BHOPAL. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मप्र के नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने मध्यप्रदेश के मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस को तत्काल पद से हटाने की मांग की है। उन्होंने इस संबंध में मुख्य निर्वाचन आयुक्त भारत सरकार को पत्र लिखा है। डॉ. गोविंद सिंह ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त को लिखे पत्र में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की बैंच द्वारा मप्र सरकार के पूरे सिस्टम को अक्षम बताने वाली रिपोर्ट का भी जिक्र किया है। जिसमें मुख्य सचिव की ओर से बिना पढ़े ही शासन का पक्ष रखने पर 5 लाख रुपए की पेनल्टी भी लगाई गई है और टिप्पणी की गई है कि ऐसे राज्य का भगवान ही मालिक है।
डॉ. गोविंद सिंह ने पत्र में लिखा है कि निर्वाचन आयोग निष्पक्षता से चुनाव कराने के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन मप्र में ऐसे मुख्य सचिव को सेवानिवृत्ति के उपरांत प्रदेश सरकार की अनुकम्पा पर 6-6 माह के लिए सेवा वृद्धि दी गई है। क्या ऐसे मुख्य सचिव के रहते मध्यप्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव पूर्ण ईमानदारी और निष्पक्षता से हो सकेंगे?
पिछले पत्र का भी जिक्र किया डॉ. गोविंद सिंह ने
डॉ. गोविंद सिंह ने निर्वाचन आयुक्त को लिखे पत्र में यह भी बताया कि इससे पहले भी मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस की सेवा वृद्धि नहीं किए जाने के बारे में आपसे आग्रह किया था। उस पर कोई सुनवाई नहीं हुई। उन्होंने लिखा कि मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस को तत्काल पद से हटाकर अन्य किसी अधिकारी को नियमित रूप से मुख्य सचिव बनाए जाने के लिए मप्र सरकार को निर्देशित किया जाए।
बिना तैयारी के पक्ष रखने NGT में हाजिर हुए थे मुख्य सचिव , लगाई गई 5 लाख की पेनाल्टी
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने भोपाल के केरवा और कलियासोत डेम के आसपास हो रहे अवैध निर्माण और अतिक्रमण के मामले में सरकार की अनदेखी पर सख्त रुख अपनाते हुए कार्रवाई की है। ट्रिब्यूनल ने सरकार के रुख पर नाराजगी भी जाहिर की। एनजीटी ने अपने पिछले आदेशों का पालन नहीं होने पर मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस को तलब किया था। ट्रिब्यूनल के सामने सीएस कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए। जिससे नाराज होकर ट्रिब्यूनल ने राज्य सरकार पर 5 लाख रुपयों की पेनाल्टी लगाई है।
आवश्यक कार्रवाई का किया था सवाल
दरअसल एनजीटी ने सीएस इकबाल सिंह बैस से पूछा कि डेढ़ साल पहले हमने आपको अतिक्रमण और अवैध निर्माण पर कार्रवाई के आदेश दिए थे। इस आदेश का पालन हो सके इसके लिए अभी तक आपकी ओर से क्या-क्या कदम उठाए गए हैं? इस सवाल का बैस कोई सटीक जवाब नहीं दे पाए थे।
राज्य का भगवान ही मालिक- एनजीटी
बैस के जवाब से असंतुष्ट एनजीटी ने तल्ख लहजे में कहा कि ऐसे राज्य का भगवान ही मालिक है, जिसका मुख्य सचिव फाइल देखे और पढ़े बिना ही अदालत में शासन का पक्ष रखने चला आए। ट्रिब्यूनल ने पूछा कि आपके मातहतों ने भी आपको इस बारे में कोई ब्रीफिंग नहीं दी? एनजीटी ने राज्य सरकार की ओर से केरवा-कलियासोत बफर में अतिक्रमण को लेकर पेश की गई रिपोर्ट पर डेट और साइन न होने पर भी लताड़ लगाई।
मप्र शासन का पूरा सिस्टम ही अक्षम
जस्टिस सुधीर अग्रवाल और जस्टिस अफरोज अहमद की जूरी ने हियरिंग के दौरान कहा कि हमें उम्मीद थी कि सीएस को बुलाएंगे तो इस केस को शासन गंभीरता से लेगा। सीएस ने इसी बीच कहा कि वे मानसिक रूप से सुनवाई के लिए तैयार नहीं हैं, इसलिए अगली तारीख दी जाए। जिस पर ट्रिब्यूनल ने कहा कि हमें लगता है कि एमपी शासन का पूरा सिस्टम ही अक्षम है, यही हाल आपके सरकारी वकीलों का भी है। जो सुनवाई के दौरान ठीक से पैरवी करने के बजाए सिर्फ तारीख बढ़ाने के लिए वक्त मांगते रहते हैं।
सख्त एक्शन नहीं हुआ, इसलिए हियरिंग में गंभीर नहीं आप
ट्रिब्यूनल ने कहा कि जब किसी हत्यारे को बिना दंड दिए खुला छोड़ दिया जाता है, तो वह बार-बार ऐसी वारदात करता है। आपका रवैया ठीक वैसा ही है, कोई सख्त कार्रवाई नहीं हुई, इस वजह से आप सुनवाई में पार्टिसिपेशन नहीं कर रहे हैं, नहीं आप अपडेट हैं। आपकी लापरवाही से अतिक्रमणकारी बेखौफ होकर केरवा और कलियासोत की रोजाना हत्या कर रहे हैं।