BJP नेता ने बेटी को दिल्ली से धार मतदाता सूची में शिफ्ट कराया, समंदर के साथ यादव भी दावेदार, कांग्रेस से गौतम और बुंदेला में लड़ाई

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The Sootr CG
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BJP नेता ने बेटी को दिल्ली से धार मतदाता सूची में शिफ्ट कराया, समंदर के साथ यादव भी दावेदार, कांग्रेस से गौतम और बुंदेला में लड़ाई

संजय गुप्ता, INDORE. धार जिले की सात सीट में से साल 2018 में छह सीट जीतने वाली कांग्रेस के साथ ही बीजेपी के लिए भी इस बार धार जिला काफी अहम होने जा रहा है। खासकर धार सीट जो कांग्रेस के हाथ में नहीं आई, यहां के लिए कांग्रेस के दावेदार भिड़ रहे हैं तो बीजेपी इस सीट को बचाए रखने में लगी है। दोनों ही दलों से कई दावेदारों के बीच लड़ाई चल रही है। धार सीट मूल रूप से एक-दूसरे को निपटाने वाली सीट रही है। यहां आपसी खींचतान इतनी है कि एक को टिकट मिला तो उसी पार्टी का दूसरा व्यक्ति निपटाने में लग जाता है। 





वर्मा के कदम से चर्चा में आई धार सीट





धार से बीजेपी के वरिष्ठ नेता विक्रम वर्मा की पत्नी नीना वर्मा विधायक हैं। वह इस बार भी सीट की दावेदार हैं लेकिन यदि पार्टी ने युवा प्रत्याशी की बात रखी तो इसके लिए भी वर्मा ने अभी से बैकअप प्लान कर दिया है और अपनी दिल्ली की मतदाता सूची में रजिस्टर्ड बेटी स्वाति प्रवेश वर्मा को धार की मतदाता सूची में रजिस्टर्ड करा दिया है। यानि वर्मा परिवार से टिकट का एक नया दावेदार तैयार हो गया है। वर्मा के इस राजनीतिक स्ट्रोक से बीजेपी के बाकी दावेदारों में खलमली मच गई है। 





दूसरे दावेदार राजीव यादव की छवि समर्थकों ने ही बिगाड़ी





बीजेपी के पूर्व जिलाध्यक्ष राजीव उर्फ राजू यादव कुछ महीने तक टिकट के लिए बड़े दावेदार थे लेकिन जिलाध्यक्ष रहते हुए जिस तरह उनके समर्थकों के नाम जुए-सट्‌टे से लेकर जमीन के विवादित सौदे निपटाने में सामने आया, उससे अब उनकी स्थिति डांवाडोल हो गई है। हालांकि, बीजेपी मंत्री विश्वास सारंग के साथ ही बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के वह काफी करीबी माने जाते हैं और इसी के भरोसे वह टिकट की दावेदारी में भी जुटे हैं। लेकिन पार्टी ने हाल ही में उन्हें जिलाध्यक्ष पद से हटा दिया था।





समंदर पटेल उभर कर आए बड़े दावेदार-





इसी बीच अब समंदर सिंह पटेल तेजी से बड़े दावेदार के रूप में धार में उभरे हैं, अपनी साफ छवि के साथ ही काम करने वालों की लंबी टीम के कारण वह पार्टी की नजरों में आ गए हैं। साल 2020 के उपचुनाव के दौरान वह दत्तीगांव के लिए जमकर जुटे थे और उनके साथ ही बीजेपी में आ गए थे। उटावद क्षेत्र में उनकी पकड़ होने के साथ ही जातिगत समीकरण भी उनके पक्ष में जा रहे हैं। उनकी बहू जिला पंचायत उपाध्यक्ष हैं। अविवादित कार्यशैली के साथ ही मजबूत मैदानी पकड़ के चलते उनका नाम तेजी से दावेदारों में ऊपर आ गया है। इसके साथ ही बीजेपी से प्रदेश किसान मोर्चौ के दिलीप पंटोदिया का नाम भी चल रहा है। लेकिन मुख्य दावेदारी अब वर्मा परिवार और पटेल के बीच ही मानी जा रही है। वर्मा परिवार आसानी से यह टिकट दूसरे को नहीं जाने देगा, ऐसे में पार्टी यादव या पटेल जिसे भी टिकट देगी तो भीतरघात का खतरा होने वाला है। वहीं वर्मा परिवार को मिला तो बाकी उम्मीदवार भी चुप नहीं बैठेंगे।





कांग्रेस में गौतम परिवार के साथ बुंदेला बड़े दावेदार-





उधर कांग्रेस की बात करें तो हत्या के प्रयास में मिली सात साल की सजा पर रोक के बाद बालमुकुंद गौतम फिर तगड़े दावेदार हो गए हैं। हालांकि, यह भी बात चल रही है कि यदि आगे उनके केस के चलते समस्या नहीं आए, इसलिए उनकी पत्नी प्रभा को आगे बढ़ाया जाए। वहीं उनके भाई मनोज गौतम का भी दावेदारी में नाम चलता है। गौतम परिवार पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह का करीबी है, ऐसे में उनका नाम आगे हैं, लेकिन वहीं कमलनाथ मप्र कांग्रेस के महासचिव कुलदीप बुंदेला के पक्ष में हैं। यदि पार्टी साफ छवि को लेकर आगे बढ़ती है तो ऐसे में कांग्रेस से बुंदेला का नाम आगे बढे़गा। बुंदेला कांग्रेस के पूर्व विधायक मोहन बुंदेला के बेटे हैं। उनके निधन के बाद से ही पार्टी में गौतम और बुंदेला के बीच आपस में ही लड़ाई जारी है, जिसके चलते कांग्रेस के हाथ यह सीट नहीं लग रही है। 





धार जिले की दो सीट घोषित कर चुकी है बीजेपी, शेखावत से बदनावर चुनाव रोचक हुआ





बीजेपी लगातार हार रही डी कैटेगरी की सीट में से धार जिले की दो सीट धरमपुरी और कुक्षी पर दावेदार पहले ही घोषित कर चुकी है, धरमपुरी से पूर्व विधायक कालू सिंह ठाकुर को उतारा गया है, जहां से अभी कांग्रेस विधायक पांछीलाल मेड़ा हैं, वहीं कुक्षी से जयदीप पटेल को उतारा है जहां अभी कांग्रेस विधायक हनी बघेल हैं। बीजेपी से कांग्रेस में गए बदनावर के ही पूर्व विधायक भंवर सिंह शेखावत से बदनावर चुनाव भी अब रोचक हो गया है, यहां से सिंधिया के खास राजवर्धन दत्तीगांव बीजेपी के विधायक हैं। एक बार फिर वह मैदान में होंगे और सामने इस बार शेखावत का होना तय है, वह दत्तीगांव के सामने दो बार लड़े हैं। एक बार 2013 में जीते और 2018 में भीतरीघात के बाद हारे थे। वहीं धार की सरदारपुर, गंधवानी, मनावर सीट भी वर्तमान में कांग्रेस के ही पास है। 





सत्ता के लिए कांग्रेस-बीजेपी दोनों के लिए धार और खरगोन सबसे अहम-





कांग्रेस के लिए मालवा-निमाड़ की 66 सीटों में से धार जिला और खरगोन सबसे अहम साबित होने वाला है। धार में सात सीटे हैं और खरगोन में पांच विधानसभा सीट। साल 2018 के चुनाव में धार में कांग्रेस ने छह सीट जीती और केवल धार हारी थी और वहीं खरगोन की बात करें तो यहां की छह सीटों में कांग्रेस ने पांच जीती और एक निर्दलीय को मिली, यानि इन दोनों जिलों में 12 सीटों में से बीजेपी को मात्र एक सीट हासिल हुई और 11 हार गई, जो उसकी सत्ता से बेदखली की बड़ी वजह बना।



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