11 जून काे प्रगतिशील कांग्रेस की घाेषणा मुश्किल, अगर सचिन नई पार्टी की घोषणा करते हैं ताे करना पड़ सकता है इन मुश्किलाें का सामना

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Chakresh
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11 जून काे प्रगतिशील कांग्रेस की घाेषणा मुश्किल, अगर सचिन नई पार्टी की घोषणा करते हैं ताे करना पड़ सकता है इन मुश्किलाें का सामना

Jaipur. 11 जून काे राजेश पायलट की पुण्यतिथि पर नई पार्टी “प्रगतिशील कांग्रेस” की घाेषणा दूर की काैड़ी साबित हाे सकती है। दरअसल कांग्रेस के बागी सचिन पायलट की राह में कई राेड़े हैं। नई पार्टी गठन के नियम- कायदे ही ऐसे हैं कि पांच से छह माह का समय लगना सामान्य बात है। साथ ही अगर सचिन पायलट 11 जून को यह घोषणा करते हैं कि वे नई राजनीतिक पार्टी बनाएंगे तो उन्हें कांग्रेस से इस्तीफा देना ही पड़ेगा। इसके अलावा जमीनी स्तर पर भी कई तरह की व्यवहारिक परेशानियां हैं…





केंद्रीय चुनाव आयोग में नहीं कराई पार्टी रजिस्टर





पूरे राजस्थान में किसी ने भी पिछले एक साल में केंद्रीय चुनाव आयोग (दिल्ली) में नई पार्टी रजिस्टर्ड नहीं की है। इससे पहले साल 2003, 2008, 2013 और 2018 में किसी न किसी पार्टी का रजिस्ट्रेशन हुआ था।  अगर पायलट ऐसा करते भी हैं, तो फिर चुनाव तक उनके पास एक नई पार्टी के लिए आवेदन और रजिस्ट्रेशन करवाने का दबाव होगा। चुनाव आयोग आम तौर पर 3-4 महीने का समय लेता है किसी नई पार्टी को मान्यता देने के लिए। पायलट के पास पार्टी के संगठन को खड़ा करने, कार्यकारिणी बनाने और प्रचार- प्रसार करने के लिए भी कोई समय अब बचा नहीं है। 





ठप्पा लगने का डर





सचिन पायलट गुर्जर समुदाय से आते हैं। राजस्थान में गुर्जर समाज के 5 से 6 प्रतिशत वाेट माने जाते हैं। जयपुर और उसके आसपास के इलाकाें में यह समुदाय बड़ी संख्या में है। करीब 40 सीटाें पर गुर्जर अपना प्रभाव रखते हैं। सचिन पायलट जाेकि अभी प्रदेश के ओजस्वी नेता के रूप में स्वीकार्य हैं और उनकाे कांग्रेस के भविष्य के सीएम के रूप में देखा भी जा रहा है। नई पार्टी बनाते ही पायलट पर गुर्जराें का नेता हाेने का ठप्पा लग सकता है। ऐसे में अगर वे गुर्जर बाहुल्य सभी 40 सीटाें पर अपनी पार्टी काे जितवा भी देते हैं ताे भी उनके मुख्यमंत्री बनने की संभावनाएं क्षीण ही रहेंगी। 





भाजपा भी नहीं चाहती नई पार्टी





गुर्जर समुदाय काे मूल रूप से भारतीय जनता पार्टी का वाेटर माना जाता है। सचिन पायलट के पार्टी बनाने से बड़ी नुकसान भाजपा काे ही हाेगा। वाेटाें का बंटवारा अंतत: कांग्रेस काे ही फायदा पहुंचाएगा। ऐसे में कांग्रेस से बाहर जाकर नई पार्टी बनाना किसी भी नजरिए से फायदे का साैदा साबित नहीं हाेगा। 



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