेत्र है। वह दशहरा मैदान में लगे मेले में अपने दोस्तों से मिलने के लिए गया था। जहां वह पेशाब करने के लिए गया था। उसी दौरान खुले पड़े तारों पर उसका पैर आ गया। जिसकी वजह से उसकी हालत गंभीर हो गई।
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प्रशासन और मेला प्रबंधन के बीच सांठगांठ की भी हो चुकी शिकायत
दशहरा मैदान पर मेला लगाने के लिए संजय अडसपुरकर ने आवेदन किया था। यहां पर 80 हजार वर्ग फीट जमीन एक महीने के लिए यानी 10 जून से नौ जुलाई तक के लिए मांगी गई। जमीन का किराया 18.43 लाख रुपए बना। इसे भरने का आदेश देते हुए राउ एसडीएम विजय मंडलोई ने इसकी मंजूरी विविध शर्तों के साथ जारी कर दी। जिसमें सारी व्यवस्थाएं चाक-चौबंद के साथ कई तरह की शर्तें थी। इस मेले की मंजूरी को लेकर भी शिकायत हुई थी। मिलीभगत कर किराया कम लिया गया है, यहां सामान्य आयोजन का किराया लगाया गया है, जबकि यह व्यवसायिक उपयोग हुआ है, ऐसे में इसके किराए की गणना अलग होना चाहिए, लेकिन मेला प्रबंधन और प्रशासन ने सांठगांठ कर इसका किराया कम किया और राजस्व का लाखों रुपए का नुकसान हुआ। लेकिन जिला प्रशासन ने इस शिकायत को ठंडे बस्ते में डाल दिया।