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Raisen,पवन सिलावट. रायसेन की सिलवानी विधानसभा में गोंड आदिवासी वोट निर्णायक स्थिति में हैं। जिसके चलते इन्हें रिझाने कांग्रेस कोई कोरकसर नहीं छोड़ रही। इसी सिलसिले में कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह रायसेन पहुंचे जहां सिलवानी के गोंड राजा नीलमणि शाह ने उनका पगड़ी बांधकर स्वागत किया। दिग्विजय यहां विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कार्यकर्ताओं को एकजुट करने के मकसद से पहुंचे थे। कांग्रेस अब पुरानी गलतियों से सबक लेकर आगे की रणनीति बना रही है। जिसके चलते कांग्रेस इस बार गोंड राजा को नाराज नहीं कर रही। बता दें कि पिछले विधानसभा चुनाव में शाह ने बतौर निर्दलीय चुनाव लड़ा था।
शाह ने निर्दलीय लड़ा था पिछला चुनाव
बता दें कि गोंड राजा नीलमणि शाह ने पिछले विधानसभा चुनाव में बतौर निर्दलीय चुनाव लड़ा था, जिसके चलते कांग्रेस को यहां हार का सामना करना पड़ा था और रामपाल सिंह विधायक निर्वाचित हुए थे। इस बार शाह विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के झंडे तले नजर आ रहे हैं। सिलवानी में गोंड जनजाति निर्णायक स्थिति में है, ऐसे में यदि सब कुछ प्लान के मुताबिक रहा तो यह सीट निकालना बीजेपी को काफी मुश्किल पड़ेगा।
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दिग्विजय सिंह का भी भव्य स्वागत
इधर रायसेन पहुंचे कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह का आदिवासी समाज ने भी भव्य स्वागत किया है। राजनैतिक विश्लेषक मानते हैं कि यदि कांग्रेस को यहां उसका पारंपरिक वोट मिल जाता है तो जिले की चारों विधानसभा सीटों में परिणाम बदल जाएंगे। जिस प्रकार दिग्विजय सिंह को आदिवासी समाज ने हाथों-हाथ लिया उसे देखकर तो यही लगता है कांग्रेस काफी मजबूत स्थिति में आ गई है। हालांकि असल हालात टिकट वितरण के समय सामने आ जाएंगे।
घर-घर जाकर रूठों को मना रहे
कांग्रेस ने दिग्विजय सिंह को लंबे समय से निराशा देने वाली सीटों पर कार्यकर्ताओं को गोलबंद करने भेजा है। इसके लिए वे पुराने खांटी कार्यकर्ताओं को एकजुट कर रहे हैं, जो रूठे हैं उन्हें मनाया जा रहा है, जो असंतुष्ट हैं उन्हें आश्वासन दिया जा रहा है। ऐसा ही नजारा उदयपुरा विधानसभा में देखने को मिला। जहां विधायक भगवान सिंह राजपूत कार्यकर्ता संवाद में नजर नहीं आए। बताया गया कि उनका स्वास्थ्य खराब है। यह सुनते ही दिग्विजय सिंह समय निकालकर भगवान सिंह के घर पहुंच गए। कहा जा रहा है कि स्वास्थ्य तो एक बहाना था, भगवान अपने नेताओं से रूठे हुए थे। जिन्हें मनाने दिग्गी खुद बरेली तक आए। बताया जाता है कि भगवान सिंह राजपूत क्षेत्र के कद्दावर नेता हैं और छलकपट की राजनीति से हमेशा दूर रहे। लेकिन लगातार उपेक्षा के चलते उनका मन खट्टा हो रखा था। फिलहाल उन्हें मनाने खुद दिग्विजय सिंह ने कोशिश तो की है। अब देखना यह होगा कि वे कहां तक सफल हो पाए हैं।