संजय गुप्ता, INDORE. बीजेपी जहां आदिवासी वर्ग को अपने साथ लाने में जी-जान से जुटी है, वहीं इस वर्ग द्वारा लगातार सरकार और उसकी नीतियों को घेरा जा रहा है। शुक्रवार (28 जुलाई) को कलेक्ट्रेट में बरसते पानी के दौरान युवाओं ने प्रदर्शन किया, इनकी मुख्य मांग है कि आदिवासियों के लिए आरक्षित पदों में विशेष पिछड़ी जनजाती बैगा, भारिया और सहरिया को उनकी जनंसख्या के अनुपात में ही आरक्षण मिले, अभी कई पदों पर उन्हें सीधी भर्ती की छूट है, ऐसे में आदिवासियों के लिए आरक्षित सभी पद वही ले जाते हैं। यह भी कहा कि साल 2022 में आयोजित प्राथमिक चयन परीक्षा में 50 फीसदी अंक लाने को अनिवार्य किया गया था, इस शर्त को हटाने की मांग लंबे समय से कर रहे हैं लेकिन कुछ नहीं हो रहा है। इन्होंने नारे लगाए कि ना चोर हूं, ना चौकीदार हूं, साहब मैं एक आदिवासी बेरोजगार हूं। मांगों को लेकर उन्होंने सीएम शिवराज सिंह चौहान के नाम ज्ञापन भी दिया।
इस शर्त के कारण खाली पड़े हैं चार हजार पद
संविदा वर्ग तीन के पदों के लिए यह मांग की गई है। छात्रों का कहना है कि परीक्षा में 50 फीसदी अंक लाने की शर्त के चलते आदिवासी समाज के लिए आरक्षित चार हजार से ज्यादा पद खाली है। क्योंकि यह सेक्टर गरीबी से आता है और ना इनके पास कोचिंग की सुविधा होती है और ना ही यह शहरों में आकर तैयारी कर पाते हें। ऐसे में इस अंक की शर्त को 50 से घटाकर 40 फीसदी किया जाए। अजजा छात्रों ने कहा कि शिक्षक भर्ती परीक्षा में 2005, 2009 और 2019 में भी इसी तरह 40 प्रतिशत अंकों पर भर्ती दी गई थी। गुस्साए लोगों का कहना है जांच के नाम लेतलाली चल रही है तथा योग्य होने के बावजूद उन्होंने नौकरियां नहीं मिल रही है।
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आदिवासी छात्र-छात्राओं की ये हैं मांगें
- इन लोगों की मांगें हैं कि बैगा, भारिया व सहारिया भर्ती कानून में संशोधन किया जाए और इसमें सीधी भर्ती बंद की जाए। अभी नियम है कि विशेष पिछड़ी जनजाती समूह इसमें बैगा, सहरिया व भारिया आते हैं, उन्हें कई परीक्षाओं में सीधी भर्ती की छूट है, इसके चलते सभी पद इन्हीं से भर जाते हैं।