संजय गुप्ता, INDORE. मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद मप्र कांग्रेस कमेटी ने इंदौर में चार और नए कार्यकारी शहराध्यक्ष की नियुक्ति कर दी है। इसमें देवेंद्र सिंह यादव, अमन बजाज, अरविंद बागड़ी और लक्ष्मीनारायण मिमरोट शामिल हैं। वहीं पहले से ही कांग्रेस में शहराध्यक्ष के तौर पर सुरजीत सिंह चड्ढा है और कार्यकारी अध्यक्ष विशाल (गोलू अग्निहोत्री) पहले से ही नियुक्त है। कांग्रेस ने एसटी वर्ग से किसी को नियुक्त नहीं किया और ना ही अल्पसंख्यक मुस्लिम वर्ग से किसी को नियुक्त किया गया है।
मुस्लिम पार्षद, नेताओं में भारी नाराजगी
नियुक्ति के बाद मुस्लिम पार्षदों और नेताओं में भारी नाराजगी देखी जा रही है, कांग्रेस पार्षदों में से नौ तो मुस्लिम पार्षद है और विधानसभा पांच के मुस्लिम वार्ड हो या फिर इंदौर एक के, सभी जगह कांग्रेस को विधानसभा में लीड मिली है। इसके बाद भी इस वर्ग से कार्यकारी अध्यक्ष नहीं होने से नेताओं में नाराजगी है, आने वाले समय में लोकसभा चुनाव है, ऐसे में इन पार्षदों की नाराजगी भारी पड़ सकती है।
कौन किस कोटे से हुए नियुक्त
देवेंद्र यादव- यह मुख्य तौर पर शोभा ओझा से जुड़े हुए हैं। लंबे समय से मैदानी स्तर पर आंदोलन करते रहे हैं। ओबीसी वर्ग से आते हैं।
अमन बजाज- यह सज्जन सिंह वर्मा के करीबी है। इंदौर विधानसभा पांच से टिकट के दावेदार थे। युवा नेता है। यह भी ओबीसी कैटेगरी में आते हैं।
अरविंद बागड़ी- यह भी शोभा ओझा के करीबी है, जीतू पटवारी के भी करीबी है। पहले इन्हें विनय बाकलीवाल की जगह जनवरी में शहराध्यक्ष बनाया था लेकिन बाद में विरोध के चलते होल्ड कर दिया गया और बाद में फिर सुरजीत सिंह चड्ढा को शहराध्यक्ष बनाया गया। यह इंदौर विधानसभी तीन से टिकट के दावेदार भी थे। यह अग्रवाल समाज के होकर सामान्य वर्ग से आते हैं।
लक्ष्मीनारायण मिमरोट- यह एससी वर्ग आते हैं। यह इंदौर विधानसभा पांच से टिकट के दावेदार रहे और प्रदेश उपाध्यक्ष स्वप्निल कोठारी के करीबी माने जाते हैं।
शहर कार्यकारिणी तो है ही नहीं, ना हार की समीक्षा हुई
मजे की बात यह है कि शहर कांग्रेस की स्थिति ऐसी है कि यहां सब राजा है और काम करने वाली सेना कोई नहीं है। पांच साल से शहर कार्यकारिणी का गठन ही नहीं हुआ है। चुनाव में हार के बाद और खासकर इंदौर में सभी नौ सीट गंवाने के बाद प्रदेश कांग्रेस को हार की समीक्षा करना थी, सभी से कारण पूछना थे, किसने काम किया, किसने नहीं यह सभी पक्ष देखने थे लेकिन इन सभी को दरकिनार कर पदों की नियुक्ति कर दी गई।