इंदौर में संभागायुक्त के आदेश से मेडिकल टीचर्स v/s प्रशासनिक अधिकारी विवाद, डॉक्टर बोले पहले अपने राजस्व विभाग की दुर्दशा सुधारें

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Puneet Pandey
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इंदौर में संभागायुक्त के आदेश से मेडिकल टीचर्स v/s प्रशासनिक अधिकारी विवाद, डॉक्टर बोले पहले अपने राजस्व विभाग की दुर्दशा सुधारें

संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर में एमटीएच अस्पताल में नवजात की मौत के बाद हुए विवाद के बाद संभागायुक्त डॉ. पवन शर्मा ने एक आदेश जारी कर मेडिकल कॉलेज से जुड़े अस्पतालों के संचालन व समन्वय के लिए प्रशासनिक अधिकारियों की नियुक्ति के आदेश जारी कर दिए हैं। इसी आदेश से इंदौर में मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन (डॉक्टर्स) V/S प्रशासनिक अधिकारी एक बार फिर तेज हो गया है। एसोसिएशन का कहना है कि राजस्व विभाग की क्या दुर्दशा है किसी से छिपी नहीं है, पहले प्रशासनिक अधिकारी अपने विभाग की हालत सुधारें। एसोसिएशन ने साफ कर दिया है कि यह आदेश वापस नहीं लिया गया तो इसके खिलाफ आंदोलन करेंगे, सभी डॉक्टर्स सोमवार को डीन को इसके विरोध में ज्ञापन देंगे। 



यह है मामला



संभागायुक्त ने एक आदेश जारी करते हुए आईडीए सीईओ और आईएएस रामप्रकाश अहिरवार को एमवाय, कैंसर, चाचा नेहरू और टीबी अस्पताल के संचालन व समन्वय की जिम्मेदारी दी है। सुपर स्पेशलिएटी अस्पताल की जिम्मेदारी एसडीएम अंशुल खरे, एक्सीलेंस फॉर आई की जिमेदारी संजय सराफ संयुक्त आयुक्त, जानकी यादव उपायुक्त को एमटीएच, एसडीएम विनोद राठौर को बाणगंगा मानसिक चिकित्सालय की जिम्मेदारी सौंपी है। साथ ही इन सभी को अपने काम के लिए अपर परीक्षा नियंत्रक आईएएस सपना सोलंकी के साथ मार्गदर्शन लेने के लिए कहा गया है। 



डॉक्टरों का यह है कहना



इस आदेश के विरोध मे हुई बैठक में डॉक्टरों ने कहा कि आदेश में कहीं भी एमटीएच अस्पताल की घटना की जिक्र नहीं है, लेकिन यह संयोग भी नहीं हो सकता। जब इस मामले में स्थिति पूरी तरह स्पष्ट हो गई है कि 15 बच्चों की मौत का कोई मामला नहीं है तो फिर यह आदेश क्यों निकाला। डॉक्टरों ने सवाल उठाए कि क्या अभी तक सुचारू संचालन नहीं हो रहा था। सरकारी अस्पतालों के सभी अधीक्षक पूरी तरह अपने कर्त्तव्य का निर्वाह कर रहे हैं।



अधिकारियों को तो अस्पताल को कोई नॉलेज ही नहीं है



डॉक्टरों ने कहा कि हम लोग दिनरात जुटे रहते हैं और मरीजों को हर संभव बचाने का प्रयास करते हैं, इसके बावजूद अब मॉनीटरिंग की कमान प्रशासनिक अधिकारियों के पास रहेगी जिन्हें अस्पताल संचालन का नॉलेज नहीं है। समन्वय तक बात ठीक है, लेकिन वे संचालन करेंगे यह हम होने नहीं देंगे। 



सीएम के आश्वासन के बाद यह क्यों हुआ



मीटिंग में कहा कि पिछले साल इस मुद्दे को लेकर प्रदेश भर के डॉक्टर्स ने विरोध जताया था। इसके चलते मुख्यमंत्री ने विचार कर डॉक्टरों के हित में निर्णय लेने का आश्वासन दिया था। इसके बावजूद कमिश्नर ने उक्त आदेश निकाल दिया। मीटिंग में एमटीएच के डॉ. प्रीति मालपानी व डॉ. सुनील आर्य ने 15 बच्चों की मौत को लेकर हुए बवाल का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि घटना वाले दिन जनप्रतिनिधियों के सामने हमें जवाब देने के लिए सामने लाया गया। 



अस्पतालों के अधीक्षकों ने भी कही अपनी बात



मीटिंग में जिन अस्पतालों के लिए अधिकारी नियुक्त हुए इसमें सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के सुपरिनटैंडैंट डॉ. सुमित शुक्ला, स्कूल ऑफ एक्सीलेंस फॉर आई के डॉ. डीके शर्मा, कैंसर अस्पताल के डॉ. रमेशचंद्र आर्य, बाणगंगा मानसिक चिकित्सालय के डॉ. वीएस पाल आदि शामिल हुए। इन लोगों ने प्रशासनिक अधिकारियों की नियुक्ति को लेकर मजबूती से अपनी बात कही और एमटीए का  समर्थन किया।



प्रशासनिक दखलदांजी की जा रही है



एमटीए के सचिव डॉ. सुनील आर्य ने बताया कि हमने तय किया है कि यह सेहत के क्षेत्र में एक पवित्र स्थान है। एमजीएम मेडिकल कॉलेज की देश में अपनी अलग पहचान है। इसमें प्रशासनिक दखलंदाजी की जा रही है। जो अधिकारी नियुक्त किए गए हैं वे इसके एक्सपर्ट नहीं हैं। राजस्व विभाग की खुद की क्या दुर्दशा है, यह किसी से छिपी नहीं है। ऐसे अधिकारियों को यहां लाने से व्यवस्था में सुधार नहीं हो सकता।



सोमवार को देंगे ज्ञापन



एमटीए अध्यक्ष डॉ. अरविंद घनघोरिया ने बताया कि मीटिंग में निष्कर्ष निकला कि एम्स जैसा इंस्टीट्यूट बनाने के लिए डॉक्टर्स ही रहे। प्रशासनिक व्यवस्था बनाने के लिए जो निर्णय लिया गया है, वह ठीक नहीं है। इस आदेश में सीधे इफेक्ट होने वालों में डीन व सुपरिनटैंडैंट हैं जो मीटिंग में नहीं आए। अगर वे कहते हैं कि उन्हें इस नई व्यवस्था से तकलीफ है तो एमटीए उनके साथ है। सोमवार को इसे लेकर एक ज्ञापन सौंपा जाएगा।


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