संजय गुप्ता, INDORE.टाउन एंड कंट्री प्लानिंग (टीएंडसीपी) के वर्तमान में भोपाल के संयुक्त संचालक और पूर्व में चार साल तक इंदौर में संयुक्त संचालक रहे एसके मुदगल उलझ गए हैं। नियमों के खिलाफ जाकर मैडीकैप्स ग्रुप के मालिक रमेशचंद्र मित्तल के डायेरक्टरशिप वाली कंपनी क्रिस्टल देवकॉन प्रालि. की टाउनशिप में संशोधन करने का आरोप उन पर लगा है। संभागायुक्त मालसिंह भयडिया ने इस कॉलोनी को लेकर लगी एक याचिका पर सुनवाई के दौरान पाया कि मुदगल ने गलत संशोधन किया है। इस पर संभागायुक्त ने अपने आर्डर में ही उनके खिलाफ अनुशासनत्मक कार्रवाई का आदेश कर दिया है। इसका प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा जा रहा है।
संभागायुक्त ने यह दिया है आदेश
नियमों की बारीक जानकार रखने वाले संभागायुक्त भायडिया ने सुनवाई में पाया कि मुदगल ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी आदेश के साल 2019 अप्रैल में लागू होने के बाद भी नियमों के परे जाकर क्रिस्टल देवकॉन का नक्शा संशोधित किया और इसमें 2019 के नियमों को ध्यान में नहीं रखा गया। यह ध्यान में नहीं रखे जाने के चलते मुदगल के खिलाफ अनुशासनत्मक कार्रवाई बनती है। इसके लिए प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा जाए।
क्या है पूरा मामला
क्रिस्टल डेवकान प्रालि जिसके डायरेक्टर रमेशचंद्र मित्तल और अनुराग पिता श्रीचंद दत्त है, इनकी देवगुराडिया में सर्वे नंबर 2/2, 3//1/10, 3/1/11, 3/1/12, 3/1/3/1, 3/1/4/3, 3/1/5, 3/1/6 व अन्य की करीब सात हेक्टेयर जमीन पर आवासीय भूखंड मंजूरी ली गई थी। यह मंजूरी नवंबर 2012 में ली गई थी, इसमें भूमाफिया नीलेश अजमेरा भी शामिल था। साल 2022 में कंपनी ने नक्शा संशोधन का आवेदन लगाया, जो जनवरी 2023 में टीएंडसीपी इंदौर ने कर दिया, तब मुदगल संयुक्त संचालका इंदौर थे, और उनके द्वारा यह किया गया। बाद में इसे लेकर टीएंडसीपी में शिकायत हुई कि जो मंजूरी जारी हुई इसमें ट्रेचिंग ग्राउंड का एरिया (500 मीटर दायरे के नियम) आ रहा है। इस शिकायत के बाद टीएंडसीपी होश में आया और शिकवा-शिकायतों के दौर के चलते टीएडंसीपी ने आखिरकार यह नक्शा संशोधन मंजूरी रोक दी। इस पर क्रिस्टल ड़ेवकॉन कंपनी ने संभागायुक्त इंदौर के पास यह अपील दायर कर दी और इसमें नक्शा मंजूरी बहाल करने की मांग की।
संभागायुक्त ने यह पाया
सुनावई के दौरान कंपनी ने तर्क दिया कि कंपनी का कोई हिस्सा ट्रेचिंग ग्राउंड एरिया में नहीं आ रहा है और टीएडंसीपी ने बिना कंपनी को सुने एकतरफा फैसला किया है। वहीं शिकायतकर्ता ने तर्क दिए कि टीएंडसीपी ने नक्शा संशोधन बिना जांच के ही कर दिया था, जिसमें देखा ही नहीं गया कि यह 500 मीटर के दायरे में आ रहा है। संभागायाक्त ने जांच और सभी रिपोर्ट में पाया कि जमीन का हिस्सा ट्रेचिंग ग्राउंड के 500 मीटर के दायरे में आ रहा है और इसे लेकर प्रदूषण बोर्ड का नियम 2019 बिल्कुल साफ लिखा गया है। इसलिए कंपनी की नक्शा बहाल की अपील निरस्त करने योग्य है। वहीं नियम होने के बाद भी मुदगल द्वारा यह संशोधन क्यों किया गया? इस पर भी सवाल खड़े होते हैं। इसके लिए उन पर अनुशासनात्मक कार्रवाई बनती है।