BHOPAL. नया साल यानी नई उमंग। नई उम्मीदें और नया उत्साह। खासतौर से मध्यप्रदेश के लिए तो ये दोहरा मौका है। नई उम्मीदें सजाने का। नई सरकार ने प्रदेश की कमान संभाली है। साथ में मोदी की गारंटी का भी मौका है। हाल ही में हुए चुनाव के बाद बीजेपी ने पूरे प्रदेश की जबरदस्त सर्जरी कर दी है। सीएम का चेहरा तो बदला ही गया है। साथ ही नए मंत्री भी कैबिनेट में शामिल हुए हैं। जो नए सिरे से अलग-अलग विभागों की जिम्मेदारी संभालेंगे।
मोहन यादव का सीनियर पर कैसे चलेगा बस
लोकसभा चुनाव को देखते हुए पूरी बीजेपी सरकार को मुस्तैद रखा गया है। जब मोहन यादव को प्रदेश की कमान सौंपी गई थी, तब जहन में तमाम सवाल थे। ये सवाल और भी ज्यादा बढ़ गए जब पार्टी के कई कद्दावर नेता उनके मंत्रिमंडल का हिस्सा बने। जिसने सवाल थे उतनी ही शंकाएं भी। हर तरफ अटकले थीं कि कैलाश विजयवर्गीय, प्रहलाद पटेल, राकेश सिंह जैसे नेताओं से कहीं ज्यादा जूनियर मोहन यादव के लिए केबिनेट चलाना कितना मुश्किल होगा। इन नेताओं के होते हुए विभागों का बंटवारा कैसे होगा। अगर अहम विभाग दिग्गज नेताओं के हाथ में होते हैं तो सीएम होते हुए भी मोहन यादव का उन पर बस कैसे चलेगा।
सीएम यादव का कद भी बरकरार है और दबदबा भी
बीजेपी ने इस खूबी के साथ प्लानिंग की है कि डॉ. मोहन यादव का कद भी बरकरार है और उनका दबदबा भी कायम रहेगा। क्योंकि अहम विभाग के कप्तान खुद मोहन यादव ही हैं। उनके पास सामान्य प्रशासन, गृह, जेल, औद्योगिक नीति और निवेश प्रोत्साहन, जनसंपर्क, नर्मदा घाटी विकास, विमानन, खनिज साधन, लोक सेवा प्रबंधन, प्रवासी भारतीय विभाग हैं। इन नामों की पूरी फेहरिस्त देखी जाए तो सारे अहम विभाग उन्हीं के पास हैं। गृह विभाग रखकर पूरी आईपीएस लॉबी को उन्होंने अपने हाथ में रखा है। औद्योगिक नीति और निवेश के जरिए वो खुद प्रदेश का औद्योगिक और आर्थिक विकास सुनिश्चित करेंगे। सामान्य प्रशासन की कमान के जरिए आईएएस अफसरों को भी वही संभाल रहे हैं। कई भारी भरकम विभाग उनके पास हैं। इसका ये कतई मतलब नहीं है कि बाकी दिग्गज नेताओं के हाथ एकदम खाली हैं।
उम्मीद है कि नगरीय प्रशासन कामों में तेजी आएगी
सांसद से या पार्टी की बड़ी जिम्मेदारी छोड़कर प्रदेश की विधानसभा में आने वाले नेताओं को भी ऐसे विभाग सौंपे गए हैं जिनसे प्रदेश की सूरत बदलने की पूरी उम्मीद है। सबसे पहले बात करते हैं कैलाश विजयवर्गीय की। कैलाश विजयवर्गीय को मिला है नगरीय विकास और आवास के साथ संसदीय कार्य मंत्री का काम। उनके जैसे दिग्गज नेता से बेहतर संसदीय कार्य मंत्री कौन हो सकता था। कैलाश विजयवर्गीय के संबंध आलाकमान से लेकर केंद्र में विभागीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी से भी काफी बेहतर है। जिसके बाद ये उम्मीद की जा सकती है कि मध्यप्रदेश में भी आवास और नगरीय प्रशासन से जुड़े कामों में तेजी आएगी। वैसे भी कैलाश विजयवर्गीय ने इंदौर के विकास की प्लानिंग में भी काफी दिलचस्पी दिखाई है। उसे पायलट मॉडल मान लें तो उम्मीद की जा सकती है कि इंदौर जैसा तो नहीं, लेकिन उसके आसपास तो प्रदेश के कुछ शहर पहुंच ही पाएंगे।
गिरिराज सिंह के पास छिंदवाड़ा सीट की जिम्मेदारी
अब बात करते हैं प्रहलाद पटेल की। बुंदेलखंड और महाकौशल दोनों जगह अपनी पैठ रखने वाले ये दिग्गज नेता केंद्र सरकार में भी लंबे समय तक रहे हैं। जमीन से जुड़े माने जाने वाले इस नेता को पंचायत और ग्रामीण विकास श्रम मंत्रालय की कमान सौंपी गई है। केंद्र में ग्रामीण विकास और पंचायती राज की जिम्मेदारी गिरिराज सिंह के पास है। खुद गिरिराज सिंह के पास छिंदवाड़ा लोकसभा सीट की जिम्मेदारी भी है। ये महज इत्तेफाक नहीं है कि जिस जगह प्रहलाद पटेल तगड़ी पैठ रखते हैं वहीं की एक सीट पर जीत दिलाने की जिम्मेदारी गिरिराज सिंह को मिली है और उन्हीं से जुड़े विभाग की कमान प्रदेश में प्रहलाद पटेल के पास है। बल्कि, ये बंटवारा भी सोचसमझ कर किया गया लगता है। दोनों के बीच की ट्यूनिंग हो सकता है छिंदवाड़ा में जीत दिला दे। ऐसा हो या न हो, लेकिन ये तो तय माना ही जा सकता है कि प्रहलाद पटेल अपने विभाग से जुड़ी केंद्र की योजनाओं का ज्यादा से ज्यादा फायदा प्रदेश का दिलवा सकेंगे।
मोहन सरकार अभी से अपने काम में तेजी ले आई है
महाकौशल से आने वाले राकेश सिंह को लोक निर्माण विभाग सौंपा गया है और राव उदय प्रताप सिंह के पास परिवहन और स्कूल शिक्षा विभाग है। इन दोनों के जरिए प्रदेश के विकास और शिक्षा के क्षेत्र में नई ऊंचाइयां छूने की पूरी कोशिश की जा सकती है। कम से कम लोकसभा चुनाव होने तक मध्यप्रदेश सरकार प्रदेश में कोई कोताही नहीं बरतेगी। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मोदी की गारंटी पूरी करने के लिए मोहन सरकार ने अभी से अपने काम में तेजी लाना शुरू कर दी है। शपथ लेने के बाद से ही वो एक्टिव मोड में नजर आए थे।
प्रदेश में मोदी की गारंटी दस प्रमुख भागों में बंटी
सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास का नारा बुलंद करते हुए उन्होंने मोदी की पहली गारंटी को तुरंत पूरा करने के लिए तेंदुपत्ता संग्राहकों को प्रति मानक बोरा चार हजार रुपये पारिश्रमिक देने का ऐलान किया। याद दिला दें मध्यप्रदेश में जारी हुए संकल्प पत्र मोदी की गारंटी 2023 में ये वादा किया गया था। सरकार के इस फैसले के बाद 35 लाख से ज्यादा तेंदुपत्ता संग्राहकों को 162 करोड़ से ज्यादा का मेहनताना मिलेगा। मध्यप्रदेश में मोदी की गारंटी दस प्रमुख भागों में बंटी है। इनमें सशक्त महिलाएं, समृद्ध किसान, आदिवासी कल्याण, अच्छी शिक्षा और सक्षम युवा सभी के लिए विकास, मजबूत बुनियादी ढांचा, स्वस्थ राज्य, प्रगतिशील अर्थव्यवस्था, औद्योगिक विकास, सुशासन और कानून व्यवस्था, सांस्कृतिक विरासत और विकसित पर्यटन शामिल हैं। सीएम ने कहा कि संकल्प पत्र के प्रभावी क्रियान्वयन की मुख्य सचिव स्तर पर नियमित निगरानी की जायेगी। इसके लिए एक अलग पोर्टल भी बनाया जाए और सूचनाओं की ऑनलाइन फीडिंग, मॉनिटरिंग और रिपोर्टिंग की व्यवस्था सुनिश्चित करना शामिल है।
मोदी फेस और नेम की लोकप्रियता कायम रहे
डॉ. मोहन यादव ने ये भी ताकीद कर दिया है कि इस में से किसी भी गारंटी को पूरा करने में कोई मुश्किल आती है तो उसे तुरंत उनकी जानकारी में दिया जाए। इस कदम के साथ मोहन सरकार ये साफ कर चुकी है कि मोदी की गारंटी को पूरा करने में सरकार बिलकुल देर नहीं करेगी। इसके अलावा लाड़ली लक्ष्मी योजना और सीखो कमाओ योजना के जरिए भी टारगेट ग्रुप पर फोकस किया जाता रहेगा। यानी कम से कम लोकसभा चुनाव तक सरकार कोई ढील बरते बगैर आगे बढ़ेगी। ताकि, मोदी फेस और नेम की लोकप्रियता कायम रहे। साथ ही लोकसभा में प्रदेश की पूरी 29 सीटें जीतने में बीजेपी कामयाब रहे।