इंदौर में ईडी ने भूमाफिया मद्दा पर लगाई धारा 3, बाहर आना मुश्किल, नजरें अब संघवी पर, पिता-पुत्र से केवल दो ही बार हुई पूछताछ

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Chandresh Sharma
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इंदौर में ईडी ने भूमाफिया मद्दा पर लगाई धारा 3, बाहर आना मुश्किल, नजरें अब संघवी पर, पिता-पुत्र से केवल दो ही बार हुई पूछताछ

संजय गुप्ता, Indore. इंदौर ईडी ने भूमाफिया दीपक मद्दा उर्फ दिलीप सिसौदिया पर मनी लाण्ड्रिंग एक्ट की धारा तीन लगा दी है। इस धारा के बाद अब मद्दा को जमानत मिलने की राह कठिन हो गई है। ईडी के पास इस धारा के तहत चालान पेश करने के लिए 180 दिन का समय है, जब तक चालान पेश नहीं होगा मद्दा की जमानत भी आसान नहीं होगी। इस धारा में जहां मनी लाण्ड्रिंग की राशि के आधार पर तीन से सात साल की सजा है, वहीं राशि के दोगुना अर्थदंड भी है। ईडी ने इस घोटाले को एक हजार करोड़ से ज्यादा का माना है। ईडी स्पेशल कोर्ट के सामने अब मद्दा की पेशी 14 जुलाई लगी हुई है। उधर कल्पतरू सोसायटी जमीन घोटाले में भी वह गिरफ्तारी पर ही है और अब तिलकनगर थाने में भी त्रिशला सोसायटी जमीन घोटाले में भी एफआईआर हो चुकी है जिसमें भी गिरफ्तारी होगी। 





उधर ईडी से राहत में संघवी







ईडी ने मई माह में जमीन घोटालों को लेकर मद्दा के साथ ही सुरेंद्र संघवी और प्रतीक संघवी के यहां भी छापा मारा था। दो दिन तक इनसे खासी पूछताछ की गई थी लेकिन ईडी ने अभी इन पर किसी तरह की सख्ती नहीं की है। संघवी की ना ही गिरफ्तारी हुई है और ना ही इन्हें बार-बार पूछताछ के लिए बुलाया गया है। वहीं लगातार एक ही घटना में दो आरोपियों में से एक पर सख्ती और दूसरे को राहत देने के मामले में लगातार ईडी की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं। कुछ खबरों में दो लाइजनर के माध्यम से ईडी से राहत दिलाने की बात भी उड़ती रही है, जिसकी कोई पुष्टि नहीं है। लेकिन संघवी को मिल रही राहत से ईडी की कार्यशैली पर सवाल जरूर उठने लगे हैं। 







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    मनी लाण्ड्रिंग एक्ट की धारा 50 के तहत मद्दा व अन्य गवाहों के जो भी बयान होंगे वह अपने आप में सबूत व दस्तावेज माने जाते हैं और इसे कोर्ट के समक्ष दिया गया बयान ही माना जाता है। सूत्रों के अनुसार मद्दा के साथ ही अन्य लोगों के बयानों में पिंटू छाबड़ा और बॉबी छाबड़ा का भी नाम मुख्य रूप से आया है। छापे के दौरान ही बिल्डर मनीष शाहरा से जमीन के सौदे को लेकर दस्तावेज ईडी ले चुकी है साथ ही त्रिशला संस्था की जमीन को लेकर छोटे भाई नितेश शाहरा से पूछताछ भी हो चुकी है। मद्दा के दखल वाली मजदूर पंचायत की पुष्पविहार सोसायटी में पिंटू छाबड़ा, केशव नाचानी, ओमप्रकाश धनवानी ने जमीन ली है, यह जमीन उसने अपने साले दीपेश वोरा, भाई कमलेश जैन और मैनेजर नसीम हैदर के जरिए बिकवाई। अयोध्यापुरी में सुरेंद्र संघवी के बेटे प्रतीक संघवी और मुकेश खत्री के साथ डायरेक्टरशिप में खुद ही जमीन खरीदी। विवादित बिल्डर नीलू पंजवानी के साथ भी मद्दा के कारोबारी संबंध रहे हैं। वहीं दिलीप गुप्ता, राजेंद्र आगार, आशीष जैन, कुलभूषण मित्तल, अजय अग्रवाल सहित कई लोगों के भी मद्दा के साथ संबंध रहे हैं। श्रीराम संस्था, हिना पैलेस की जमीन के खेल में धवन बंधु भी मद्दा से जुड़े रहे हैं। संघवी परिवार से भी कई लोग विविध कंपनियों में मद्दा या फिर उनकी पत्नी समता जैन के साथ पार्टनर बने हुए हैं, यह भी सभी विविध दस्तावेजों मे ईडी के सामने आ चुके हैं। 





    ईडी ने बताया है इतना बड़ा है घोटाला







    ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने खुलासा किया है कि भूमाफिया दीपक जैन (मद्दा) उर्फ दिलीप सिसौदिया द्वारा किया गया घोटाला एक हजार करोड़ से ज्यादा का है। यह उन जमीनों की संभावित आज की बाजार वैल्यू है, जिसमें मद्दा की भूमिका रही है। मद्दा ने यह खुद अकेले नहीं किया है, इसमें कई बिल्डर्स और डेवलपर्स साथ रहे हैं और सभी ने मिलीभगत कर सोसायटी की प्राइम लोकेशन पर स्थित जमीनों पर यह पूरा खेल किया है। इसमें शहर के कई बड़े बिल्डर्स है जिनके साथ मद्दा के ट्रांजेक्शन हुए हैं। इसमें कई चौंकाने वाले नाम भी सामने आ रहे हैं, इन सभी के खाते की डिटेल ईडी निकाल रहा है। ईडी ने छापे में 91.20 लाख रुपए जब्त भी किए हैं और 250 करोड़ की संपत्ति के दस्तावेज भी पकड़े थे। 





    सीलिंग की जमीन की छूट का फायदा उठाया- ईडी







    ईडी ने कहा कि इंदौर में मद्दा पर दर्ज हुई विविध एफआईआर को ईडी ने मनी लॉण्ड्रिंग एक्ट 2002 के तहत जांच में लिया है और केस दर्ज किया है। उसने विविध सहकारी समितियों की जमीन को अवैध रूप से खरीदा और बेचा है और दूसरों को हस्तांतरित की है। मद्दा के साथ कई बिल्डर्स, डेवलपर्स मिले हुए हैं और इनकी मिलीभगत से यह हुआ है। विविध लोगों ने कम कीमत में इन जमीनों की खरीदी-बिक्री की। यह जमीन शहरी भूमि सीलिंग एक्ट की धारा 20 के तहत छूट प्राप्त थी, ताकि लोगों को आवास मिल सके। मद्दा ने इन सोसायटी में या खुद सीधे प्रवेश किया या फिर अपने लोगों को चुनावों में हेर-फेर कर बैठाया और फैसलों को प्रभावित किया। 





    शहर के यह सभी नामचीन लोग निशाने पर आए 







    मद्दा के ट्रांजेक्शन शहर में कई लोगों से रहे हैं खासकर साल 2005 से लेकर 2008-09 के दौरान उसने सबसे ज्यादा खेल किए हैं। इसमें मजदूर पंचायत की पुष्पविहार की जमीन के साथ ही देवी अहिल्या संस्था की अयोध्यापुरी की जमीन, न्यायनगर में जमीन का खेल, त्रिशला में, श्री राम संस्था और कल्पतरू में जमीनों की बंदरबांट की है। कई जगह सौदों में सीधे वह है जैसे कि अयोध्यापुरी में सिम्पलेक्स मेगा फायनेंस कंपनी के जरिए, कल्पतरू में वह खुद संस्था का अध्यक्ष रहते हुए शहर के कई बडों को जमीन बेच चुका है। इसके साथ ही पुष्पविहार में अपने साले दीपेश वोरा, भाई कमलेश जैन के साथ ही मैनेजर नसीम हैदर के हाथों पिंटू छाबड़ा, केशव नाचानी, ओमप्रकाश धनवानी सहित कई को जमीन बेची है। 





    मद्दा के साथ विविध एफआईआर में ये शामिल







    जमीन घोटालों को लेकर कई गई एफआईआर में मद्दा के साथ सुरेंद्र संघवी और उनके बेटे प्रतीक संघवी को तो मास्टरमाइंड बताया ही गया है। इस के साथ ही मद्दा पर दर्ज सात एफआईआर में उसके साथ 20 से ज्यादा आरोपी है। इन आरोपियों में इसमें ओमप्रकाश धनवानी (टनी), दीपेश वोरा, कमलेश जैन, केशव नाचानी (हनी), नसीम हैदर, वैभवलक्ष्मी रियल एस्टेट, राम सेवक पाल, गुलाम हुसैन, रमेशचंद्र जैन, रणवीर सिंह सूदन, विमाल लोहाडिया, पुष्पेंद्र नीमा, दिलीप जैन, मुकेश खत्री, दिलावर पटेल, सोहराब पटेल, इस्लाम आलम, जाकिर पटेल शामिल है। 





    संघवी की कंपनी ने भी किया था चार करोड़ का सौदा







    ईडी ने संघवी पिता व पुत्र द्वारा पूछताछ में सहयोग के चलते गिरफ्तारी नहीं की है। संघवी ने खुद को पीड़ित बताया है और कहा कि उन्हें संस्था की जमीन दे दी गई और रुपए लेने के बाद जमीन भी नहीं दी है। लेकिन यह ट्रांजेक्शन भी अधूरा था और इसमें चार करोड़ का सौदा करने के बाद भी संघवी की कंपनी ने केवल 1.80 करोड़ ही संस्था को दिए थे। जानकारों के अनुसार मद्दा से पूछताछ के बाद इस मामले में ईडी मद्दा के पार्टनर के साथ ही संघवी के मामले में भी आगे बढ़ेगी।



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