राजस्थान में साहित्य के मीरा पुरस्कार पर विवाद, वरिष्ठ पत्रकार ओम थानवी ने उठाए सवाल, कहा-कुत्ते पर लिखी डायरी साहित्यिक रचना नहीं

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Chandresh Sharma
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राजस्थान में साहित्य के मीरा पुरस्कार पर विवाद, वरिष्ठ पत्रकार ओम थानवी ने उठाए सवाल, कहा-कुत्ते पर लिखी डायरी साहित्यिक रचना नहीं

Jaipur. राजस्थान में अब साहित्य अकादमी के पुरस्कार भी पक्षपात और उपकृत करने का जरिया बन चुके हैं। दरअसल साहित्य अकादमी का सर्वोच्च सम्मान मीरा पुरस्कार कुत्ते की यादों पर लिखी एक पुस्तक के रचनाकार डॉ आरडी सैनी को मिलने के बाद यह बात जोर पकड़ रही है। इस सम्मान के साथ सैनी को 75 हजार रुपए की राशि भी मिलेगी। बता दें कि आर डी सैनी राजस्थान लोकसेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष रहे हैं और उन्होंने पद पर रहते हुए ही यह किताब लिखी थी। वहीं वरिष्ठ पत्रकार और हरिदेव जोशी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति ओम थानवी ने इस पुस्तक को साहित्यिक रचना तक मानने से इनकार कर दिया है। 



यह साहित्यिक रचना नहीं, छोटा-मोटा स्कैंडल समझिए



ओम थानवी ने कहा कि इस पुस्तक को साहित्यिक रचना नहीं कहा जा सकता है, क्योंकि यह डेढ़ माही डायरी में लिखी बातों का संकलन है। इसे छोटा-मोटा स्कैंडल समझिए। वहीं अकादमी के अध्यक्ष डॉ. दुलाराम सहारण ने कहा कि मीरा पुरस्कार देने का निर्णय मेरे अकेले का नहीं है। यह निर्णय पूरे निर्णायक मंडल का है। इधर सवाल उठ रहा है कि महान तपस्वी मीरा की भक्ति और भगवान कृष्ण के प्रति उनका प्रेम जगजाहिर है। जिन निर्णायकों ने कुत्ते की यादों पर लिखी पुस्तक को अकादमी का सर्वाेच्च पुरस्कार दिया है उनसे भक्त मीरा के अध्यात्म को समझने की बात करना बेमानी है, लेकिन निर्णायकों ने साहित्य के प्रति अपनी मानसिकता जरूरी दिखा दी है। 



पक्षपात पर किया जा रहा कटाक्ष




दरअसल आयोग में रहते हुए ही सैनी का घरेलू कुत्ते की मौत हो गई। सैनी इस कुत्ते को प्यार से ओलिव पुकारते थे। ओलिव से जुड़ी यादों को ही सैनी ने डेढ़ माह तक अपनी डायरी में लिखा। बाद में इसे पुस्तक का स्वरूप दिया। चूंकि आरडी सैनी सरकारी नौकरियां देने वाले आयोग के मुखिया थे, इसलिए पुस्तक का विमोचन भी अजमेर के जवाहर रंगमंच पर भव्य तरीके से हुआ। समारोह में अजमेर और प्रदेश के नामचीन साहित्यकारों ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। पुस्तक से ज्यादा सैनी की प्रशंसा की गई, क्योंकि वे प्रभावशाली पद पर बैठे थे। हो सकता है कि आरडी सैनी को अपने घरेलू कुत्ते से बहुत प्यार हो, लेकिन इससे तो अच्छा होता कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के चोटग्रस्त दोनों पैर के अंगूठों पर कोई पुस्तक लिख पुरस्कार प्राप्त कर लिया जाता। 



साहित्य अकादमी के अध्यक्ष पर भी साधा निशाना




बता दें कि 2009 से 2013 के कार्यकाल में ही अशोक गहलोत ने आरडी सैनी को राजस्थान लोक सेवा आयोग का सदस्य नियुक्ति किया था। दरअसल वरिष्ठ पत्रकार ओम थानवी लिखते हैं कि सैनी की आज भी गहलोत से अच्छी मित्रता है। इस मित्रता को देखते हुए ही साहित्य अकादमी के अध्यक्ष डॉ. दुलाराम सहारण को लगता है कि उन्हें इस बार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का टिकट मिल जाएगा। टिकट की उम्मीद में अकादमी का कोई भी पुरस्कार किसी भी पुस्तक को दिया जा सकता है।


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