दमोह SP ने डायमंड सीमेंट के खिलाफ मामला EOW को भेजा, राजस्व विभाग की मिलीभगत से मृतक की जमीन हड़पने में संदिग्धता की पुष्टि

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Atul Tiwari
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दमोह SP ने डायमंड सीमेंट के खिलाफ मामला EOW को भेजा, राजस्व विभाग की मिलीभगत से मृतक की जमीन हड़पने में संदिग्धता की पुष्टि

BHOPAL. मृत व्यक्ति की जमीन अपने नाम कराने के मामले में डायमंड सीमेंट (माईसेम) की मुश्किलें बढ़ गई हैं। कंपनी के खिलाफ जांच के बाद दमोह एसपी ने जांच प्रतिवेदन आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्लयू) को भेज दिया है। साथ ही प्रतिवेदन में सीएसपी दमोह ने पुष्टि कर दी है कि रिकार्ड में हेराफेरी जैसी संदिग्धता प्रतीत हो रही है। दमोह एसपी ने ईओडब्ल्यू से ही आगे की कार्रवाई करने का आग्रह किया है।

 

दमोह पुलिस अधीक्षक ने 8 जून को ईओडब्ल्यू को इस बारे में पत्र लिखकर प्रतिवेदन संलग्न किया है। ईओडब्ल्यू ने 28 अप्रैल 23 को एसपी दमोह को जांच कराने के लिए कहा था। शिकायतकर्ता ने डायमंड सीमेंट के सीनियर जनरल मैनेजर, हाइडलबर्ग सीमेंट के प्रबंध निदेशक और राजेंद्र अग्रवाल को पक्षकार बनाया गया है। दमोह पुलिस द्वारा कंपनी की ओर से आपराधिक हेराफेरी का संदेह व्यक्त किए जाने के बाद यह सवाल खड़ा हो गया है कि कंपनी जिस जमीन पर अपनी लीज होने का दावा कर रही है, वह लीज कितनी वैधानिक है।



राजस्व विभाग ने कानून के मुताबिक कार्रवाई नहीं की

 

सीएसपी दमोह ने जांच में पाया कि शिकायतकर्ता अजित उज्जैनकर की लगातार शिकायतों के बाद भी राजस्व विभाग ने विधिसम्मत कार्रवाई नहीं की। साथ ही अनावेदकों, जिनमें डायमंड सीमेंट (माईसेम) भी शामिल है, की भूमिका संदिग्ध पाई गई। साथ ही रिकॉर्ड में भी हेराफेरी पाई गई। फरियादी ने गंभीर मामले की जांच ईओडब्ल्यू से ही कराने की इच्छा जताई। प्रतिवेदन के अनुसार, शिकायत में आरोप लगाया है कि कंपनी के तत्कालीन प्रबंधकों और उनके साथ जमीनी कामकाज करने वालों ने दस्तावेजों में हेराफेरी और कूटरचना करके जमीन का अंतरण कंपनी के नाम कर लिया है। सरकारी व राजस्व के अभिलेखों में भी हेराफेरी का आरोप लगाया है। अजित उज्जैनकर की शिकायत है कि उसके दादा नारायण राव के नाम की जमीन को आपराधिक षड़यंत्र करके हथिया लिया गया। 



शिकायतकर्ता ने बताई पूरी कहानी



शिकायतकर्ता का दावा है कि यह जमीन उसके दादा की थी और उन्होंने केवल खेती करने के लिए कुछ लोगों को दी थी। उसके दादा की मृत्यु 1965 में हो गई थी, लेकिन 1986-87 में कंपनी डायमंड सीमेंट के नाम इस जमीन का डायवर्जन कर दिया गया। जांच में पाया गया कि तत्कालीन पटवारी रामप्रसाद पटेल के द्वारा यह डायवर्जन 1996-97 में किया गया। राजस्व प्रकरण क्रमांक 98 (अ) (2) की एकतरफा सुनवाई करके यह हेराफेरी की गई। जब नारायण राव की मृत्यु 1965 में ही हो गई थी तो उनके स्थान पर मामले की सुनवाई में कोई फर्जी तरीके से उपस्थित हुआ होगा। डायवर्सन के संबंध मे कोई भी जानकारी 2020 तक अभिलेखों में दर्ज नहीं है।

 

अजित उज्जैनकर की शिकायत है कि धीरे-धीरे चले राजस्व मामलों की जानकारी भी उनके परिवार को नहीं दी गई। शिकायतकर्ता का यह भी आरोप है कि डायमंड सीमेंट को सदोष लाभ पहुंचाने के लिए ही यह सब किया गया। उन्हें वास्तविक खसरा नंबरों की जानकारी तक 2023 में दी गई।



शिकायतकर्ता के गंभीर आरोप

 

शिकायतकर्ता का यह भी दावा है कि 2009 में कंपनी का नाम हाइडलबर्ग सीमेंट इंडिया लि. हो गया है, लेकिन राजस्व खसरा अभिलेखों में डायमंड सीमेंट सीनियर मैनेजर ही लिखा हुआ है। शिकायतकर्ता का कहना है कि सरकार ने किसी भी औद्योगिक उपयोग के लिए उसके परिवार की जमीन का कभी अधिग्रहण नहीं किया और कंपनी ने षड़यंत्र करके उपरोक्त जमीन का अंतरण अपने नाम कर लिया। उज्जैनकर का यह भी कहना है कि राजस्व के रिकॉर्ड में षड़यंत्रपूर्वक हेराफेरी करने का काम आपराधिक कृत्य है और 477 ए के तहत इस पर कार्रवाई की जानी चाहिए। राजस्व के अधिकारियों पर प्रश्न खड़ा किया गया है। प्रतिवेदन में शिकायतकर्ता के हवाले से कहा गया है कि ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट 52 का भी उल्लंघन किया गया है।



ये बोले अफसर?



कलेक्टर मयंक अग्रवाल का कहना है कि यह मामला हमारे संज्ञान में नहीं है, मैं कुछ नहीं कह सकता। इस संबंध में दमोह SP राकेश सिंह से फोन पर बात हुई। उनका कहना है कि मामला हमारे संज्ञान में है, पर शिकायतकर्ता ने जांच यहां से ना करा कर आर्थिक शिकायत प्रकोष्ठ से जांच कराने की बात कही थी। 


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