वेंकटेश कोरी, JABALPUR. मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के खत्म होने के बाद अब जनता पर एक बार फिर आर्थिक बोझ लादने की तैयारी की जा रही है। चुनाव के समय तो सियासी दलों ने बिजली उपभोक्ताओं से लुभावन वादे किए थे, लेकिन चुनाव के खत्म होने के बाद बिजली कंपनियों ने उपभोक्ताओं से जमकर वसूली का खाका तैयार कर लिया है।
कंपनियों ने आयोग को 5% तक बिजली दरें बढ़ाने दिया प्रस्ताव
मध्य प्रदेश पावर मैनेजमेंट कंपनी से जुड़ी बिजली कंपनियों ने मध्य प्रदेश विद्युत नियामक आयोग को तीन से पांच फीसदी बिजली दरों में बढ़ोतरी का प्रस्ताव भेजा है। अगर इस प्रस्ताव पर मुहर लगती है तो प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं को बढ़ी हुई दरों का करंट लग सकता है। दरअसल, यह पूरा खेल कलेक्शन एफिशिएंसी से जुड़ा है यानी जितनी बिलिंग होती है उसकी शत प्रतिशत वसूली को आदर्श स्थिति माना जाता है, लेकिन प्रदेश के हालात ऐसे हैं कि एफिशिएंसी कलेक्शन में 30% की गिरावट आई है जिसका सीधा मतलब यह है कि इसकी भरपाई के लिए बिजली कंपनियां अब आम उपभोक्ताओं से वसूली करेंगी।
प्रस्ताव पर 120 दिन में फैसला नहीं तो...
बिजली कंपनियों ने विद्युत नियामक आयोग को नवंबर माह में दरों में बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया है। विद्युत अधिनियम की धारा 64 के मुताबिक आयोग में प्रस्ताव भेजने के 120 दिनों तक यदि इस पर फैसला नहीं लिया गया तो प्रस्ताव को पास माने जाने का प्रावधान है, ऐसी सूरत में उपभोक्ता संगठनों ने अपनी आवाज बुलंद करना शुरू कर दिया है। जबलपुर में नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच ने बिजली दरों में बढ़ोतरी के प्रस्ताव की खिलाफत शुरू कर दी है और इस सिलसिले में मंच ने विद्युत नियामक आयोग और प्रदेश सरकार के समक्ष अपनी आपत्ति दर्ज करा दी है।
कुप्रबंधन के कारण रेट बढ़ाने की नौबत
दरअसल, मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के खत्म होने के बाद कंपनियों को अपनी माली हालत का ख्याल आया है। इसी वजह से कंपनियों ने बिजली की दरों में बढ़ोतरी की योजना बनाई है। जानकारों का कहना है कि कंपनियों के आर्थिक कुप्रबंधन के चलते ही बिजली के रेट बढ़ाने की नौबत आई है। जानकारों की माने तो बिजली कंपनियों की आमदनी और खर्च के बीच का रेवेन्यू का अंतर बढ़ गया है। जिससे आने वाले दिनों में बिजली की दरों में बढ़ोतरी की आशंका जताई जा रही है।
कंपनियों को लेना है सरकार से भारी राशि
बिजली कंपनियों को मध्य प्रदेश सरकार से भी 13000 करोड़ रुपए की भारी भरकम राशि लेनी है। जो सरकार अब तक नहीं दे पा रही है। माना जा रहा है कि अगर विभिन्न योजनाओं के मद की 13000 करोड़ की राशि बिजली कंपनियों को मिल जाती है तो संभवत: बिजली उपभोक्ताओं को काफी राहत मिल सकती है।