मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को लगेगा एक और बड़ा झटका, बीजेपी बनाएगी नया रिकॉर्ड!

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Harish Divekar
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मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को लगेगा एक और बड़ा झटका, बीजेपी बनाएगी नया रिकॉर्ड!

BHOPAL. लोकसभा चुनाव और उसके नतीजों से पहले एक बार फिर मध्यप्रदेश में कांग्रेस को बड़ा झटका लगने वाला है। मध्यप्रदेश छत्तीसगढ़ और राजस्थान के विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार का खामियाजा कांग्रेस को राज्यसभा में भी भुगतना होगा। 2023 में मिली जबरदस्त जीत की बदौलत बीजेपी राज्यसभा में एक नया इतिहास रच सकती है। तो, दूसरी तरफ कांग्रेस के लिए सीटें बचाना मुश्किल हो गया। साल 2020 का राज्यसभा चुनाव शायद आपको याद ही होगा. जब एक सीट की खातिर ऐसी खींचतान मची कि कमलनाथ की सरकार ही धराशाई हो गई। तब से लेकर आज का दिन है जब कांग्रेस बहुत कोशिशों के बावजूद सत्ता में वापसी नहीं कर पाई है। आज आपको वो पुरानी घटना भी याद दिलाता हूं। और ये भी बताता हूं कि किस तरह कांग्रेस राज्यसभा में और कमजोर होने जा रही है। पहले बात दूसरे सवाल से करते हैं। यानि कि कांग्रेस किस किस्म का नुकसान भुगतने जा रही है।

मप्र में अप्रैल में राज्यसभा की 5 सीटें खाली हो रही हैं

सबसे पहले समझिए विधानसभा के चुनावी नतीजे क्या रहे। साल 2023 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 163 और कांग्रेस को 66 मिली है। 2018 के चुनाव से तुलना करें तो कांग्रेस को इस बार 48 सीटों का नुकसान हुआ है। इस नुकसान का सीधा असर लोकसभा चुनाव से पहले राज्य में होने वाले राज्यसभा चुनाव में दिखेगा। आपको बता दूं कि मध्यप्रदेश में अप्रैल में राज्य सभा की पांच सीटें खाली हो रही हैं। लोकसभा चुनाव इसके बाद ही होंगे। अब बात करते हैं राज्यसभा सीटों की। इसका ब्यौरा कुछ यूं है कि पांच में से 4 सीटों पर बीजेपी और 1 सीट पर फिलहाल कांग्रेस काबिज है।

ऐसे समझें इन पांच सीटों के लिए वोटों का बंटवारा किस तरह होगा

आपको बहुत आसान भाषा में वो फॉर्मूला बताते हैं जिससे राज्यसभा चुनाव के लिए वोटों का गणित तय होता है। फॉर्मूला ये है कि किस राज्य में कितनी राज्यसभा सीटें खाली हैं, उसमें 1 जोड़ा जाता है, फिर उसे कुल विधानसभा सीटों की संख्या से भाग दिया जाता है। इससे जो संख्या आती है, उसमें फिर 1 जोड़ दिया जाता है। अब इसे मध्यप्रदेश के संदर्भों में समझिए। मध्यप्रदेश में विधानसभा सीटों की संख्या है कुल 230। इतने ही विधायक इस चुनाव में जीतकर सदन में पहुंचे हैं और अप्रैल में कुल पांच सीटों पर राज्यसभा चुनाव होने हैं तो अब सबसे पहले राज्यसभा की सीट में एक जोड़ दीजिए। यानी उसे मान लीजिए छह। अब आपको 230 की संख्या को 6 से भाग देना है और जो रिजल्ट आपको मिलेगा उसमें फिर एक जोड़ देना है। बस ये सिंपल सा फॉर्मूला लगाइए और खुद जान लीजिए कि एक-एक राज्यसभा सीट के लिए एमपी में कितने वोटों की दरकार होगी और किसका पलड़ा भारी होगा।

कांग्रेस का एक फैसला उसे सत्ता से बेहद दूर ले गया

राज्यसभा चुनाव में विधायक सभी सीटों के लिए वोट नहीं करते हैं। एक विधायक एक ही बार वोट दे सकता है। विधायक प्राथमिकता के आधार पर वोट देते हैं। उनको बताना होता है कि उनकी पहली पसंद कौन है और दूसरी कौन। पहली पसंद के वोट जिसे मिलेंगे, उसे जीता माना जाता है। जिस तरह विधायकों को अपनी पहली और दूसरी पसंद चुननी पड़ती है। उसी तरह पार्टियों को भी अपनी पहली और दूसरी पसंद चुननी होती है। यही पसंद साल 2020 में कांग्रेस का तख्तापलट होने का कारण बन गई थी। कांग्रेस ने इस बात की गहराई को नहीं समझा और एक फैसला उसे सत्ता से बेहद दूर ले गया। जिसका खामियाजा कांग्रेस आज तक भुगत रही है।

कांग्रेस में एक सीट के लिए छटपटाहट बढ़ती ही जा रही थी

इसे आप मार्च 2020 की स्थिति से समझ सकते हैं। एक राज्यसभा सीट पर खींचतान की वजह से एमपी की राजनीति में भूचाल ला दिया था। साथ ही 15 महीने के अंदर कमलनाथ की सरकार गिर गई थी। मार्च 2020 के राज्यसभा चुनाव में तीन सीटें खाली हुई थीं। 114 विधायकों वाली कांग्रेस दो सीट आसानी से जीत सकती थी। दो राज्यसभा की सीटों के लिए कांग्रेस को दो वोट की जरूरत थी। वहीं, कांग्रेस के दावेदारों को सेफ सीट की तलाश थी। यही तलाश झगड़े में तब्दील में हो गई। कांग्रेस ने सेफ सीट दिग्विजय सिंह को दी और दूसरी सीट ज्योतिरादित्य सिंधिया को दी। जबकि उस वक्त जीत के पोस्टर बॉय बने ज्योतिरादित्य सिंधिया पार्टी से एक सम्माननीय कमबैक देने की उम्मीद कर रहे थे। मोदी की आंधी में लोकसभा चुनाव वो हार चुके थे और दिन पर दिन एक मुफीद पद के लिए उनकी छटपटाहट बढ़ती ही जा रही थी। लेकिन कांग्रेस ने उन्हें समय रहते सही जगह नहीं सौंपी और उन्होंने पार्टी से ही किनारा कर लिया। इसके बाद सिंधिया बीजेपी में शामिल हो गए। बीजेपी में आते ही पार्टी ने उन्हें राज्यसभा का टिकट दे दिया। फिलहाल उनका कार्यकाल अभी 2026 तक है। दिग्विजय सिंह भी 2026 तक ही राज्यसभा में रहेंगे।

राज्यसभा की 11 सीटों में से 8 पर बीजेपी और 3 पर कांग्रेस का कब्जा

एक बार फिर रुख करते हैं राज्यसभा में बीजेपी की ताकत का। जो अब कैसे बढ़ेगी इसका भी गणित समझाता हूं। शुरूआत मध्यप्रदेश से मध्य प्रदेश में राज्यसभा की 11 सीटें हैं। आठ पर बीजेपी और तीन पर कांग्रेस का कब्जा है। इनमें से पांच सीटें अप्रैल में खाली हो रही हैं। इन सीटों पर अभी बीजेपी के धर्मेंद्र प्रधान, एल मुरुगन, कैलाश सोनी और अजय प्रताप सिंह हैं। प्रधान और मुरुगन केंद्रीय मंत्री हैं। कांग्रेस से राजमणि पटेल का कार्यकाल खत्म होने वाला है। एमपी से बीजेपी के राज्यसभा सांसद में ज्योतिरादित्य सिंधिया, सुमिज्ञा वाल्मिकी, कविता पाटीदार और सुमेर सिंह सोलंकी हैं। सुमेर सिंह सोलंकी का कार्यकाल 2026 तक है कविता पाटीदार और सुमित्रा वाल्मीकि का कार्यकाल 2028 तक है। बात करें कांग्रेस की तो यहां से राज्यसभा में विवेक तन्खा, दिग्विजय सिंह और राजमणि पटेल हैं। पटेल का कार्यकाल अप्रैल 2024 में खत्म हो रहा है। दिग्विजय सिंह का 2026 और विवेक तन्खा का 2028 में खत्म होगा।

एक नया रिकॉर्ड भी बीजेपी दर्ज कर सकती है

अब बात करते हैं ओवरऑल राज्यसभा की। जहां बीजेपी एक रिकॉर्ड बना चुकी है। सबसे ज्यादा सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी होने का और अब एक नया रिकॉर्ड भी बीजेपी दर्ज कर सकती है। हालांकि, ये रिकॉर्ड बनाने के लिए बीजेपी को दो साल का वेट करना पड़ सकता है। लेकिन रिकॉर्ड के बीच में कोई बड़ा रोड़ा नहीं है। ये समझ लीजिए कि विधानसभा चुनाव में जीत से सिर्फ राज्यों में ही बीजेपी को नई ताकत नहीं मिली है बल्कि, इससे देश के उच्च सदन यानी कि राज्यसभा में भी बीजेपी की ताकत बढ़ने वाली है। जहां दलीय गणित तेजी से बदलने वाला है। जीत का फायदा उठाते हुए बीजेपी की सदस्य संख्या सौ या उससे भी ज्यादा हो सकती है। हालांकि, इसके लिए पार्टी को 2026 तक का इंतजार करना होगा। मौजूदा समय में राज्यसभा में बीजेपी के पास कुल 94 सीटें हैं, जबकि उसकी अगुवाई वाले एनडीए गठबंधन के पास कुल 108 सीटें हैं।

जीते हुए तीन राज्यों में सबसे ज्यादा यानी कि 11 सीटें मध्यप्रदेश में है, जहां अभी आठ सीटों पर बीजेपी और तीन सीटों पर कांग्रेस काबिज है। इसी तरह राजस्थान की कुल दस सीटों में अभी छह सीटों पर कांग्रेस काबिज है, जबकि चार सीटें बीजेपी के पास है और छत्तीसगढ़ की राज्यसभा की कुल पांच सीटों में से अभी चार सीटों पर कांग्रेस और एक सीट पर भाजपा काबिज है। लेकिन अब ये समीकरण बदलने वाले हैं और राज्यसभा में बीजेपी का पलड़ा और भारी होने वाला है।

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