संजय गुप्ता, INDORE. टमाटर के बाद प्याज के बढ़ते दामों को देखते हुए केंद्र सरकार ने प्याज पर 40 फीसदी निर्यात शुल्क लगा दिया है, लेकिन केंद्र के इस कदम से किसान नाराज हो गए हैं। उन्होंने इसका विरोध किया है। किसानों का कहना है कि इतने बढ़े हुए दाम जो खेरची में आ रहे हैं। वह केवल व्यापारियों के खाते में जा रहे हैं, मंडियों में किसानों को कोई भी अधिक भाव नहीं मिल रहे हैं। ऐसे में इस कदम से किसानों को आर्थिक नुकसान होगा।
किसान नेताओं का यह है कहना
केंद्र सरकार वित्त मंत्रालय भारत सरकार द्वारा राज्य पत्र जारी करके प्याज पर निर्यात शुल्क 40% लगा दिया गया है जो 31 दिसंबर 2023 तक लागू रहेगा। सरकार का कहना है कि बढ़ती हुई कीमतों को लेकर प्याज पर नियंत्रण करने के लिए निर्यात पर शुल्क लगाया गया है। वहीं संयुक्त किसान मोर्चा के नेता रामस्वरूप मंत्री और बबलू जाधव का कहना है कि मंडियों में इतने भी भाव नहीं मिल रहे थे। प्याज पर सरकार को तत्काल प्याज निर्यात शुल्क लगाने की आवश्यकता ही नहीं थी। क्योंकि मंडियों में ज्यादातर औसतन प्याज 18 से 20 रुपए किलो ही बिक रही थी। जिसमें किसानों की लागत निकल रही थी, क्योंकि ज्यादातर प्याज तो मालवा निमाड़ में बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से काफी नुकसान होने से खराब हो गई थी। वहीं बची हुई प्याज की फसल किसानों ने रोक रखी थी कि उन्हें अपनी फसल का अच्छा दाम मिलेगा परंतु केंद्र सरकार द्वारा प्याज निर्यात शुल्क 40% लगाए जाने से मंडियों में प्याज के दाम काफी कम मिलेंगे। किसानों की लागत भी नहीं निकलेगी।
मंहगाई का हवाला देकर किसानों को सस्ते भाव में बेचने का दबाव
केंद्र सरकार द्वारा महंगाई का हवाला देकर किसानों की फसलों को ओने-पौने दामों पर बेचने के लिए मजबूर कर दिया जाता है। हाल ही में अफगानिस्तान से लहसुन निर्यात करवाई गई ,गेहूं निर्यात पर रोक लगाई गई। चावल पर रोक लगाई गई और अब प्याज पर निर्यात शुल्क लगाने से किसान ठगा सा महसूस कर रहा है। किसानों में केंद्र सरकार के खिलाफ काफी आक्रोश है। संयुक्त किसान मोर्चा के नेता रामस्वरूप मंत्री और बबलू जाधव का कहना है कि तत्काल सरकार को निर्णय को बदलना चाहिए, निर्यात शुल्क हटाना चाहिए। जिससे किसानों को अपनी फसल का वाजिब दाम मिल सके, नहीं तो किसान आंदोलन के लिए मजबूर होंगे।