BHOPAL. दमोह कलेक्टर और एसपी एक बार फिर चर्चा में हैं, कारण केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल का विरोध। पटेल ने दमोह जिला प्रशासन की पूरी वर्किंग पर ही सवाल उठा दिए हैं। पटेल ने एक आत्महत्या के मामले में जांच पर कहा कि उन्होंने दमोह पुलिस का बायकॉट कर दिया है। दमोह पुलिस ने उनके कार्यकर्ता पर बगैर जांच किए मुकदमा दर्ज किया है। न्याय मिलने तक दमोह पुलिस के किसी भी कर्मचारी की सेवाएं नहीं लेंगे।
क्या हुआ था जिस पर पटेल ने प्रतिक्रिय दी
बजरिया वार्ड 3 में 23 जून को राशन दुकान में सेल्समैन विक्रम का शव फंदे से लटका मिला था। उसके पास से से सुसाइड नोट मिला था। विक्रम ने धरमपुरा वार्ड की पार्षद के पति और नगरपालिका से सांसद प्रतिनिधि यशपाल ठाकुर, मोंटी रैकवार (भाजपा नेता), नरेंद्र परिहार और नर्मदा सूर्यवंशी पर प्रताड़ना का आरोप लगाया था। सुसाइड नोट में लिखा था कि आरोपी केंद्रीय मंत्री (प्रहलाद पटेल) का नाम लेकर राशन दुकान छीनने का प्रयास कर रहे हैं।
दमोह पुलिस को निशाने पर लिया
केंद्रीय मंत्री पटेल ने कहा कि नौजवान की मौत पर मेरी संवेदना है, लेकिन जो झूठे मुकदमे लगाकर या लगवाकर दबाव बनाना चाहते हैं, वह कान खोलकर सुन लें, उनके मनसूबे पूरे नहीं होंगे। दमोह की पुलिस ने जो किया है मुझे लगता है कि जल्दबाजी है। हैंड राइटिंग एक्सपर्ट से जांच ना हो जाने तक पुलिस को ऐसी कार्रवाई नहीं करनी थी। सुसाइड नोट में तो मेरा नाम भी लिखा है, फिर मुकदमा मुझ पर भी दर्ज होना चाहिए था। मैंने कहा था कि बारीकी से जांच होनी चाहिए, लेकिन इसके बाद भी पुलिस ने जल्दबाजी की। जब तक इन सब को न्याय नहीं मिल जाता मैं दमोह पुलिस की कोई भी सेवाएं नहीं लूंगा। निजी सुरक्षा को छोड़कर दमोह पुलिस का कोई भी कर्मचारी मेरे बंगले पर या मेरे साथ नहीं होगा।
मप्र के गृह मंत्री को करनी पड़ी जांच की घोषणा
विवाद के बढ़ने के बाद मप्र के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि केंद्रीय राज्यमंत्री प्रहलाद पटेल हमारी पार्टी के सम्माननीय और वरिष्ठ नेता हैं। उनकी भावनाओं का सम्मान करना हमारी जिम्मेदारी है। दमोह का जो मामला संज्ञान में आया है, उसे हमने गंभीरता से लिया है और तत्काल ही उसकी सीआईडी जांच के आदेश हो चुके हैं। जो जिम्मेदार होगा उसे बख्शा नहीं जाएगा।
इसके पहले गंगा जमना स्कूल केस
दमोह प्रशासन पिछले कुछ दिनों से चर्चा में बना हुआ है। यहां के गंगा जमना स्कूल की हिंदू छात्राओं के हिजाब में फोटो आने के बाद विवाद हुआ था। इस मामले की जांच की मांग की गई थी। लेकिन, जिला कलेक्टर और डीईओ ने इस स्कूल को क्लीन चिट दे दी थी। स्कूल के खिलाफ जांच की शुरुआत सीएम शिवराज सिंह चौहान के आदेश के बाद हुई। उसमें हिंदू बच्चों पर दबाव बनाकर दुआ पढ़वाना, हिंदू लड़कियों को हिजाब पहनाने और विदेशी फंडिंग तक के केस खुले। स्कूल से संबंधित कुछ लोग फिलहाल जेल में हैं। इतना ही नहीं स्कूल प्रबंधन द्वारा भू-माफिया की तरह सैकड़ों एकड़ जमीन दबाने के मामले भी सामने आए हैं।
विरोध प्रदर्शन करने वालों को जिला बदर की कार्रवाई का नोटिस
यह केस ठंडा भी नहीं हुआ था कि दमोह जिला कलेक्टर की तरफ से गंगा जमना स्कूल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने वालों को जिला बदर का नोटिस जे दिया गया। जिन लोगों को नोटिस जारी हुए थे उनमें हिंदू युवा वाहिनी जागरण मंच के नगर संयोजक कृष्णा तिवारी, बजरंग दल जिला संयोजक अनुराग यादव और आशीष शर्मा शामिल हैं। जानकारी के अनुसार कृष्णा तिवारी को धारा 111 की कार्रवाई को लेकर नोटिस दिया गया है। खास बात यह है कि तीनों ने गंगा जमुना के प्रबंधन को क्लीन चिट देने का विरोध किया था।