बीजेपी के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बनी धौलपुर सीट, पवन जैन के BJP में आते ही बदले समीकरण; वसुंधरा राजे की आंखों की किरकिरी बनीं शोभा

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Pratibha Rana
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बीजेपी के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बनी धौलपुर सीट, पवन जैन के BJP में आते ही बदले समीकरण; वसुंधरा राजे की आंखों की किरकिरी बनीं शोभा

संजय जगरिया, DHOLPUR. राजस्थान विधानसभा चुनाव में 4 महीने का वक्त बाकी है, इसलिए कुछ भी कहना अभी जल्दबाजी होगा, लेकिन हाल ही के हालातों से धौलपुर जिले की राजनीतिक तस्वीर एक आकार लेती जा रही है। जयपुर में 12 अगस्त को हुए बीजेपी के सदस्यता ग्रहण समारोह के बाद ये तस्वीर कुछ और साफ हुई है।



पूनावत को माना जाता है वसुंधरा राजे का करीबी



इस समारोह में मूल रूप से जिले के राजाखेड़ा कस्बे के निवासी और मध्यप्रदेश के पुलिस महानिदेशक पद से 31 जुलाई को रिटायर हुए पवन जैन ने भी बीजेपी की सदस्यता ली। उनके सगे चचेरे बड़े भाई विनोद बिहारी पूनावत RSS के प्रचारक और काफी समय तक भारतीय जनता पार्टी के धौलपुर के जिला अध्यक्ष रहे हैं। वर्तमान में वे राजाखेड़ा में ही रह रहे हैं। विनोद बिहारी पूनावत को भी वसुंधरा राजे का करीबी माना जाता है। जैन परिवार पिछले कुछ समय से राजाखेड़ा क्षेत्र में राजनीतिक दृष्टि से काफी सक्रिय था, जिससे उनके राजाखेड़ा क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतरने के कयास लगाए जा रहे थे, लेकिन सेवानिवृत्ति के सिर्फ 10 दिन बाद ही भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर सक्रिय राजनीति में आने के बाद उनके चुनाव में उतरने के कयासों की पुष्टि हो गई है।



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पवन के BJP जॉइन करते ही राजनीतिक समीकरणों में उलटफेर



सेवाकाल के दौरान मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, देश के गृह मंत्री अमित शाह सहित बीजेपी के अनेक वरिष्ठ नेताओं से उनके संबंधों के चलते और उनके परिवार की स्वयं सेवक संघीय पृष्ठभूमि कथा संघ के वरिष्ठ पदाधिकारियों से मेलजोल होने से राजनीतिक हलकों में उन्हें राजाखेड़ा क्षेत्र से बीजेपी का मजबूत प्रत्याशी माना जा रहा है। भारतीय जनता पार्टी के सूत्रों से छन-छनकर आ रही जानकारी भी इस बात को पुख्ता तौर पर हवा दे रही है। सिर्फ एक पवन जैन के बीजेपी जॉइन करते ही जहां जिले के राजनीतिक समीकरणों में भारी उलटफेर हुआ है। वहीं अनेक राजनेताओं के राजनीतिक भविष्य पर प्रश्न चिन्ह लग गया है। कुछ समय पहले तक जिले की चारों विधानसभा क्षेत्रों में जहां बीजेपी के पास ठोस उम्मीदवारों की कमी मानी जा रही थी। वहीं अब लगभग सभी जगह ठोस उम्मीदवारों की धुंधली-सी तस्वीर आकार लेती हुई दिख रही है। इन हालातों में दिखता है कि राजाखेड़ा से पवन जैन के प्रत्याशी होने की स्थिति में धौलपुर से कांग्रेस के पूर्व मंत्री रहे बनवारी लाल शर्मा की बहू नीरजा अशोक शर्मा प्रत्याशी हो सकती हैं।



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वसुंधरा राजे की आंखों की किरकिरी शोभा रानी



धौलपुर विधानसभा क्षेत्र इस बार बीजेपी के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया है। गत विधानसभा चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी के तौर पर विधायक चुनी गई शोभा रानी पार्टी सहित खुद वसुंधरा राजे के लिए आंखों की किरकिरी बनी हुई है। शोभा रानी बीजेपी विधायक होते हुए भी गत राज्यसभा चुनावों में क्रॉस वोटिंग कर गई थी। उसके इनाम के तौर पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उन्हें धौलपुर से कांग्रेस का प्रत्याशी बनाए जाने का ठोस आश्वासन दिया हुआ है। इसी वजह से धौलपुर से कांग्रेस टिकट की उम्मीद लगाए बैठे कई उम्मीदवार बीजेपी और बसपा में शामिल हो गए हैं। बनवारी लाल शर्मा जहां धौलपुर से 6 बार विधायक रहे हैं। वहीं गत विधानसभा चुनावों में उनके बेटे अशोक शर्मा राजाखेड़ा विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी प्रत्याशी के तौर पर चुनाव मैदान में थे और कांग्रेस प्रत्याशी वर्तमान विधायक रोहित बोहरा से लगभग 12 हजार वोटों से चुनाव हार गए थे। उन्हें धौलपुर से बीजेपी प्रत्याशी बनाए जाने का आश्वासन देते हुए पार्टी में शामिल कराया गया था, लेकिन ऐन वक्त पर बाड़ी विधानसभा क्षेत्र से सुप्रीम कोर्ट के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की सिफारिश पर तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के हस्तक्षेप के बाद जसवंत सिंह गुर्जर को टिकट देना पड़ा था। इससे बिगड़े जातीय और राजनीतिक समीकरणों को साधने के लिए मजबूरन पार्टी को अशोक शर्मा को राजाखेड़ा से उतारना पड़ा था, अन्यथा वसुंधरा राजे स्वयं धौलपुर जिले से प्रत्याशी होने की चाह में थीं और इसके संकेत उनके प्रमुख कारणों को दे दिए गए थे।



धौलपुर से एक प्रमुख प्रत्याशी हो सकती हैं वसुंधरा



वर्तमान में बीजेपी के नए समीकरणों को देखते हुए वसुंधरा राजे खुद भी धौलपुर से एक प्रमुख प्रत्याशी हो सकती हैं। वसुंधरा धौलपुर जिले से तभी प्रत्याशी होंगी, जब पूर्व मंत्री बनवारी लाल शर्मा की बहू भी बीजेपी की टिकट पर जिले के किसी एक विधानसभा क्षेत्र से प्रत्याशी हों और ऐसी स्थिति में नीरजा अशोक शर्मा धौलपुर के अलावा बाड़ी से भी प्रत्याशी हो सकती हैं। हालांकि वर्तमान में शिवचरण कुशवाहा को बाड़ी से बीजेपी का मजबूत दावेदार माना जा रहा है, लेकिन गत विधानसभा चुनाव के दौरान बने राजनीतिक गठबंधन के कारण नीरजा अशोक शर्मा का बाड़ी से प्रत्याशी होना काफी असंभव-सा प्रतीत होता है। हालांकि राजनीति में कुछ भी संभव और असंभव नहीं होता है। वर्तमान में उभरे राजनीतिक हालातों के चलते अगर बीजेपी की ओर से राजाखेड़ा से पवन जैन और कांग्रेस से वर्तमान विधायक रोहित बोहरा, धौलपुर से बीजेपी से नीरजा अशोक शर्मा और कांग्रेस से वर्तमान विधायक शोभा रानी और बाड़ी से बीजेपी से शिवचरण कुशवाह और कांग्रेस से वर्तमान विधायक गिर्राज सिंह मलिंगा प्रत्याशी रहते हैं तो हाल ही में कांग्रेस छोड़कर बसपा से उम्मीदवार घोषित किए गए बनवारी लाल के भतीजे रितेश शर्मा को चुनाव क्षेत्र बदलना होगा या घर बैठना होगा।



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12 सांसदों को विधानसभा चुनाव में उतार सकती है बीजेपी



इसी तरह कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए राजाखेड़ा से बीजेपी की टिकट पर एक बार विधायक रहे राजस्थान के पूर्व वित्त मंत्री प्रद्युमन सिंह के चचेरे भाई रविंद्र सिंह बोहरा और उनके बेटे विवेक सिंह के भी राजनीतिक भविष्य पर प्रश्न चिन्ह लग जाएगा। जिले की चौथी बसेड़ी विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित होने से ज्यादा चर्चित नहीं रही है, लेकिन बसेड़ी विधानसभा क्षेत्र का गठन होने के बाद पहली बार कांग्रेस से विजयी हुए अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष खिलाड़ी लाल बैरवा से बीजेपी अपनी परंपरागत सीट को हथियाने के लिए ठोस प्रत्याशी के रूप में करौली धौलपुर से वर्तमान सांसद डॉ. मनोज राजोरिया को अपना प्रत्याशी घोषित कर सकती है। हाल ही में बीजेपी नेतृत्व ने इस बात के संकेत भी दिए हैं कि वे करीब 12 सांसदों को विधानसभा चुनाव में उतारने का मानस बनाए हुए हैं। बसेड़ी विधायक खिलाड़ी लाल बैरवा पर बाहरी प्रत्याशी होने का ठप्पा लगा होने के कारण कांग्रेस किसी क्षेत्रीय व्यक्ति को प्रत्याशी बनाने पर पर भी गंभीरता से विचार कर रही है। यदि ऐसा होता है तो पिछले लोकसभा चुनाव में करौली धौलपुर से कांग्रेस के प्रत्याशी रहे संजय जाटव का दावा मजबूत हो सकता है। हालांकि विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी के मार्फत दीपक केन भी कड़े प्रयास में हैं।

 


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