BHOPAL.मध्य प्रदेश में बीजेपी की प्रचंड जीत के बाद मुख्यमंत्री के नाम पर 3 दिसंबर से जारी सस्पेंस सोमवार को खत्म हो गया। छत्तीसगढ़ की तरह चौंकाते हुए बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व ने नए सीएम के नाम की घोषणा कर दी है। उज्जैन दक्षिण से विधायक डॉ. मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाया गया हैं। एमपी में यादव समाज से डॉ. मोहन दूसरे सीएम बनाए गए है। इससे पहले बाबूलाल गौर सीएम रह चुके हैं। इस बड़े फैसले के साथ ही पीएम मोदी ने 2024 के चुनाव के लिए लालू यादव और अखिलेश यादव को बड़ा संदेश दे दिया हैं। बिहार और उत्तर प्रदेश में यादव वोटरों की सबसे बड़े दावेदार यही दो नेता हैं। बिहार-यूपी में लोकसभा की 120 सीटें हैं। केंद्र की सरकार के लिहाज से ये काफी मायने रखती है।
यादव समाज से पहले सीएम रहे थे बाबूलाल गौर
डॉ. मोहन यादव मध्य प्रदेश के दूसरे यादव मुख्यमंत्री बने हैं, इससे पहले बाबूलाल गौर सीएम रह चुके हैं। एमपी में यादव समाज से स्व. बाबूलाल गौर 23 अगस्त 2004 पहले सीएम बनाए गए थे। उमा भारती के मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद बीजेपी ने बाबूलाल गौर को प्रदेश की कमान संभाली सौंपी थी। गौर 29 नवंबर 2005 तक मुख्यमंत्री रहे थे। गौर 1974 से 2013 तक दक्षिण भोपाल और गोविंदपुरा सीट से लगातार 10 बार विधायक रहे थे। पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर का निधन 21 अगस्त 2019 हुआ था।
गौर का असली नाम बाबूराम यादव था
बाबूलाल गौर का जन्म 2 जून 1929 को यूपी के प्रतापगढ़ के नौगीर गांव में हुआ था। बाबूलाल गौर का असली नाम बाबूराम यादव था, उनके पिता राम प्रसाद यादव पहलवान के रूप में काम करते थे। भोपाल आने के बाद उन्हें बाबूलाल नाम से जाना जाने लगा और उन्होंने अपना नाम बदलकर बाबूलाल गौर रख लिया, यह नाम पहली बार उनके लिए स्कूल में उसी नाम के अन्य विद्यार्थियों के बीच अंतर करने के लिए इस्तेमाल किया गया था।
मोहन यादव के जरिए 2024 का एजेंडा सेट
एमपी में बीजेपी नेतृत्व ने यादव समाज के चेहरे चुनने के साथ ही 2024 के लोकसभा चुनाव पर फोकस किया है। इस फैसले के साथ ही बीजेपी ने यूपी और बिहार के सर्वाधिक यादव वोटर को साधने की कोशिश की है। बीजेपी को इसका इम्पैक्ट बिहार-यूपी में पड़ने की उम्मीद है। मोहन यादव को कमान सौंपने के साथ बीजेपी ने साफ संदेश देते हुए साफ कर दिया है कि यादव समाज को अपने पाले में लाने की कोशिश रहेगी। यूपी और बिहार की बात करें तो राज्यों में ज्यादातर यादव वोट लालू यादव और अखिलेश यादव की पार्टियों को मिलते हैं। यादव वोटरों पर इनका एकछत्र राज है। इन्हीं यादव वोटरों की बदौलत दोनों ही राज्यों में दोनों नेताओं की सियासत चलती है। बिहार में हुए हालिया कास्ट सर्वे में सबसे ज्यादा आबादी वाली जाति यादव ही है। लिहाजा, वोटों के लिहाज से इनका महत्व बढ़ जाता है।