छत्तीसगढ़ में नवंबर में होने वाली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का मुकाबला केवल भारतीय जनता पार्टी से है। यह मुकाबला अब धीरे-धीरे कड़ा होता जा रहा है। कांग्रेस को सत्ता बचाने के लिए सबसे पहले आंतरिक संघर्ष करना पड़ रहा है तो भाजपा को अपनी खोई हुई राजनीतिक जमीन को वापस पाने के लिए आंतरिक और बाह्य दोनों ही स्तरों पर बेहद कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है। इस मुकाबले की दिलचस्प बात यह है कि कांग्रेस और भाजपा- दोनों ही दल- लगभग एक समान चुनावी तैयारी कर रहे हैं। ये दोनों ही दल प्रतिदिन एक दूसरे पर चुनावी रणनीति की नकल करने का आरोप लगा रहे हैं। कांग्रेस और भाजपा की चुनावी तैयारी के तीन स्पष्ट आयाम हैं- पहला आयाम हिन्दुत्व का है, दूसरा आयाम भ्रष्टाचार का है और तीसरा आयाम आंतरिक संघर्ष से निपटते हुए अपने संगठन को बूथ स्तर तक सक्रिय करने का है।
हिन्दुत्व में कांग्रेस ने कोई कसर नहीं छोड़ी
जहां तक हिन्दूत्व का मामला है छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने अपने आपको भाजपा से बढ़कर श्रीराम और बजरंग बली का अनुगामी सिद्ध करने में कोई कसर नहीं छोड़ी हैं। छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण का मुद्दा बना ही हुआ है। भाजपा का आरोप है कि कांग्रेस के संरक्षण में आदिवासियों का मतांतरण किया जा रहा है जबकि कांग्रेस का कथन है कि भाजपा के शासनकाल में चर्च की स्थापना का रिकॉर्ड कायम हुआ है। बहरहाल, इस मुद्दे पर आदिवासी वोट बटें हुए नजर आ रहे हैं।
हिन्दूत्व के मामले में कांग्रेस की बढ़त को पीछे करने के लिए भाजपा ने अपनी अनुषांगिक संगठनों को आगे कर दिया है। हिन्दूत्व की अलख तेज करने के लिए रायपुर में विश्व हिन्दू परिषद की केन्द्रीय समिति की बैठक पिछले सप्ताह आयोजित हुई। विश्व हिन्दू परिषद ने इस बैठक में अपनी गतिविधियों को रणनीतिक रूप से बढ़ाने के दृष्टिकोण से धर्म, अध्यात्म, शिक्षा और संस्कार की रक्षा के लिए गांव से लेकर शहरों तक अभियान चलाने की घोषणा की है। परिषद ने यह भी घोषित किया है कि बजरंग दल हिन्दू शौर्य यात्राओं का आयोजन करेगा। ये यात्राएं 30 सितंबर से 14 अक्टूबर तक आयोजित की जाएंगी और उसके बाद संतों की यात्रा निकाली जाएगी। यह उल्लेखनीय है कि कांग्रेस ने कर्नाटक में अपने घोषणा पत्र में बजरंग दल पर पाबंदी लगाने की बात की थी। अब देखना यह होगा कि छत्तीसगढ़ में विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल के द्वारा संचालित होने वाले अभियानों का सामना कांग्रेस कैसे करती है।
भ्रष्टाचार बना बड़ा मुद्दा
चुनावी संघर्ष में भ्रष्टाचार एक बड़ा मुद्दा बन हुआ है। कांग्रेस के नेताओं और सरकारी अफसरों पर कोयले, शराब, चावल आदि के मामले में ईडी, सीबीआई और आईटी के छापे लगातार पड़ रहे हैं। अगले कुछ सप्ताहों में सत्ता पक्ष के विरूद्ध कहीं अधिक गंभीर कार्रवाई की संभावना बनी हुई है। लेकिन इस बीच छत्तीसगढ़ सरकार ने इंदिरा प्रियदर्शनी महिला नागरिक सरकारी बैंक, रायपुर में भाजपा के शासनकाल में हुए कोई 50 करोड़ रूपये के घोटाले के जिन्न को बोतल के बाहर ला दिया है। 2007 से पहले हुए घोटाले की शिकायत होने पर बैंक के मैनेजर का नार्कों टेस्ट कराया गया था। लेकिन उस टेस्ट की रिपोर्ट और सीडी अब पिछले सप्ताह कोर्ट के आदेश पर पुलिस को मिल गई है। बताया जा रहा है कि नार्कों टेस्ट की 45 मिनट की इस सीडी में मैनेजर ने भाजपा को बड़े-बड़े नेताओं को पैसा पहुंचाने की बात कही है। आने वाले दिनों में प्रेक्षकों की निगाह इस बिंदु पर रहेगी कि नार्को टेस्ट की रिपोर्ट के आधार पर पुलिस क्या कदम उठाती है।
कार्यकर्ताओं को एकजुट करने में लगे
कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दल अपने बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं को एकजुट करने में लगे हैं। भाजपा का कहना है कि कांग्रेस इस मामले में उनकी नकल कर रही है। इससे भी बड़ी बात यह है कि दोनों दल अपने संगठन के आंतरिक संघर्ष को थामने में लगे हैं। इस बीच सबसे बड़ा समाचार कांग्रेस खेमे से आया। कांग्रेस अध्यक्ष ने संगठन के अंदर जिम्मेदारियों को बदलने का आदेश जारी कर दिया। मुख्यमंत्री इस परिवर्तन से नाखुश हुए और छत्तीसगढ़ की प्रभारी कुमारी शैलजा ने अध्यक्ष को अपने आदेश वापस लेने के लिए कहा। अध्यक्ष को पता नहीं कहां से शक्ति मिली है कि उन्होंने अपना आदेश अभी तक वापस नहीं लिया है। इस समय स्थिति जस की तस है और कांग्रेस के भीतर शक्ति का संघर्ष चल रहा है।
भाजपा कार्यकर्ताओं की घड़कनें बढ़ीं
इधर भाजपा के लिए समर्थन जुटाने के लिए गृहमंत्री अमित शाह ने दुर्ग का दौरा किया। इस दौरे मे अमित शाह ने जिस तरह पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह को तवज्जो दी, उससे छत्तीसगढ़ में भाजपा की दूसरी पंक्ति के आकांक्षावान नेताओं के दिलों की धड़कने बढ़ गई हैं। पहले से आपसी खींचतान में उलझी भाजपा के चुनावी समीकरण में यह नया ट्विस्ट आया है।
भाजपा को यह उम्मीद थी कि अमित शाह धान की खरीदी के मामले में कोई ठोस बात करेंगे जिससे कांग्रेस के प्रचार का तोड़ निकाला जा सके किन्तु ऐसा नहीं हुआ। छत्तीसगढ़ की सरकार के विरूद्ध भ्रष्टाचार के मामले में केन्द्रीय एजेंसियों द्वारा शीर्ष कांग्रेस नेताओं के विरूद्ध अब तक कठोरतम कार्रवाई न किए जाने होने को लेकर भाजपा को चुनाव प्रचार के लिए बड़ा अस्त्र नहीं मिल जा रहा है। आने वाले दिनों में भाजपा के कुछ और मंत्रियों की यात्राएं प्रस्तावित हैं। धान और भ्रष्टाचार के मामले में केन्द्र से स्पष्ट संदेश न मिलने के कारण केन्द्रीय मंत्रियों की यात्राओं से कोई विशेष प्रतिसाद मिलने की संभावना नहीं है। इसलिए जोर इस बात पर है कि प्रधानमंत्री की कुछ सभाएं आयोजित हों और वे स्पष्ट राजनीतिक संदेश दें।
इस बीच अरविंद नेताम के नेतृत्व वाले सर्व आदिवासी समाज ने एक राजनीतिक दल के रूप में अपना पंजीयन कराने के लिए कार्रवाई शुरू कर दी है। सर्व आदिवासी समाज अपने राजनीतिक दल के झंडे के तले कोई 50 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़ा करेगा। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही सर्व आदिवासी समाज को गंभीर चुनौती नहीं मानते किन्तु दोनों ही दल इस समय प्राथमिकता के आधार पर इस समय आदिवासी क्षेत्र में अपनी गतिविधियों को अधिक से अधिक संगठित और तेज कर रहे हैं।
कांग्रेस की पकड़ कमजोर हुई
यह बात जाहिर है कि जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ की जमीनी पकड़ बेहद कमजोर हो गई है। अब वह तेलंगाना की भारत राष्ट्र समिति के साथ गठबंधन करने या विलय करने की कोशिश में है। भारत राष्ट्र समिति एक राज्य स्तरीय दल से ऊपर उठकर राष्ट्र स्तरीय दल का दर्जा पाने के लिए प्रयत्नशील है। भारत राष्ट्र समिति के कार्यकारी अध्यक्ष का यह बयान सामने आया हैं कि समिति प्राथमिक तौर पर आंध्रप्रदेश और महाराष्ट्र में चुनाव लडे़गी। और उसके बाद उसकी निगाह मध्यप्रदेश पर है। भारत राष्ट्र समिति ने छत्तीसगढ़ में भी चुनाव लड़ने की संभावना व्यक्त की है। छत्तीसगढ़ में जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ और भारत राष्ट्र समिति के बीच होने वाले गठबंधन से भारत राष्ट्र समिति को केवल प्रचार का लाभ मिल सकता है, उसे कोई चुनावी लाभ मिलने की संभावना नहीं के बराबर है।
आने वाले कुछ सप्ताहों में छत्तीसगढ़ में हिन्दूत्व की लहर के उफान, भ्रष्टाचार के आरोपों-प्रत्यारोपों के तूफान और दलों के भीतर आंतरिक सत्ता संघर्ष के ज्वार के बढ़ने के दृश्य उपस्थित होंगे। इन सबके बीच लोक विमर्श में स्तरहीनता भी बढ़ेगी। इतना सब होते हुए, दस बिन्दुओं के चुनावी-स्केल पर कांग्रेस 5.50 और भाजपा 4.50 पर बनी हुई है।