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RAIPUR.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल में देश की अर्थव्यवस्था तीसरे स्थान पर होने वाले बयान को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नंदकुमार साय ने पलटवार किया हैं। उन्होंने कहा है PM नरेंद्र मोदी को लग रहा है कि अगली बार प्रधानमंत्री नहीं बन पाएंगे। इसका कारण योगी आदित्यनाथ भी प्रधानमंत्री पद की दौड़ में शामिल हो गए हैं। इसलिए प्रधानमंत्री को यह बताना पड़ रहा है कि मैं तीसरे कार्यकाल में भी प्रधानमंत्री रहूंगा। बीजेपी नेताओं के बीच अंतर कलह बढ़ गई है।
PM ने दी थी मोदी सरकार के तीसरे टर्म की गारंटी
आपको बता दे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को प्रगति मैदान में कन्वेंशन सेंटर का उद्घाटन किया था, इस कन्वेंशन सेंटर का नाम 'भारत मंडपम' रखा गया है। उद्घाटन के दौरान पीएम मोदी ने देशवासियों को गारंटी दी कि मोदी सरकार के तीसरे टर्म (2024 लोकसभा चुनाव) में वह भारत को विश्व की तीसरी टॉप अर्थव्यवस्था बनाकर रहेंगे।
नंदकुमार साय ने BJP के आरोपों पर दिया जवाब
वहीं 12 जातियों को अनुसूचित जनजातियों में शामिल किए जाने के मुद्दे पर बीजेपी के आरोपों का जवाब देते हुए नंदकुमार साय ने कहा कि जब मैं अनुसूचित जनजाति आयोग का राष्ट्रीय अध्यक्ष था, तब मेरी ओर से पहल की गई थी, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी इस मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री को पत्र लिखे थे। उन्होंने कहा कि बीजेपी इस मुद्दे पर श्रेय लेने की राजनीति नहीं करें। इसका पूरा श्रेय कांग्रेस को जाना चाहिए, जिन्होंने छत्तीसगढ़ में आदिवासियों के लिए काम किया है।
श्रेय लेने के लिए कांग्रेस और बीजेपी में मची होड़
बता दे कि छत्तीसगढ़ में धनुहार, धनुवार, किसान, सौंरा, साओंरा और बिंझिया समुदायों को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने वाले संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (पांचवां संशोधन) विधेयक, 2022 को राज्यसभा ने मंगलवार को मंजूरी दे दी। विधेयक के पारित हो जाने के बाद अब कांग्रेस और बीजेपी में इसका श्रेय लेने की होड़ मची हुई है। इस विधेयक के पारित होते ही कांग्रेस और भाजपा ने अपने-अपने राम के बाद अपने-अपने आदिवासियों पर भी दावा ठोक दिया है।
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छग के 12 समुदाय अनुसूचित जनजाति में शामिल
बुधवार को भारतीय जनता पार्टी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि बीजेपी सांसदों की बदौलत 12 समुदायों को अनुसूचित जनजाति की सूची में लाया जा सका है। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने कहा कि जब सदन में आदिवासियों से संबंधित विधेयक पर चर्चा हो रही थी, तो छत्तीसगढ़ के सभी कांग्रेस सांसद जानबूझकर सदन से अनुपस्थित थे। वे नहीं चाहते थे कि विधेयक पर चर्चा हो। इसके पहले भी पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने का विरोध कर कांग्रेस ने राज्यसभा में उसे पारित नहीं होने दिया था।