JAGDALPUR. छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले के नगरनार में निर्माणाधीन एनएमडीसी स्टील प्लांट से निकलने वाले दूषित पानी को खेतों में छोड़े जाने का मामला सामने आया है। दूषित पानी के खेतों में पहुंचने के बाद किसानों ने प्लांट के खिलाफ के किसानों ने मोर्चा खोल दिया है। किसानों का आरोप है कि प्लांट का दूषित पानी उनके खेतों में छोड़ा जा रहा है जिस वजह से खेती की जमीन बर्बाद हो रही है। इस मामले को लेकर प्रभावित किसानों ने सोमवार को जगदलपुर पहुंचकर विधायक रेखचंद जैन से मदद की गुहार लगाई है, साथ ही प्लांट प्रबंधन से उचित मुआवजा दिलाने की मांग की है। वहीं ऐसा नहीं होने पर आंदोलन करने की चेतावनी दी।
प्रबंधन के पास दूषित पानी की निकासी की व्यवस्था नहीं
किसानों का आरोप है कि एनएमडीसी स्टील प्लांट प्रबंधन के पास दूषित पानी की निकासी की कोई व्यवस्था नहीं है जिसके कारण प्लांट के गेट नंबर 3 से दूषित पानी उनके खेतों में छोड़ा जा रहा है। करीब 400 एकड़ खेत प्लांट के दूषित पानी से बर्बाद हो चुके हैं, जिससे किसान चिंता में हैं, किसानों का कहना है कि गंदे पानी की वजह से उनके खेतो में फसल नहीं उग पाएगी।
दूषित पानी से बर्बाद हो रही उपजाऊ भूमि
नगरनार के सरपंच लैखन बघेल ने बताया कि एनएमडीसी स्टील प्लांट बनकर तैयार होने वाला है लेकिन एनएमडीसी प्रबंधन के द्वारा प्लांट से निकलने वाले दूषित पानी की निकासी के लिए कोई व्यवस्था नहीं की है। प्लांट के गेट नंबर -3 से आयरन युक्त लाल पानी छोड़ा जा रहा है, बड़ी मात्रा में पानी छोड़े जाने की वजह से आसपास के किसानों के पूरी उपजाऊ भूमि बर्बाद हो रही है। कई किसान कर्ज में डूबकर खेती-बाड़ी कर रहे हैं ऐसे में प्लांट प्रबंधन ने बिना कोई जानकारी के और बिना सोचे-समझे अपने प्लांट का पूरा दूषित पानी उनके खेतो में छोड़ दिया है।
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मुआवजा नहीं मिलने पर आंदोलन की चेतावनी
किसानों की शिकायत के बाद विधायक रेखचंद जैन ने किसानों को नुकसान के आंकलन के बाद उचित मुआवजा राशि दिलाने का आश्वासन दिया है। किसानों का कहना है कि उन्हें एक क्विंटल के लिए 2500 रुपए पर मुआवजा दिया जाना चाहिए और अगर ऐसा नहीं हुआ तो प्रभावित सभी किसान आंदोलन के लिए बाध्य होंगे। इधर, विधायक रेखचंद जैन ने एनएमडीसी प्लांट प्रबंधन से बात की है, विधायक का कहना है कि प्लांट प्रबंधन पहले ही किसानों की जमीन को औने-पौने दाम में खरीद लिया है, और अब जो थोड़ी बहुत खेती के लिए जमीन किसानों के पास बची हुई है उसमें प्लांट से निकलने वाला दूषित पानी छोड़ा जा रहा है।