गंगेश द्विवेदी, RAIPUR. बीजेपी की 15 साल की सरकार के सबसे चर्चित अधिकारी अमन सिंह की वापसी को लेकर मंत्रालय में जमकर चर्चा है। अधिकारियों का कहना है कि बीजेपी सरकार के सबसे प्रभावशाली अफसर रहे अमन सिंह जल्द ही वापस लौट सकते हैं। उनके साथ वे सभी अफसर वापस आकर मुख्यमंत्री सचिवालय में शामिल हो सकते हैं, जिन्होंने बीजेपी के कार्यकाल में अहम भूमिका निभाई थी।
पूर्व सीएम रमन सिंह के सीएस रह चुके हैं अमन सिंह
डॉ. रमन सिंह के कार्यकाल में सबसे महत्वपूर्ण अधिकारी शिवराज सिंह को माना जाता था। वे यूपी के रहने वाले हैं, 2008 में मुख्य सचिव के पद से रिटायर होने के बाद में डॉ. रमन सिंह के सलाहकार के रूप में नियुक्त किए गए थे। सरकार जाने के बाद वे यूपी चले गए। उम्र को देखते हुए उनके लौटने की संभावना कम ही है। इसके बाद सबसे प्रभावशाली अफसर अमन सिंह का नाम आता है। इन्हें सुपर सीएम भी कहा जाता था। अमन सिंह की सीएम सचिवालय में एंट्री भी उनके कार्यकाल की तरह दिलचस्प रही। अमन सिंह आइआरएस थे। उन्होंने नौकरी से इस्तीफा देकर संविदा में सचिव के पद पर मुख्यमंत्री सचिवालय ज्वॉइन किया था। रमन सिंह के दूसरे टर्म में चाउर वाले बाबा के रूप में सीएम को प्रोजेक्ट करने से लेकर अलग-अलग विभागों का मैनेजमेंट सीएम हाउस से संचालित करने में अमन सिंह ने अहम भूमिका निभाई थी।
2013 के चुनाव में झीरम घाटी हत्याकांड सहित तमाम विपरीत परिस्थितियों के बीच जीत के पीछे अमन सिंह के मैनेजमेंट को महत्वपूर्ण माना गया। इसी का परिणाम रहा कि डॉ. रमन सिंह ने इस जीत के बाद अमन सिंह को प्रमुख सचिव के पद पर प्रमोट कर दिया था। इसके बाद वे इतना दमदार हुए कि IAS अफसरों के साथ मंत्रियों को भी उनके निर्देश मानने पड़ते थे।
चुनाव पलटने में अमन का हाथ ?
ब्यूरोक्रेसी में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि भूपेश के तिलस्म को तोड़ने में अमन सिंह की भूमिका रही है। चर्चा है कि अमन सिंह विधानसभा चुनाव से 1 साल पूर्व ही छत्तीसगढ़ में बीजेपी की जमीनी हकीकत का आंकलन करने के मिशन में जुट गए थे। माना जा रहा है कि उन्होंने विधानसभा की 90 सीटों पर बीजेपी की राजनीतिक जमीन का सर्वे किया। सर्वे में भूपेश सरकार को घेरने के ज्वलंत मुद्दे जो एंटीकंबैंसी बन सके, इसके लिए महत्वपूर्ण बिंदुओं को जुटाया। इसकी एक रिपोर्ट बीजेपी के शीर्ष नेताओं को दिया। अमन सिंह के फीडबैक के आधार पर बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने चुनावी रणनीति तैयार की। इसके आधार पर भूपेश बघेल सरकार को घेरने की रणनीति बनी। अमन सिंह के सर्वे रिपोर्ट पर बीजेपी ने अन्य एजेंसियों से आंकलन कराया जिसमें चौंकाने वाले फीडबैक भी बीजेपी को मिले। बताते है कि इसके आधार पर ही बीजेपी ने सियासी दांव चले, जिससे कांग्रेस चारो खाने चित हो गई।
आईपीएस राहुल भगत बन सकते हैं सचिव
आईजी रैंक के आईपीएस राहुल भगत का सचिव बनने को लेकर चर्चा है। राहुल नए सीएम के साथ पहले काम कर चुके हैं। विष्णुदेव साय जब केंद्रीय राज्य मंत्री रहे, राहुल उनके पीएस रहे। तभी से वे नए सीएम विष्णु साय के गुडबुक में हैं। राहुल का आदेश जल्दी निकल सकता है। अभी वे राजनांदगांव रेंज के आईजी हैं।
सुबोध सिंह, अमित अग्रवाल भी चर्चा में
एक प्रमुख सचिव स्तर का आईएएस भी सचिवालय में पोस्टेड होगा। इसके लिए चर्चा है कि दिल्ली डेपुटेशन से किसी आईएएस को सरकार वापस बुला सकती है। इनमें सुबोध सिंह से लेकर अमित अग्रवाल नाम चर्चा में हैं। सुबोध सिंह, अमन सिंह के बाद सबसे प्रभावशाली और कूल अफसर थे। ठंडे दिमाग से रणनीति बनाने और इंप्लीमेंटेशन में उनका कोई तोड़ नहीं था। इसी तरह आईटी के महारथी अमित अग्रवाल ने चिप्स में रहकर पीडीएस सिस्टम डिजाइन कराया था जो देश में नजीर बना ही। साथ ही कई देशों के राजनयिकों ने आकर इस मॉडल का अध्ययन किया था।
टोप्पो सहित इन अफसरों का नाम भी चर्चा में
94 बैच के आईएएस मनोज पिंगुआ और 2005 बैच के आईएएस राजेश टोप्पो को भी सीएम सचिवालय में या फिर सीएम के विभागों में बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है। पिंगुआ इस समय गृह और वन विभाग के प्रमुख सचिव की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। अगले महीने उनका एसीएस बनने के योग्य हो जाएंगे। पिंगुआ भी साफ सुथरी छवि के आईएएस माने जाते हैं। वे आईएएस एसोसियेशन के प्रेसिडेंट भी हैं। उधर, राजेश टोप्पो पिछले पांच साल से लूप लाईन में हैं। रमन सरकार में वे सीपीआर के साथ ही जनसंपर्क विभाग के स्पेशल सिकरेट्री स्वतंत्र प्रभार थे। उन्हें बेहद व्यवहारिक अफसर के रूप में गिना जाता है। उनके कार्यकाल का मीडिया मैनेजमेंट खासा चर्चित रहा, वे स्टिंग ऑपरेशन के बाद लूप लाइन में चले गए थे। अब उम्मीद है उनका वनवास खत्म होगा।