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Panna. प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश में हीरों की खदानों के लिए पन्ना मशहूर है। अब इसकी प्रसिद्धि में उस वक्त चार चांद लग जाऐंगे जब यहां से निकलने वाले हीरे को जीआई टैग मिल जाएगा। इस प्रक्रिया के तहत खनन विभाग द्वारा भेजा गया आवेदन स्वीकृत हो गया है, माना जा रहा है कि आने वाले 4 से 5 महीनों में पन्ना के हीरे को जीआई टैग मिल जाएगा, जिसके बाद यहां का हीरा दुनिया में पन्ना डायमंड के नाम से बिकने लगेगा।
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टैग से बढ़ जाएगी कीमत
कलेक्टर संजय कुमार मिश्र ने बताया कि जीआई टैग मिलने से पन्ना के हीरो की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वैल्यू बढ़ेगी। जीआई ज्योग्राफिकल इंडिकेशन यानी भौगोलिक संकेत एक प्रतीक है, जो मुख्य रूप से किसी उत्पाद को उसके मूल क्षेत्र से जोड़ने के लिए दिया जाता है। जिस वस्तु को यह टैग मिलता है वह उसकी विशेषता बताता है। पन्ना के हीरों को जीआई टैग मिले इसके लिए ह्यूमन वेलफेयर सोसाइटी लखनऊ द्वारा चेन्नई स्थित संस्था में आवेदन किया गया था। भारत के वाणिज्य मंत्रालय के तहत काम करने वाली यह संस्था पूरी जांच पड़ताल और छानबीन के बाद जीआई टैग देती है। जीआई टैग मिलने से अंतरराष्ट्रीय बाजार में उस प्रोडक्ट की कीमत व महत्व बढ़ जाता है। पन्ना को डायमंड सिटी के नाम से भी जाना जाता है। जी आई टैग मिलने से पन्ना के हीरो की चमक अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ेगी, जिसका लाभ निश्चित ही पन्ना के हीरा व्यवसाय से जुड़े लोगों को मिलेगा।
अब तक निकल चुके हैं बेशकीमती हीरे
पन्ना की उथली खदानों से अब तक कई बेशकीमती हीरे निकल चुके हैं, कई बार तो खुदाई में मिले कई कैरेट वजनी हीरों ने खनन ठेकेदारों और मजदूरों को भी लखपति बनाया है। वहीं इस काम में जुड़े लोगों को और भी फायदा तब मिलेगा जब यहां के हीरों को जीआई टैग मिल जाएगा।
रॉयल्टी में भी हो जाएगी बढ़ोतरी
कलेक्टर संजय कुमार मिश्र ने बताया कि जीआई टैग मिलने में अभी कम से कम 5 माह का समय लग सकता है। टैग मिल जाने के बाद न सिर्फ हीरे के अच्छे दाम मिलेंगे बल्कि इस पर शासन को मिलने वाली रॉयल्टी में भी इजाफा हो जाएगा।