संसद में सदस्यों के निलंबन के लिए आलोचना झेल रहे उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा सदस्यों का निलंबन करना बहुत पीड़ा का काम

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Chakresh
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संसद में सदस्यों के निलंबन के लिए आलोचना झेल रहे उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा सदस्यों का निलंबन करना बहुत पीड़ा का काम

जयपुर. संसद सत्र के दौरान विपक्ष के सदस्यों का निलंबन करने के मामले में विपक्ष की आलोचना का शिकार बने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आज राजस्थान विधानसभा में नए सदस्यों के प्रबोधन कार्यक्रम में कहा की सदस्यों का निलंबन करना बहुत पीड़ा का काम है। सदस्य राजनीतिक दल के आदेश को मानने के लिए विवश है लेकिन उन्हें बोलने का मौका दिया जाना चाहिए।

राजस्थान विधानसभा में इस बार चुनकर आए 73 नए सदस्यों तथा कुछ पुराने सदस्यों के लिए विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने सदन के नियमों और प्रक्रियाओं की जानकारी देने के उद्देश्य से प्रबोधन कार्यक्रम का आयोजन किया है। इस प्रबोधन कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए देश के उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने विपक्ष को विधानसभा की रीढ़ बताया और कहा कि लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिरला से जब मेरी बातचीत हुई तो उन्होंने यही बात कही कि जब भी आप आसन पर बैठे तो सबसे पहले बाईं और यानी विपक्ष की ओर देखें क्योंकि हमारे शरीर में दिल बाईं और ही होता है।

विपक्ष की अनुपस्थिति खल रही है

उन्होंने इस प्रबोधन कार्यक्रम में विपक्ष के सदस्यों की कम उपस्थिति को खेदजनक बताया और कहा कि मुझे उम्मीद थी कि प्रतिपक्ष के ज्यादा से ज्यादा सदस्य यहां मौजूद रहेंगे लेकिन ऐसा नहीं है और उनकी अनुपस्थिति मुझे खल रही है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि प्रतिपक्ष में भी प्रतिभा की कोई कमी नहीं है, लेकिन सदन एक परिवार की तरह चलेगा तो राज्य का भला होगा। सत्ता पक्ष को यह ध्यान रखना होगा कि सामने वाले जो कह रहा है वह जनता के हित की बात कर रहा है।

उन्होंने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष किसी दल का सदस्य नहीं है। उसका पहला काम है विपक्ष का ध्यान रखे। कई बार कठोर निर्णय करने पडते हैं। यदि आप अपने कर्तव्य का पालन करेेंगे तो परिणाम अच्छा ही आएगा। पक्ष सुझाव दे सकता है, लेकिन प्रतिपक्ष जो सुझाव दे, उस पर ज्यादा गहराई से काम करने की जरूरत है।

सदन नहीं चल तो फायदा सरकार को ही होता है

उपराष्ट्रपति ने सदन में प्रावधान को लेकर विपक्ष को भी नसीहत दी और कहा कि हमारी लोकतांत्रिक परंपरा संवाद की परंपरा है यहां व्यवधान का स्थान नहीं है और यह ध्यान रखना चाहिए कि यदि सदन नहीं चल रहा है तो उसका फायदा सरकार को ही होता है क्योंकि आप सरकार से सवाल नहीं पूछ पाते। सदन के पटल पर जो बात कही जाएगी वही प्रभाव डालेगी। सदन में व्यवधान और हंगामा से सुर्खियां तो बन सकती हैं लेकिन उसका असर नहीं होगा।

विधायक इतिहास बनाएं

उपराष्ट्रपति ने राजस्थान विधानसभा के विधायकों से कहा कि 1947 तक देश के अमृत काल में जो काम होगा उसकी नींव विधानसभा के विधायक ही रखेंगे, इसलिए ऐसा काम करें जो इतिहास बनाए। उन्होंने विधायकों को प्रतिपक्ष और अधिकारियों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने और उनसे बेहतर ढंग से काम लेने की सीख भी दी। उन्होंने कहा कि किसी बात की गांठ बांधना ठीक नहीं है। मेरे बारे में भी बात हुई है, लेकिन मैं उसकी गांठ नहीं बांधता।

अपने आचरण पर ध्यान दें जनता देख रही है

कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा कि विधायकों को सीखना जरूरी है। विधायक जितना अधिक समय देंगे उतना ही फायदा होगा। विधानसभा में क्षेत्र की जनता का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। सदन की कार्यवाही का सीधा प्रसारण जनता देखती है, इसलिए व्यवहार को शालीन रखें।

वहीं सीएम भजन लाल शर्मा ने कहा कि विधानसभा का समय बहुमल्य है। इस पर विचार किया जाना चाहिए। मुझे गर्व है कि हमारी विधानसभा में सभी को विचार व्यक्त करने की स्वतंत्रता है। यह सदस्यों पर निर्भर है कि कैसे काम करते हैं। यह सदन सबका है। यह सदन हमारा है।

  • विधायकों के प्रबोधन कार्यक्रम में ट्रेनिंग के बिंदु

  • प्रक्रिया और कार्य संचालन नियम, सदन में आचरण तथा संसदीय परम्पराएं विषय पर सांसद डॉ० सत्यपाल सिंह और विधान सभा के पूर्व उपाध्यक्ष राव राजेन्द्र सिंह जानकारी देंगे
  • संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल प्रश्नकाल एवं शून्यकाल के बारे बतायेंगे
  • पूर्व विधान सभा अध्यक्ष डॉ० सी० पी० जोशी संसदीय समितियां और उनके कार्यकरण पर विचार व्यक्त करेंगे
  • राज्य सभा सांसद घनश्याम तिवाडी संसदीय विशेषाधिकार और विधेयक पारण प्रक्रिया पर जानकारी देंगे
  • विधायी मामलों के विशेषज्ञ चक्षु राय बजट प्रबन्धन और कटौती प्रस्ताव पर बात रखेंगे
  • लोक सभा सांसद राजेन्द्र अग्रवाल संसदीय प्रस्ताव, स्थगन प्रस्ताव, विशेष उल्लेख के प्रस्ताव विषय पर नव निर्वाचित विधायकगणों को जानकारी देंगे

पिछली तीन विधानसभाओं में इतनी हुई बैठकें

इस प्रबोधन कार्यक्रम में विधानसभा की बैठकर ज्यादा से ज्यादा किए जाने पर भी चर्चा होगी। नए विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी कई बार यह कह चुके हैं कि उनका प्रयास रहेगा कि वर्ष में काम से कम 60 दिन सदन चले हालांकि राजस्थान विधानसभा के पिछले तीन कार्यकाल के दौरान पांच साल में औसतन सवा सौ बैठक के ही हो पाई हैं। राजस्थान में विधानसभा साल में दो बार ही बुलाई जाती है। साल की शुरुआत वाला सत्र बजट सत्र होता है इसलिए यह सबसे लंबा चलता है और इसके बाद सितंबर में फिर से एक बार सत्र बुलाया जाता है लेकिन यह 8-10 दिन से ज्यादा नहीं चल पाता है।

13वी विधानसभा

राजस्थान की 13वी विधानसभा 2008 से 2013 के बीच थी और इस दौरान प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी। इस विधानसभा में पूरे 5 साल के दौरान सिर्फ 105 दिन सदन चला

14वी विधानसभा

राजस्थान की 14वी विधानसभा 2013 से 2018 के बीच रही। इस दौरान भारतीय जनता पार्टी की सरकार रही और पांच साल में सदन की कार्रवाई 126 दिन चल पाई।

15वी विधनसभा

राजस्थान की 15वीं विधानसभा 2018 से 2023 के बीच रही और इस दौरान प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी। 5 साल के दौरान सदन की कुल 147 बैठकें हुई। 


Enlightenment program in Rajasthan Assembly Vice President Jagdeep Dhankhar CM Bhajanlal Sharma राजस्थान विधानसभा में प्रबोधन कार्यक्रम उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ सीएम भजनलाल शर्मा