REWA. भोपाल के रातीबड़ में सामूहिक आत्महत्या मामले में नई खबर सामने आ रही है। मृतक भूपेंद्र विश्वकर्मा समेत पूरे परिवार के शव उनके रीवा जिले के पैतृक गांव अंबा पहुंचाए गए हैं। एक साथ परिवार के चार सदस्यों भूपेंद्र विश्वकर्मा, पत्नी और दोनों बच्चों को खोने से परिजनों सहित पूरा गांव निराश और आक्रोशित भी है। उनका आरोप है कि यह आत्महत्या नहीं, बल्कि हत्या है। इस मामले की CBI जांच होनी चाहिए।
नेशनल हाईवे पर शव रखकर चक्काजाम
ग्रामीणों ने चारों शवों को जबलपुर-प्रयागराज नेशनल हाईवे पर रखकर चक्काजाम शुरू कर दिया। इस दौरान हाईवे पर वाहनों की लाइन लगी रही, जिससे लोगों को दिक्कत का सामना भी करना पड़ा। स्थानीय ग्रामीणों ने मांग की है कि मृतक के परिवार को एक करोड़ रुपए मुआवजा के तौर पर देने के साथ ही परिवार में एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए। चक्काजाम कर रहे ग्रामीणों की जानकारी मिलते ही SDM अनुराग तिवारी, CSP शिवाली चतुर्वेदी, चोरहटा थाना प्रभारी अवनीश पाण्डेय, महिला थाना प्रभारी निशा मिश्रा और यातायात सूबेदार अखिलेश कुशवाहा के साथ अन्य भी पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे।
मध्यप्रदेश के भोपाल के रातीबड़ में भूपेंद्र विश्वकर्मा ने लोन से तंग आकर अपने दोनों बच्चों और बीवी के साथ सुसाइड कर ली थी। जिसके बाद परिजन चारों के शव लेकर पैतृक गांव अंबा पहुंचे। शुक्रवार की सुबह अर्थी अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाट रवाना हुईं, लेकिन परिजन शव लेकर हाईवे पर बैठ गए। परिजन ने मामले की CBI जांच की मांग की है।
परिजन का आरोप: हत्या की गई
मृतक के परिजन ने आरोप लगाया है कि यह आत्महत्या नहीं, बल्कि हत्या है। घर का दरवाजा तोड़कर चारों लोगों की हत्या की गई है। परिजन ने बताया कि घटना से एक महीने पहले भोपाल साइबर सेल को इससे संबंधित एक शिकायत की गई थी, लेकिन कुछ नहीं किया गया। परिजनों ने आगे बताया कि प्रशासन ने 10 हजार रुपए मुआवजा के तौर पर दिया जा रहा है। मुआवजे की रकम को लेकर प्रदर्शनकारियों ने जिला प्रशासन और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और बीजेपी के खिलाफ नारेबाजी की।