ईडी की सर्च खत्म, आधी रात तक चली गर्ग-चंपू से पूछताछ, भोपाल आने का नोटिस भी थमाया

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Pooja Kumari
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ईडी की सर्च खत्म, आधी रात तक चली गर्ग-चंपू से पूछताछ, भोपाल आने का नोटिस भी थमाया

संजय गुप्ता, INDORE. प्रवर्तन निदेशलाय (ईडी) की इंदौर में भूमाफिया चंपू उर्फ रितेश अजमेरा के साथ ही उद्योगपति कैलाश गर्ग, अर्जुन होतवानी के यहां की गई सर्च कार्रवाई बुधवार देर रात खत्म हुई। आधी रात तक सभी से ईडी पूछताछ करती रही। बाद में जाते-जाते हुए सभी को भोपाल पूछताछ में आने के लिए नोटिस भी थमा गई। सभी से साफ कह दिया गया है कि जब-जब बुलाया जाएगा ईडी ऑफिस आना होगा। अभी जांच और पूछताछ लंबी चलेगी। गर्ग के पुत्र पवन गर्ग ने द सूत्र से कहा कि यह कार्रवाई मूल रूप से चंपू के ऊपर है, उन्होंने धोखेबाजी की है और हमने इसकी शिकायत की थी, इसी आधार पर यह कार्रवाई हुई है, हमसे जानकारी ली गई जो दे दी है।

चंपू के घर में ईडी ने यह किया

चंपू के यहां ईडी बुधवार सुबह सात बजे पहुंची। ईडी के तीन अधिकारी और दो बैंक अधिकारी थे। ईडी ने सर्चिंग शुरू की और एक-एक अलमारी, कमरे को देखा। कुछ दस्तावेज भी मिले, जिन्हें ईडी ने जब्त कर लिया। ईडी ने केवल सेटेलाइट हिल्स कॉलोनी, इससे जुडे़ दस्तावेज ही लिए। इसके बाद चंपू और योगिता से पूछताछ शुरू हुई। योगिता से कुछ देर ही चली, खासकर जब वह गर्ग की कंपनी में डायरेक्टर थी। इस दौरान की जानकारी ली गई। बाद में चंपू से देर तक पूछताछ चली। फिर चंपू के दिए बयानों के आधार पर ईडी ने कंपनी, कोर्ट में चल रहे सेटेलाइट संबंधी केस, गर्ग से चल रहा विवाद, बैंक लोन, प्लाट की खरीदी-बिक्री, उनसे आए फंड की जानकारी को लेकर सवाल किए। चंपू से इन सभी के दस्तावेज भी मांगे गए। यह कार्रवाई आधी रात तक चली। इन सभी दस्तावेज लेने के बाद ईडी ने चंपू को भोपाल आने का नोटिस थमाया और रवाना हुई।

गर्ग के बंगले में डटी रही टीम

इसी तरह मुख्य आरोपी कैलाश गर्ग के यहां टीम सुबह से आधी रात तक डटी रही। कैलाश गर्ग, उनके पुत्र पवन गर्ग व अन्य सहयोगियों के बयान लिए गए। यहां भी ईडी ने पहले पूरे घर की सर्चिंग ली और कई सारे दस्तावेज जब्त किए। उनके सत्यगीता अपार्टमेंट के दफ्तर भी टीम गई और इस बैंक लोन से जुड़े दस्तावेज की जानकारी जुटाई। ईडी ने गर्ग और उनकी कंपनी के कई परिसर होने के चलते अलग-अलग टीम बनाई थी। कुछ टीम जावरा, कालापीपल (शाजापुर), मंदसौर में भी गई थी। वहीं गर्ग के सहयोगी अर्जुन होतवानी व अन्य के यहां भी टीम गई। ईडी ने मुख्य फोकस इन कंपनियों के कामकाज, इनके द्वार लिए गए 110.50 करोड़ के बैंक लोन और इस लोन के कंपनी की ही अन्य सिस्टर कंसर्न कंपनियों में शिफ्ट होने की जानकारी जुटाई। इन सभी कंपनियों की डिटेल ली गई, कब कौन डायरेक्टर था और उसने क्या किया। किसके पास इस लोन की राशि शिफ्ट हुई है। इन सभी के खिलाफ ईडी आगे कार्रवाई करेगा।

सीबीआई की एफआईआर के आधार पर हो रही कार्रवाई

यूको बैंक की शिकायत पर सीबीआई ने 5 नवंबर 2020 पर बैंक लोन घोटाले में मेसर्स नारायण निर्यात इंडिया प्रालि कंपनी मंदसौर, सुरेश गर्ग (निधन हो चुका), कैलाश गर्ग और दो अन्य अज्ञात लोक सेवक पर 120 बी व 420 की धारा में एफआईआर दर्ज की। इसमें कहा गया कि बैंक लोन लिया गया और इस लोन को गर्ग परिवार दवारा अपनी सिस्टर कंसर्न कंपनी में शिफ्ट कर दिया गया। यह बैंक लोन का फंड सिस्टर कंसर्न कंपनियों नारायण ट्रेडिंग कंपनी, रामकृष्णा साल्वेक्स, पदमावती ट्रेडिंग, मंदसौर सेल्स कॉर्पोरेशन में शिफ्ट हुआ। बैंक ने अपनी रिपोर्ट में यह भी बताया कि इन कंपनियों के डायरेक्टर, लोन लेने वाली कंपनी से ही लिंक थे।

इन तीन बैंकों का 106.50 करोड़ रूपया डूबा

यूनियन बैंक एमजी रोड रीगल चिराहा ने 38.44 करोड़ का लोन दिया और इसमें से 33.44 करोड़ डूब गए, यूको बैंक न्यू पलासिया ने 34.28 करोड़ रुपए का लोन दिया और यह पूरा डूब गया, पंजाब नेशनल बैंक, मनोरमागंज ने 33.84 करोड़ रुपए का लोन दिया और इसमें से 33.44 करोड़ रुपए डूब गए।

गर्ग और चंपू का इस तरह रहा खेल

सेटेलाइट हिल कॉलोनी साल 2007 में ही टीएंडसीपी में पास हुई और इसके साथ ही इसमें खरीदी-बिक्री शुरू हो गई। चंपू औऱ् योगिता अजमेरा को गर्ग ने कंपनी डायेरक्टर बनाया। बाद में चंपू को प्लाट की सौदे बाजी के अधिकार दिए गए। चंपू ने जमकर बेचे। वहीं प्लाट की बिक्री के बाद साल 2011-12 के दौरान गर्ग ने सेटेलाइट हिल की जमीन व अन्य जगह की जमीन व अन्य संपत्तियों को गिरवी रख कर बैंक लोन ले लिया। इस पूरे खेल में चंपू और गर्ग एक-दूसरे पर जिम्मेदारी ढोल रहे हैं औऱ् बीच में बैंक वाले और 71 प्लाटधारक उलझ गए।

सेटेलाइट की इन जमीनों पर लिया गया बैंक लोन

मेसर्स नारायण निर्यात इंडिया प्रालि ने 110.50 करोड़ को लोन की सुरक्षा के लिए एवलांच रियलटी प्रालि की ओर से संचालक कैलाश गर्ग द्वारा सेटेलाइट हिल्स कॉलोनी की भूमि सर्वे नंबर 111, 112, 114/1/1, 114/2, 123, 124, 125, 130/3, 130/4, 138, 138/1, 140/1, 140/2. 215/1/1, 215/1/2, 215/1/3, 215/1/4 को गिरवी रखा गया। जबकि इन जमीन पर पूर्व में ही भूखंडों के रूप में विभाजित कर विक्रय कर दिया गया। प्लाट की बिक्री का यह काम चंपू अजमेरा ने किया।

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