मनीष गोधा, JAIPUR. राजस्थान में आरक्षित वर्ग के छात्रों को दी जाने वाली पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप में शिक्षण संस्थानो, ई मित्र संचालकों, छात्रों और ये स्कॉलरशिप देने वाले सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के निचले स्तर के अधिकारियों की मिलीभगत का बड़ा खेल सामने आया है। फर्जी छात्रों के नाम से स्कॉलरशिप का पैसा उठाने जैसी गड़बड़ी सामने आने के बाद विभाग ने बड़े पैमाने पर कारवाई करते हुए 265 शिक्षण संस्थानों को ब्लैक लिस्ट कर दिया है। इस खेल में जयपुर और चूरू के दो निजी विश्वविद्यालय भी शामिल थे, उन्हें भी ब्लैकलिस्ट कर दिया गया है। वहीं करीब 6300 छात्रों की स्कॉलरशिप रोक कर उन्हें भी आगे के लिए इससे वंचित कर दिया गया है। कार्रवाई अभी भी जारी है और 100 से ज्यादा संस्थानों को कारण बताओ नोटिस भी दिए गए हैं।
क्या है पोस्ट मेट्रिक स्कॉलरशिप
राजस्थान के निर्धन वर्ग के अनुसूचित जाति, जनजाति, ओबीसी, आर्थिक पिछड़ा वर्ग और विशेष पिछड़ा वर्ग तथा दिव्यांग छात्रों को दसवीं कक्षा उत्तीर्ण करने के बाद आगे की पढ़ाई के लिए पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप दी जाती है। ये राशि प्रतिवर्ष 4000 से लेकर 20000 रुपए तक है। जिन परिवारों की वार्षिक आय ढाई लाख रुपए से कम है, उन परिवारों के छात्रों को ये स्कॉलरशिप दी जाती है। वैसे तो ये केंद्र प्रवृत्ति योजना है लेकिन इसमें राज्य सरकार को भी अपनी भागीदारी देनी होती है। प्रतिवर्ष करीब 700 करोड़ रुपए छात्रवृत्ति के रूप में दिए जाते हैं।
करीब 7 लाख छात्रों को मिलती है स्कॉलरशिप
राजस्थान में हर वर्ष करीब सात लाख छात्रों को यह स्कॉलरशिप मिलती है। ये देश और प्रदेश के करीब 17 हजार से ज्यादा सरकारी और निजी शिक्षण संस्थानों में विभिन्न तरह के 1692 कोर्सेज में एनरोल्ड हैं। यानी हर आवेदन सही है और जिसे स्कॉलरशिप मिल रही है, वह बिल्कुल सही व्यक्ति है इसकी जांच करना आसान काम नहीं है। पहले ये काम पूरी तरह से मैन्युअल था इसलिए उस समय तो गड़बड़ियां बहुत ज्यादा होती थी। बाद में इसे ऑनलाइन कर दिया गया लेकिन उसमें भी गड़बड़ी लगातार बनी रही क्योंकि आवेदक का वेरिफिकेशन मैन्युअल ही हो रहा था । इस मैन्युअल वेरिफिकेशन ने ही शिक्षण संस्थानों ई-मित्र संचालकों छात्रों और विभाग के निचले स्तर के अधिकारियों कर्मचारियों का एक ऐसा कॉकस कई जिलों में तैयार कर दिया जिसने बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां की और सरकारी खजाने को जम कर चूना लगाया।
ऐसे आया पकड़ में
आवेदन की प्रक्रिया को ऑनलाइन करने के बाद विभाग में उच्च स्तर पर इसकी रेंडम मॉनिटरिंग शुरू की गई। इस रेंडम मॉनिटरिंग में ही सामने आया की कुछ बैंक खातों में कई छात्रों की स्कॉलरशिप जा रही है। सवाई माधोपुर में एक बैंक खाता तो ऐसा भी पकड़ में आया, जहां 41 छात्रों की स्कॉलरशिप जा रही थी।
बोगस छात्रों के नाम से उठाई पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप
विभाग के प्रमुख शासन सचिव समित शर्मा ने बताया कि इसे देखकर एक बार तो हम भी चौंक गए, क्योंकि स्कॉलरशिप संबंधित लाभार्थी के बैंक खाते में जाती है और यदि किसी छात्र का बैंक खाता नहीं है तो वह अपने भाई या बहन या परिवारवजन का बैंक खाता बता देता है, लेकिन एक ही बैंक खाते में इतने छात्रों की स्कॉलरशिप जमा होते देख हमें शक हुआ और जब जांच की गई तो पता चला कि सभी छात्र बोगस थे और हमारे ही विभाग के कुछ लोगों के साथ मिल कर यह खेल किया जा रहा था। शर्मा ने बताया कि इसके बाद हमने केंद्र सरकार के आधार नंबर, राजस्थान सरकार के जन आधार नंबर और बैंक खातों के आधार पर जांच करना शुरू किया तो यह खेल बड़े पैमाने पर होता नजर आया।
इस तरह की गड़बड़ी होती दिखी
स्कॉलरशिप की प्रक्रिया ये है कि जब छात्र आवेदन करता है तो वह अपना जाति प्रमाण पत्र, मूल निवास प्रमाण पत्र तथा अंक तालिकाएं उसके साथ जमा करता है। संबंधित शिक्षण संस्थान छात्र तथा उसके दस्तावेजों का वेरिफिकेशन करता है। उसके बाद सामाजिक न्याय अधिकारिता विभाग के जिला और उपखंड स्तर के अधिकारी भी इसका वेरिफिकेशन करते हैं। इसके बाद ही स्कॉलरशिप जारी होती है। शर्मा का कहना है कि जांच में सामने आया कि ऑनलाइन प्रक्रिया के बाद भी फर्जी जाति प्रमाण पत्र मूल निवास प्रमाण पत्र और अंक तालिकाएं जमा होती रहीं। क्योंकि इन्हें फोटोशॉप के जरिए आसानी से बनाया जा सकता है। हमारी जांच में कुछ जिलों में ई-मित्र संचालक छात्रों के साथ मिलकर यह खेल करते नजर आए।
फर्जी आईडी पर उठाई जा रही है स्कॉलरशिप
कई जगह यह भी सामने आया कि शिक्षण संस्थान छात्रों से ये कहते हैं कि उन्हें संबंधित कोर्स का सर्टिफिकेट या डिग्री हम उपलब्ध करा देंगे और इसके बदले उन्हें कुछ नहीं देना होगा। शिक्षण संस्थान ऐसे छात्रों के नाम पर स्कॉलरशिप उठाते हैं और छात्र इसलिए राजी हो जाते हैं कि उन्हें बिना पढ़े और बिना कोई फीस दिए सर्टिफिकेट या डिग्री मिल जाती है। वहीं कई जगह यह भी सामने आया कि छात्र और उसके दस्तावेज पूरी तरह से बोगस है। यानी छात्र है ही नहीं और उसके नाम से फर्जी आईडी तथा दस्तावेज बनाकर स्कॉलरशिप उठाई जा रही है।
संस्थाओं से की दस्तावेजों की मांग
इस तरह की गड़बड़ियां सामने आने के बाद ही संस्थाओं को ब्लैक लिस्ट किए जाने की कार्रवाई की गई है। भविष्य में इन संस्थाओं के स्कॉलरशिप से संबंधित कोई भी आवेदन पत्र स्वीकार नहीं किए जाएंगे। वहीं कुछ संस्थाओं से पूरे दस्तावेज मांगे गए हैं और जब तक दस्तावेज नहीं आएंगे तब तक उनके छात्रों को स्कॉलरशिप नहीं दी जाएगी। शर्मा ने बताया कि इस कार्रवाई के जरिए हम सरकार के करोड़ों रूपए बचाने में सफल हुए हैं।
भविष्य के लिए यह किया गया
- इस तरह की गड़बड़ियां आगे ना हो इसके लिए विभाग ने अब आवेदन प्रक्रिया को पूरी तरह से ऑनलाइन करने के साथ ही कुछ और कदम भी उठाए हैं जैसे
- एक बैंक खाते में अब अधिकतम दो ही छात्रों की स्कॉलरशिप जमा हो सकेगी।
- आइडेंटिफिकेशन के लिए फेशियल और आइरिस वेरिफिकेशन जरूरी किया गया है।
- वहीं दस्तावेज असली है या नहीं इसके लिए अब छात्र को अपने दस्तावेज जमा करने की जरूरत नहीं है। उसे सिर्फ आवेदन करना होता है और जरूरी जानकारी देनी होती है। इस जानकारी के आधार पर ही विभाग का स्कॉलरशिप पोर्टल अन्य विभागों के पोर्टल से वह दस्तावेज उठा लेता है। जैसे अंक तालिकाएं राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के पोर्टल से ले ली जाती हैं। इसी तरह से जाति और मूल निवास प्रमाण पत्र भी राजस्थान सरकार के पोर्टल से उठा लिए जाते हैं। ऐसे में गड़बड़ी की गुंजाइश लगभग समाप्त हो जाएगी।
- विभाग के प्रमुख सचिव समित शर्मा कहते हैं कि हमने सिस्टम को फुल प्रुफ बनाने की कोशिश तो की है, लेकिन आज भी हम ये दावा नहीं कर सकते कि इसे तोड़ा नहीं जा सकता, क्योंकि हमसे आगे सोचने वाले भी है लेकिन इतना भरोसा जरूर है कि अब पहले जितनी गड़बड़ी नहीं हो पाएगी।
यह की गई कार्रवाई
- 265 संस्थान ब्लैकलिस्ट किए गए
- जयपुर और चूरू के दो निजी विश्वविद्यालय भी ब्लैक लिस्ट
- 135 संस्थानों की स्कॉलशिप रोकी गई
- अपात्र छात्रों को स्कॉलरशिप दिलाने के मामले में 57 संस्थानों को कारण बताओ नोटिस दिया गया
- 42 संस्थानों को दस्तावेज जमा नहीं करने पर दिया गया नोटिस
- करीब 6300 छात्र भी ब्लैकलिस्ट किए गए