इंदौर की हर दूसरी कोचिंग कर रही पीएससी के टॉपर पर दावा, हमारे यहां से हुए तैयार, टॉपर ने किया इंकार, कहीं नहीं ली फुलटाइम कोचिंग

author-image
Puneet Pandey
एडिट
New Update
इंदौर की हर दूसरी कोचिंग कर रही पीएससी के टॉपर पर दावा, हमारे यहां से हुए तैयार, टॉपर ने किया इंकार, कहीं नहीं ली फुलटाइम कोचिंग

संजय गुप्ता, INDORE. पीएससी की राज्य सेवा परीक्षा 2020 का फाइनल रिजल्ट जारी हुआ, यह साल 2018 के बाद पहली भर्ती है। यह रिजल्ट आने के बाद इंदौर की लगभग हर दूसरी कोचिंग ने दावा कर दिया कि यह टॉपर हमारे यहां से निकले हैं, इन्होंने यहां से मार्गदर्शन किया है। लेकिन द सूत्र की टीम ने इन सभी कोचिंगों के किए जा रहे दावों को देखा और फिर टॉपर्स से बात की पता चला कि यहां से फुलटाइम कोचिंग नहीं ली गई है, यह बच्चों की मेहनत ही थी, जिसके कारण वह टॉप हुए। 



पहले देखते हैं किसने किया टॉप 



पीएससी राज्य सेवा परीक्षा 2020 का फाइनल रिजल्ट नौ जून की रात को जारी हुआ। इसमें सतना में पदस्थ डीएसपी अजय गुप्ता ने टॉप किया, भोपाल की निधि भारद्वाज की रैंक दूसरी थी, इंदौर की सिमी यादव तीसरे नंबर पर रहीं और इसके बाद मनीष धनकर चौथे नंबर पर, इसके बाद क्रम से पांचवे नंबर पर अभिषेक मिश्रा, छठी रैंक अंबिकेश प्रताप सिंह, सातवीं पर ज्योति लिल्हारे, आठवी रैंक पर अर्चना मिश्रा, नौवीं रेंक पर नंदन कुमार तिवारी और दसवें नंबर पर शुभम पाटीदार रहे। यह रिजल्ट आने के दो दिन बाद कोचिंगों द्वारा विज्ञापन देना शुरू किया गया। इसमें लगभग हर दूसरी कोचिंग ने किसी ना किसी टॉपर पर अपना दावा ठोका, एक से ज्यादा टॉपर पर भी एक साथ तीन-चार कोचिंग ने ही दावा ठोक दिया कि यह उनके यहां के उम्मीदवार है।



किस-किस कोचिंग ने क्या किए दावे



- इंदौर की आकार कोचिंग ने दावा किया कि सेकंड रेंक निधि और चौथी रेंक मनीष, सातवी रैंक की ज्योति, आठवीं रेंक अर्चना उसके यहां के निकले हुए हैं। कोचिंग ने विज्ञापन का टाइटल दिया रच दिया इतिहास। हालांकि इस कोचिंग में अधिकांश शिक्षक पुराने पीएससी के उम्मीदवार रहे हैं, ऐसे में यहां के नोटस, स्टडी मटेरियल को अधिकांश उम्मीदवार उपयोग करते हैं। 

-कौटिल्य अकादमी ने अपने विज्ञापन का टैग लाइन दिया कौटिल्य परंपरा टॉपर्स परंपरा, उन्होंने टापर अजय गुप्ता के साथ ही निधि, चौथी रेंक वाले मनीष, पाचंवी रेंक के अभिषेक मिश्रा, आठवीं रेंक अर्चना मिश्रा और दसवी रैंक वाले शुभम पाटीदार सभी द्वारा यहां से मार्गदर्शन लेने का दावा किया और कहा सफलता चाहिए तो कौटिल्य आइए। 

- इसके साथ ही भंवरकुआं चौराहे पर ही स्थित चैतन्य मीना कोचिंग ने निधि, मनीष के साथ ही अंबिकेश, अर्चना और नंदन पर अपना दावा लगाया किया। 

-  वेदांत कोचिंग ने दावा आठवी रैंक अर्चना पर किया और दसवी रैंक शुभम को भी अपना उम्मीदवार बताया। इसके साथ ही सिविल जाब एकदमी ने सिमी यादव टापर पर अपना दावा किया।

-सिविल सर्विसेस एकादमी ने अंबिकेश, मनीष धनगर इनके सहित अन्य उम्मीदवारों पर अपना दावा किया। 

-भंवरकुआं क्षेत्र में महात्मा गांधी कोचिंग भी है, यह डीएसपी आशीष पटेल द्वारा अपने संघर्ष के समय स्थापित की गई है, वह और उनकी पत्नी डिप्टी कलेक्टर प्रिया वर्मा यहां बच्चों को मार्गदर्शन के लिए आते हैं। इनकी टैग लाइन भी है निरंतर टॉपर देने वाला संस्थान। हालांकि इन्होंने टॉपर हमारे होने संबंधी दावे के विज्ञापन नहीं दिए और पटेल, वर्मा के जुड़े होने से मार्गदर्शन भी मिल रहा है।  



इन दावों की सच्चाई क्या है



इन दावों की सच्चाई के लिए द सूत्र ने टॉपर अजय गुप्ता और दूसरी रैंक निधि से बात की। गुप्ता ने साफ किया कि वह किसी कोचिंग से नही पढ़े हैं, उन्होंने केवल एक कोचिंग कौटिल्य से ही मॉक इंटरव्यू किए थे। बाकी किसी से कुछ नहीं किया, सेल्फ स्टडी ही की है थी। वही निधि ने बताया कि उन्होंने आकार कोचिंग से स्टडी मटेरियल लिया है, महात्मा गांधी कोचिंग से टेस्ट सीरिज ली और कौटिल्य से मॉक इंटरव्यू लिया, इन तीनों कोचिंग में मेंटोरशिप भी मिली, सफलता में काफी सहयोग मिला, इन्होंने विज्ञापन में मुझसे पूछकर ही फोटो दिए, लेकिन इन तीन के सिवा अन्य कोचिंग से मेरा कोई वास्ता नहीं रहा।



इन शब्दों से उलझाते हैं कोचिंग वाले



कोचिंग संचालक विज्ञापन देने में सावधानी रखते हैं, वह इन टॉपर्स के फोटो छापते हुए इन्हें मार्गदर्शन देने और इनकी सफलता पर बधाई देने वाले विज्ञापन देते हैं, जैसे कि पूरी पढ़ाई और सफलता इन्हीं के चलते उम्मीदवार ने हासिल की हो। वहीं कोचिंग संचालक पीएससी की टेस्ट सीरिज कराते हैं और साथ ही इंटरव्यू के पहले मॉक इंटरव्यू भी कराते हैं। उम्मीदवार अपनी तैयारी परखने के लिए टेस्ट सीरिज लेता है और इंटरव्यू भी करता है, इसके लिए कोचिंग फार्म भरवाते हैं और इसी का फायदा कोचिंग वाले उठाते हैं, कि यह उम्मीदवार उनका है। जबकि वह रेगुलर कोचिंग करता ही नहीं हैं, केवल अपने हिसाब से ही वह किसी से नोट्स लेता है तो किसी कोचिंग के मॉक इंटरव्यू करता है। मेहनत पूरी उसी की होती है। 



भारी-भरकम फीस लेते हैं , टैक्स चोरी भी आई सामने



इन कोचिंग की फीस सवा लाख रुपए से लेकर डेढ़ लाख रुपए प्रति साल है। इसके अलावा आपको इंदौर में रहने-खाने का औसतन दस हजार रुपए प्रति माह का खर्चा अलग। एक-एक कोचिंग में सैंकड़ों बच्चे पढ़ते हैं, ऐसे में इन कोचिंग के टर्नओवर करोड़ों मे होते हैं। उधर कई बार कुछ कोचिंग पर जीएसटी विभाग के नोटिस, जांच भी हो चुकी है, क्योंकि यह जितना फीस लेते हैं वह दिखाते नहीं और जितने बच्चे पढ़ते हैं, उतने पूरे भी नहीं दिखाकर टैक्स चोरी भी करते हैं। कौटिल्य एकेडमी पर तो जीएसटी की सर्च भी हो चुकी है। यानि आपसे फीस लेने में यह कोताही नहीं करेंगे लेकिन सरकार को टैक्स भरने में जरूर चोरी करेंगे।


MPPSC एमपी पीएससी कोचिंग coaching