BHOPAL. मध्यप्रदेश में भर्ती प्रक्रिया का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। महीनों से शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थी लगातार आंदोलन कर रहे हैं। हाल ही में पटवारी भर्ती भी विवादों में आई, जिसके बाद चयनित और गैर चयनित अभ्यर्थियों ने अलग—अलग आंदोलन किए। अब इसी कड़ी में एक और भर्ती शामिल हो गई है और वह है सब इंजीनियर पदों पर भर्ती। 27% ओबीसी आरक्षण के चक्कर में मेरिट में आने वाले 250 ओबीसी कैंडिडेट्स की नियुक्ति अटक गई है। युवा हल्ला बोल के प्रदेशाध्यक्ष अरूणोदय सिंह परमार ने बताया कि मेरिट होल्डर ओबीसी कैंडिडेट्स को न्याय दिलाने के लिए 4 अगस्त को भोपाल चलो कैंपेन चला रहे हैं। पहले सभी कैंडिडेट्स भोपाल के चिनार पार्क में इकट्ठा होंगे, इसके बाद सीएम हाउस के सामने धरना दिया जाएगा।
2557 पदों पर निकली थी भर्ती
कर्मचारी चयन मंडल द्वारा शासन के 31 विभाग संवर्गो में सब इंजीनियर एवं अन्य पदो पर भर्ती के लिए संयुक्त भर्ती परीक्षा नवम्बर 2022 को आयोजित की गई थी, जिसका रिजल्ट 10 फरवरी 2023 को आया। यह भर्ती 2557 पदों के लिए थी। इनमें अनारक्षित वर्ग के 656 पद, ईडब्ल्यूएस (10% आरक्षण) 233, एससी (16% आरक्षण) 405, एसटी (20% आरक्षण) 560 और अन्य पिछड़ा वर्ग यानी ओबीसी के लिए (27% आरक्षण) 703 पद आरक्षित किए गए थे।
यहां फंसा पेंच
हाईकोर्ट में ओबीसी आरक्षण विवाद का मामला विचाराधीन होने के बाद भी मध्यप्रदेश कर्मचारी चयन मंडल (ईएसबी) द्वारा आयोजित होने वाली भर्ती परीक्षाओं के रिजल्ट ओबीसी के 27 प्रतिशत आरक्षण के आधार पर रिजल्ट तैयार हो रहे हैं। यही सब इंजीनियर भर्ती में भी हुआ। मामला गहराया तो 26 जून 2023 को सामान्य प्रशासन विभाग ने बची हुई नियुक्तियों में विभागवार 13% सीटें ओबीसी की होल्ड करने का आदेश दे दिया। जबकि इस समय तक 22 विभागों की सम्पूर्ण चयन प्रक्रिया पूरी हो चुकी थी। मेरिट होल्डर ओबीसी कैंडिडेट दिव्या पटेल ने कहा कि इससे हुआ ये कि जिन विभागों के कटआफ हाई थे, वहां के ओबीसी मेरिट होल्डर की नियुक्तियां ही अटक गई। दिव्या पटेल की पीएचई विभाग में इसी कारण नियुक्ति होल्ड हो गई है।
वर्तमान नौकरी का त्यागपत्र भी ले लिया
कर्मचारी चयन मंडल ने रिजल्ट जारी कर वर्गवार मेरिट सूची विभागों को भेज दी थी। इसके बाद विभागों ने दस्तावेज सत्यापन करना शुरू किया। इस दौरान अभ्यर्थियों से वर्तमान नौकरी के त्यागपत्र भी ले लिए गए। अब जिन 250 मेरिट होल्डर ओबीसी कैंडिडेट्स की नियुक्ति अटक गई है, वे बेरोजगार हो गए हैं, क्योंकि त्यागपत्र देने से उनके पास वर्तमान में कोई नौकरी नहीं बची है। युवा हल्ला बोल के प्रदेशाध्यक्ष अरूणोदय सिंह परमार ने कहा कि शासन की इस दोषपूर्ण नीति के कारण हमने प्रदेशभर में राज्यपाल के नाम ज्ञापन भी दिया है।
कई विभागों ने 27% आरक्षण के साथ दे दी है नियुक्ति
मेरिट होल्डर ओबीसी कैंडिडेट दिव्या पटेल ने बताया कि नगर निगम, अर्बन डेवलपमेंट, वेयर हाउसिंग कॉर्पोरेशन, लोक निर्माण विभाग, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जैसे कई और विभागों ने ओबीसी 27% आरक्षण के साथ अपनी भर्ती प्रक्रिया पूरी भी कर ली। वहीं लोक स्वास्थ यांत्रिकी, जल संसाधन विभाग, ग्रामीण यांत्रिकी सेवा, हाउसिंग बोर्ड, जल निगम जैसे अन्य विभागों में 14% ओबीसी आरक्षण के साथ भर्ती प्रक्रिया की गई, शेष 13% ओबीसी के पदों को होल्ड कर दिया गया।
कम अंक वालों को ऐसे मिल गई नियुक्तियां
मेरिट होल्डर्स को नियुक्ति नहीं मिल पा रही है और उनसे कम नंबर प्राप्त करने वाले उम्मीदवारों को नियुक्ति मिल गई है। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि गाइडलाइन जारी होने के बाद रिजल्ट रिवाइज्ड किए बिना ही नियुक्ति पत्र जारी किए जाने लगे हैं। सामान्य प्रशासन विभाग ने इस भर्ती को लेकर 26 जून को गाइडलाइन जारी की। वहीं विभागों ने सब इंजीनियर के पद पद 30 जून को ओबीसी कैटेगरी के बॉटम के 13 प्रतिशत उम्मीदवारों की नियुक्ति रोक कर टॉप के 14 प्रतिशत पदों पर चयनित उम्मीदवारों को नियुक्ति पत्र जारी कर दिए। लेकिन, उम्मीदवारों का कहना है कि जीएडी गाइडलाइन भी सही तरीके से फॉलो नहीं की गई। एक पक्ष यह भी है रिजल्ट रिवाइज्ड किया जाता है। तो जिन्हें नियुक्ति मिली है वे होल्ड पर जा सकते थे, क्योंकि इनमें 16 विभाग 27 प्रतिशत आरक्षण के अनुसार 26 जून की गाइडलाइन के पहले नियुक्ति दी जा चुकी थी।
एक ही परीक्षा में दो आरक्षण लागू करना गलत
ओबीसी कैंडिडेट दिव्या पटेल ने कहा कि यह भर्ती परीक्षा 31 विभागों की संयुक्त रूप से थी। इसमें दो—दो आरक्षण लागू नहीं किया जा सकता। कहीं तो आपने 27 प्रतिशत आरक्षण के साथ भर्ती कर दी, तो कहीं 13 प्रतिशत पदों को होल्ड कर दिया। जब सरकार अपना 27 प्रतिशत आरक्षण का पक्ष सही तरीके से नहीं रखती तो भर्तियों में ओबीसी 27 प्रतिशत आरक्षण का नोटिफिकेशन जारी क्यों करती है। इससे हमारे जैसे कैंडिडेट्स का भविष्य में खतरे में पड़ जाता है।