BHOPAL. मध्यप्रदेश में बीजेपी छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश की तरह डिप्टी सीएम वाला फॉर्मूला लागू कर सकती है। प्रदेश में भी मुख्यमंत्री के साथ दो उप मुख्यमंत्री बनाए जा सकते हैं। जानकार भी मानते हैं कि मध्यप्रदेश के मौजूदा राजनीतिक हालात को देखते हुए बीजेपी सीजी और यूपी के इस फॉर्मूले को लागू कर सकती है।
यहां बता दें एमपी में सोमवार शाम को विधायक दल की बैठक होना है और कुछ ही घंटों बाद प्रदेश में नए सीएम का फैसला हो जाएगा।
छत्तीसगढ़ भी दो डिप्टी सीएम बनाए गए
छत्तीसगढ़ में भी रविवार को बीजेपी ने सीएम के साथ दो डिप्टी सीएम बनाए हैं। इससे पहले डिप्टी सीएम फॉर्मूले के जरिए बीजेपी उत्तरप्रदेश में जातीय और सियासी समीकरणों को साधने में कामयाब हुई है। बीजेपी सूत्रों का कहना है कि एमपी में इस फॉर्मूले पर विचार-विमर्श किया जा रहा है।
सीएम के दावेदारों ये नाम प्रमुख
मध्यप्रदेश में दो केंद्रीय मंत्रियों नरेंद्र सिंह तोमर और प्रहलाद पटेल के साथ तीन सासंदों ने चुनाव जीता है। इनके साथ मौजूदा सीएम शिवराज सिंह चौहान, ज्योतिरादित्य सिंधिया और वीडी शर्मा भी दावेदारी की रेस में बताए जा रहे हैं। एक से ज्यादा दावेदार होने के चलते बीजेपी यहां भी सीएम के साथ, डिप्टी सीएम का फॉर्मूला लागू कर तालमेल बिठा सकती है। पिछले कुछ दिनों से एमपी की सत्ता में एक महिला या आदिवासी चेहरे को सीधी जिम्मेदारी देने की चर्चा चल रही है।
यूपी में मौर्य को चुनाव हारने के बाद भी बनाया डिप्टी सीएम
बीजेपी उत्तरप्रदेश में 2017 में डिप्टी सीएम का फॉर्मूला लेकर आई थी। जिसके तहत केशव प्रसाद मौर्य और दिनेश शर्मा को डिप्टी सीएम बनाया गया था। 2022 में विधानसभा जीतने के बाद फिर उत्तरप्रदेश में ये फॉर्मूला बरकरार रहा। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य चुनाव हार गए थे। बावजूद इसके उन्हें डिप्टी सीएम बनाकर ओबीसी वर्ग को साधा गया। इस बार दिनेश शर्मा की जगह सामान्य वर्ग से आने वाले ब्रजेश पाठक को डिप्टी सीएम बनाया गया।
MP में कौन बनेगा डिप्टी सीएम ?
एमपी में इस बार बीजेपी ने तीन केंद्रीय मंत्रियों समेत 8 दिग्गजों को चुनावी मैदान में उतारा था। इनमें से 6 चुनाव जीत गए। फग्गन सिंह कुलस्ते और गणेश सिंह चुनाव हार गए। अब इन 6 नेताओं के कद के हिसाब से पद देने के लिए बीजेपी डिप्टी सीएम का फॉर्मूला ला सकती है। इनमें से किसी एक नेता को ये पद दिया जा सकता है।
कांग्रेस एमपी में तीन बार डिप्टी सीएम बना चुनी है
बीजेपी ने मध्यप्रदेश में 6 बार सरकार बनाई है, लेकिन डिप्टी सीएम का फॉर्मूला लागू नहीं किया। जनसंघ की सरकार के समय जरूर इस फॉर्मूले को लागू किया गया था। कांग्रेस तीन बार डिप्टी सीएम का फॉर्मूला लागू कर चुकी है।
एमपी में कब-कब बने डिप्टी सीएम
अभी तक एमपी के इतिहास में 4 बार डिप्टी सीएम बनाए गए हैं। 1967 में वीरेंद्र कुमार सखलेचा, 1980 में शिवभानु सोलंकी, 1993 में अविभाजित मप्र में सुभाष यादव एवं प्यारेलाल कंवर , 1998 में जमुना देवी बनाए गए थे। दिग्विजय सिंह (1993) के मुख्यमंत्री कार्यकाल में दो डिप्टी सीएम कांग्रेस ने बनाए थे। पार्टी का गुटीय संतुलन बनाए रखने के लिए और इस बार संभावना है कि बीजेपी जातियों के समीकरण को साधने के लिए छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश की तर्ज पर निर्णय लेकर चौंका दे।
बन सकता है आदिवासी डिप्टी सीएम !
मप्र विधानसभा चुनाव के परिणाम बताते हैं कि बीजेपी का आदिवासियों के बीच जनाधार बढ़ा है। बीजेपी ने इस बार आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित 47 में से 24 सीटें जीती हैं। यानी पिछले चुनाव की तुलना में 8 सीटें ज्यादा। लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने इस वर्ग से विधानसभा की तुलना में ज्यादा वोट का लक्ष्य तय किया है। जानकार भी मानते हैं कि बीजेपी 2018 की भूल को नहीं दोहराना चाहेगी। जब आदिवासी वर्ग की अनदेखी बीजेपी को भारी पड़ी थी और सत्ता से बाहर हो गई थी। ऐसे में बीजेपी किसी आदिवासी को भी डिप्टी सीएम बना सकती है।
बीजेपी के सामने आदिवासी वोट बैंक साधने की चुनौती
सियासी जानकारों की मानें तो बीजेपी विधानसभा चुनाव में भले ही भारी बहुमत से सत्ता में वापसी की है, लेकिन लोकसभा चुनाव में सभी 29 सीटें जीतने के लिए उसे आदिवासी वोट बैंक को साधने की चुनौती है। ऐसे में बीजेपी आदिवासी वर्ग से किसी विधायक को डिप्टी सीएम बनाकर आगे की राह आसान करना चाहेगी।