JABALPUR. मध्यप्रदेश के आतंक निरोधी दस्ते (एटीएस) को मंगलवार को बड़ी सफलता हाथ लगी। टीम ने अस्पताल में इलाज करा रहे एक दुर्दांत नक्सली और उसकी पत्नी को गिरफ्तार किया है। अशोक रेड्डी उर्फ बलदेव नाम के इस नक्सली पर 60 से ज्यादा मामले दर्ज हैं और मध्यप्रदेश के साथ-साथ छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और तेलंगाना की सरकारों ने संयुक्त रूप से 82 लाख रुपए का ईनाम रखा था। अशोक के साथ पकड़ी गई उसकी पत्नी रैमती नक्सलियों के प्रचार-प्रसार का जिम्मा संभालती थी।
कब्जे से यह हुआ बरामद
एटीएस ने नक्सली अशोक रेड्डी और उसकी पत्नी रैमती के कब्जे से पिस्तौल, कारतूस, नक्सली साहित्य और 3 लाख रुपए नकद बरामद किए हैं। दोनों प्रतिबंधित संगठन सीपीआई माले के सक्रिय सदस्य बताए जा रहे हैं। अशोक रेड्डी इस संगठन की दंडकारण्य स्पेशल जोन कमेटी का भी सदस्य है।
अस्पताल में करा रहा था इलाज
एटीएस के सूत्र बताते हैं कि उन्हें यह इनपुट मिला था कि एक नक्सली दंपती जबलपुर के निजी अस्पताल में इलाज कराने पहुंचे हैं। टीम ने तत्काल अस्पताल में दबिश देते हुए मौके से अशोक रेड्डी और रैमती उर्फ कुमारी पोटाई को गिरफ्तार किया। उनके कब्जे से असलहा मिलने पर उनके नक्सली होने की बात भी सही साबित हुई। बताया जा रहा है कि अशोक तेलंगाना के गोलकुंडा का निवासी है जबकि रैमती छत्तीसगढ़ के नारायणपुर की रहने वाली है।
60 मामले दर्ज हैं
अशोक रेड्डी इतना दुर्दांत नक्सली है कि उस पर चार राज्यों के विभिन्न थानों में हत्या, हत्या के प्रयास, डकैती, आगजनी, फायरिंग और पुलिस पर हमले के 60 से ज्यादा केस दर्ज हैं। वहीं रैमती नक्सल प्रभावित इलाकों में संगठन के प्रचार-प्रसार का जिम्मा संभालती है। वह माओवादी साहित्य, पंपलेट, प्रेस विज्ञप्ति और बैनर पोस्टर छपवाने का काम संभालती है।
पहचान न पाए कोई इसलिए चुना जबलपुर
माना जा रहा है कि अशोक गंभीर बीमारी से पीड़ित है, उसे कोई पहचान न पाए इसलिए उसने इलाज के लिए जबलपुर को सुरक्षित समझा था लेकिन इसकी खबर एनआईए को लग गई। इतने बड़े नक्सली की जबलपुर में मौजूदगी ने सुरक्षा एजेंसियों के कान खड़े कर दिए हैं। सुरक्षा एजेंसियां लंबे समय से यह इनपुट देती चली आ रही हैं कि नक्सली मध्यप्रदेश को अपना खुफिया हेडक्वार्टर बनाना चाहते हैं उनके निशाने पर बालाघाट के अलावा अमरकंटक का क्षेत्र है।