शिवम दुबे, Raipur. छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने विधानसभा चुनावों में हुई हार को लेकर गंभीर चर्चा शुरू कर दी है। शुक्रवार को इसी हार को लेकर समीक्षा बैठक भी दिल्ली में की गई है। शुक्रवार को पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी ने सबसे पहले छत्तीसगढ़ के नेताओं के साथ बैठक की, लेकिन इसमें किसी भी पदाधिकारी ने अपने इस्तीफे की पेशकश नहीं की। पार्टी चुनावी नतीजे का विस्तृत अध्ययन करेगी, जिसके बाद जवाबदेही तय की जाएगी। बारी-बारी से सभी ने विभिन्न सीटों और जिलों के हिसाब से हार के कारण गिनाने शुरू किए। खबर हैं कि करीब दो घंटे तक चली बैठक में विधायक दल के नेता के बारे में भी चर्चा नहीं हुई, हालांकि इसके लिए लॉबिंग जोर-शोर से शुरू हो चुकी है। बैठक में यह फैसला किया गया कि कमियों को दूर कर लोकसभा चुनाव में मजबूती से उतरा जाएगा।
माइक्रो मैनेजमेंट में पिछड़ी कांग्रेस
छत्तीसगढ़ कांग्रेस के नेताओं ने पार्टी आलाकमान को वोट शेयर के बारे में भी बताया है। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि पांच साल सत्ता में रहने के बावजूद कांग्रेस को वोट प्रतिशत वहीं का वहीं है, हालांकि अधिकांश लोगों ने यह भी स्वीकार किया कि कांग्रेस माइक्रो मैनेजमेंट में थोड़ा पिछड़ गई। विशेष रूप से आदिवासी बहुल क्षेत्रों में कांग्रेस को जो झटका लगा है, उसका ठोस जवाब किसी के पास नहीं था।
लोकसभा चुनाव की तैयारी पर केंद्रित हुई कांग्रेस
बैठक के आखिरी क्षणों में छत्तीसगढ़ कांग्रेस के नेताओं ने आलाकमान को भरोसा दिलाया है कि आगामी लोकसभा चुनाव में सभी मिलकर काम करेंगे और ज्यादा से ज्यादा सीटें पार्टी को जिताएंगे। नतीजों का विस्तृत अध्ययन होगा, लेकिन बैठक में यही बात हुई है कि जो बीत गया, उस पर ऊर्जा खर्च करने के बजाए लोकसभा चुनाव की तैयारी की जाए। जब बैठक में आपसी खींचतान के बारे में सवाल किया गया तो उनका कहना था कि यदि ऐसा होता तो पार्टी अपना वोट प्रतिशत बरकरार नहीं रख पाती।