Vidisha. विदिशा में स्वतंत्रता दिवस समारोह में स्थानीय सरपंच को ध्वजारोहण के लिए न बुलाए जाने का मामला सामने आया है। सरपंच दलित समाज से ताल्लुक रखता है, ऐसे में उसने स्कूल की प्राचार्य पर आरोप लगाया है कि वे दलित हैं इसलिए प्राचार्य उनसे चिढ़ती हैं इसलिए हर बार की परंपरा को बदलते हुए उन्होंने उन्हें ध्वजारोहण के लिए नहीं बुलाया और जनपद सदस्य से ध्वजारोहण करवा दिया। सरपंच के गंभीर आरोपों के बाद प्रशासन ने मामले की जांच कराने की बात कही है।
सिरोंज की भगवंतपुर पंचायत का मामला
यह मामला विदिशा जिले के सिरोंज की भगवंतपुर ग्राम पंचायत का है। गांव की परंपरा रही है कि पंचायत दफ्तर में ध्वजारोहण के बाद सरपंच स्थानीय सरकारी स्कूल में ध्वजारोहण करते चले आ रहे हैं। लेकिन इस बार दलित सरपंच बारेलाल अहिरवार को स्कूल ने आमंत्रित नहीं किया। सरपंच का कहना है कि स्कूल की मैडम मेरे दलित होने की वजह से चिढ़ती हैं, वे अक्सर कहती भी हैं कि तुम दलित हो तुम क्या जानो। आज तो उन्होंने गांव की परंपरा को धता बताकर जनपद सदस्य से ध्वजारोहण करा दिया। जबकि पंचायती राज अधिनियम के प्रावधानों में सरपंच को झंडा फहराने का अधिकार है।
एसडीएम ने जांच में लिया मामला
दलित सरपंच के गंभीर आरोपों की जानकारी लगने के बाद सिरोंज एसडीएम हर्षल चौधरी ने कहा है कि मामले की जांच कराई जाएगी। जांच में दोषी पाए जाने पर अग्रिम कार्रवाई होगी। भगवंतपुर पंचायत के सचिव अमीर हमजा ने बताया कि अभी तक यही चला आ रहा था कि पंचायत भवन में सरपंच ध्वजारोहण करते हैं फिर उसके बाद स्कूल में झंडा फहराते हैं। इसके लिए सरपंच को विधिवत सूचना दी जाती है। लेकिन सरपंच का कहना है कि इस बार उन्हें सूचना ही नहीं दी गई।
जातिगत अपमान के लगाए आरोप
सरपंच बारेलाल अहिरवार ने इस घटना को उनके पद और जाति का अपमान करार दिया है। साथ ही स्कूल की प्रिंसिपल पर कार्रवाई की मांग की है। उधर स्कूल प्राचार्या ने इस मामले में प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया। स्कूल शिक्षक नाम न छापने की शर्त पर कह रहे हैं कि जनपद सदस्य भी सम्माननीय पद है, यदि उन्होंने इस साल झंडा फहरा दिया तो इस बात को अनावश्यक तूल क्यों दिया जा रहा है। सरपंच ने पंचायत भवन में तो झंडा फहराया ही था।