दिव्यांग कोटे में पटवारी पर चयनित उम्मीदवार बना वनरक्षक परीक्षा में फिट कैटेगरी का आवेदक

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Chakresh
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दिव्यांग कोटे में पटवारी पर चयनित उम्मीदवार बना वनरक्षक परीक्षा में फिट कैटेगरी का आवेदक

संजय गुप्ता 



INDORE. पटवारी परीक्षा में लगातार लग रहे आरोपों के बाद अब हाल ही में हुई वनरक्षक, फील्ड गार्ड और जेल प्रहरी परीक्षा को लेकर भी धांधली की आशंका होने लगी है। इसकी सबसे बड़ी वजह है कि ऐसे कुछ आवेदकों के एडमिट कार्ड सामने आए हैं, जिन्होंने वनरक्षक, जेल प्रहरी परीक्षा के लिए खुद को फिट कैटेगरी में रखते हुए आवेदन किया है। वहीं यह पटवारी परीक्षा में दिव्यांग कोटे से पटवारी पद पर चयनित हुए हैं। एक आवेदक तो टॉप टेन में भी शामिल हुआ है। अब सवाल उठ रहे हैं कि जो आवेदक दिव्यांग है तो वह दिव्यांग ही रहेगा, एक परीक्षा में फिट और दूसरे में दिव्यांग कैटेगरी में कैसे आवेदन कर सकता है? 



चार आवेदकों के एडमिट कार्ड आए सामने

सीएम ने पटवारी परीक्षा में जांच की बात कही है, ऐसे में उम्मीदवारों की गोपनीयता बनाए रखते हुए हम इन उम्मीदवारों के नाम ओपन नहीं कर रहे हैं। द सूत्र को मिले चार आवेदकों की जानकारी में यह चयनित उम्मीदवारों में एक दिव्यांग कान के बहरेपान के दिव्यागंता से और तीन मल्टी डिसएबीलिटी दिव्यांगता घोषित है। इनके परीक्षा सेंटर ग्वालियर के विवादित एनआरआई कॉलेज के साथ ही, जबलपुर, उज्जैन थे। किसी को 158 अंक मिले तो किसी को 175 अंक हासिल हुए हैं और चयनित हुए हैं। 



क्यों ऐसा किया आवेदकों ने

जनवरी 2023 में इस परीक्षा के लिए विज्ञप्ति जारी की गई थी। इसके परीक्षा नियम 1.3.1 के बिंदु 2 में साफ लिखा है कि वनरक्षक पद फील्ड का है, इसलिए इसमें निशक्तजन (दिव्यांग) की भर्ती का नियम नहीं है और इसके लिए 20 दिसंबर 2019 को जारी नोटिफिकेशन के अनुसार भर्ती से छूट ली गई है (यानि दिव्यांग को इसमें नहीं लिया जाएगा)। इसके चलते इस परीक्षा के लिए दिव्यांग फिट ही नहीं थे, जिसके चलते जो भी आवेदक है उन्हें खुद को फिट घोषित करना जरूरी था। लेकिन फिर इसी से सवाल खड़ा हो रहा है कि फिर वह पटवारी में दिव्यांग कैटेगरी से कैसे चयनित हो सकते हैं। 



वनरक्षक, जेल प्रहरी का रिजल्ट आना अभी बाकी-

मई-जून 2023 में ईएसबी (इम्पलाई सिलेक्शन बोर्ड) भोपाल द्वारा कुल 2112 पदों के लिए यह परीक्षा आयोजित की थी। इशमें वन रक्षक के लिए 1772 पद, फील्ड गार्ड के लिए 140 और जेल प्रहरी के 200 पद है। इनका रिजल्ट अभी आना बाकी है। 



अभी तक पटवारी परीक्षा में यह सभी मुद्दों पर युवा लगा रहे हैं आरोप- 

1-    ग्वालियर के एनआरआई कॉलेज से ही टॉपर आए हैं, एक ही कॉलेज से टॉप टेन में सात टॉपर आना सभी को चौंका रहा है।

2-    उनके आए अंक भी जानकारों को चौंका रहे हैं, इतने अंक तो आ ही नहीं सकते हैं। क्योंकि कुछ प्रश्न हर पेपर में आपत्तियों के बाद गलत मानकर हटाए गए हैं। 

3-    मुरैना के जौरा क्षेत्र के त्यागी सरनेम वाले और सभी दिव्यांग कोटे से परीक्षा में चयनित हुए

4-    सागर के बाबूलाल ताराबाई कॉलेज का भी नाम विवादों में आया, यहां से भी चयनित हुए उम्मीदवारों पर सवाल उठ रहे हैं

5-    टॉपर्स के अंग्रेजी की जगह हिंदी में हस्ताक्षर करने, हस्ताक्षर करने के तरीके जैसे आधा नाम ऊपर और आधा नीचे लिखना, कुछ हस्ताक्षर में आवेदक ने पूरा नाम लिखा है। हस्ताक्षर में पटेल की जगह पटौल लिखा गया है, जो खुद टॉपर है।



इसके चलते सवाल उठ रहे हैं

6-    टॉपर्स अभी तक खुद सामने नहीं आए हैं. केवल टॉप 3 पर रही पूजा तिवारी ने ही वीडियो जारी किया, लेकिन उन्हें भी के एक अन्य युवा उम्मीदवार ने वीडियो जारी कर चैलेंज दिया कि ओपन में पेपर करके देख लें। 

7-    कुछ उम्मीदवारों के एडमिट कार्ड में लगे फोटो भी विवादित है, क्योंकि बैकग्राउंड व्हाइट वाला फोटो होना चाहिए, वहीं कुछ के बैकग्राउंड नियम के विपरीत वाले फोटो लगे हुए हैं। 

8-    नेगेटिव मार्किंग नहीं, फिर भी एक छात्रा के माइनस 6 अंक आए हैं, हालांकि इसके लिए कहा जा रहा है कि उन्होंने कोई प्रश्न हल ही नहीं किया और बाद में उस पाली में सभी के नार्मलाइजेशन के बाद छह अंक कम हुए तो उन्हें भी इसी आधार पर माइनस 6 हुए हैं। 




कांग्रेस सरकार के समय भी उठी थी आवाज, लेकिन दब गई-

मामला केवल अभी बीजेपी के शासन में हुई परीक्षा का नहीं है। उम्मीदवारों को मार्गदर्शन देने वाले गोपल प्रजापत बताते हैं कि कांग्रेस शासन में हुई ग्रुप 4 ग्रेड3 स्टेनोग्राफर, डाटा एंट्री ऑपरेटर 2018 के रिजल्ट में भी भारी खामियां थी। इसमें उम्मीदावरों को 90-95 फीसदी अंक मिले और चयनित हुए, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से यही उम्मीदवारों के इसके पहले की परीक्षा में रिजल्ट 40-50 फीसदी भी नहीं था और वह फेल हुए थे, तो केवल कुछ ही माह में इन्होंने ऐसी क्या पढ़ाई की थी कि अंक दोगुने हो गए। इसकी शिकायत करने मैं भोपाल भी गया थे लेकिन किसी ने सुनी नहीं और अंतत: भर्ती हो गई। 



इस तरह हुआ था खेल-

गोपाल प्रजापत ने एक ही उम्मीदवारों की दो अंकसूची बताते हुए जानकारी दी कि किस तरह से स्टेनोग्राफर परीक्षा 2018 में खेल हुआ था। जैसे एक उम्मीदवार के स्टेनोग्राफर, डाटा एंट्री परीक्षा 2018 में तो 95.83 फीसदी अंक आए और इसके पहले जेल विभाग, वन रक्षक परीक्षा 2017 में अंक केवल 46 फीसदी और 2017 की ही पटवारी परीक्षा में अंक 61 फीसदी थे। एक महिला उम्मीदवार के अंक 95.42 थे और इसके पहले कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी मत्स्य निरीक्षक व अन्य भर्ती परीक्षा 2018 में अंक 200 में से मात्र 80 थे यानि 40 फीसदी। इसी तरह के अन्य युवा उम्मीदवार के स्टोनोग्राफर में 95.91 फीसदी अंक थे, तो इसके पहले पटवारी परीक्षा 2017 में मात्र 42 अंक थे। इसी तरह के अन्य के 93.75 फीसदी अंक थे और इसके पहले राज्य वन विखास निगम की परीक्षा 2017 में मात्र 54 फीसदी अंक थे। एक अन्य युवा के स्टेनोग्राफर परीक्षा 2018 में 93.87 फीसदी अंक थे तो पटवारी भर्ती 2017 में केवल 55 फीसदी अंक थे। ऐसे दर्जन भर और उदाहरण है। इन्हें लेकर शिकायत हुई थी लेकिन मामला ठंडे बस्ते में डालकर भर्ती दे दी गई।



वीडियो देखें- 




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