रायपुर में व्याख्याता को दोस्त ने फोन कर इमरजेंसी बताकर 2 लाख मांगे, बाद में पता चला उसने कॉल ही नहीं किया

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The Sootr CG
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रायपुर में व्याख्याता को दोस्त ने फोन कर इमरजेंसी बताकर 2 लाख मांगे, बाद में पता चला उसने कॉल ही नहीं किया

RAIPUR. छत्तीसगढ़ समेत देशभर में ऑनलाइन ठगी करने वाले लगातार अपना तरीका बदल रहे हैं। अब ठगों ने बेहद एडवांस तकनीक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का उपयोग करना शुरू कर दिया है। इस नई टेक्नोलॉजी से रायपुर के टैगौर नगर में व्याख्याता से 2 लाख की ऑनलाइन ठगी हो गई। दरअसल, व्याख्याता को उनके साथी शिक्षक का फोन आया। उसने हूबहू आवाज में कहा कि वह कार खरीदने आया है, जिसके लिए पैसे कम पड़ गए हैं। एक परिचित के माध्यम से उनके खाते में पैसा ऑनलाइन ट्रांसफर कर दें। व्याख्याता झांसे में आ गए और अलग-अलग किश्त में पैसा जमा कर दिया। इसके बाद में पता चला उनके दोस्त ने कॉल ही नहीं किया है। उन्होंने पुलिस में शिकायत की। पुलिस ने जांच के बाद ठगी का केस दर्ज किया है। पुलिस को शक है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई तकनीक से ठगी हुई है। साथी शिक्षक के आवाज में ठगों ने फोन किया। इससे पहले जांजगीर-चापा जिले के पामगढ़ के शिक्षक गजेंद्र सिंह चौहान को साथी शिक्षक के आवाज से ठगों ने फोन किया और इमरजेंसी बताकर खाते में 25 हजार रुपए जमा करा लिए थे। 



AI की मदद से ठगी



जानकारी के अनुसार राजधानी के टैगोर नगर निवासी रमेश शर्मा महामसुंद में व्याख्याता हैं। कुछ माह पहले ही उनका बसना ट्रांसफर हुआ है। उनके पास 9 जून को बसना के साथी शिक्षक के नाम पर फोन आया। उसने कहा कि वह रायपुर आया है और कार ले रहा है, जिसके लिए पैसे कम पड़ गए हैं। रमेश शर्मा ने उनके खाते में यूपीआई के माध्यम से पैसे ट्रांसफर कर दिए। उसके बाद उनके खाते में 49 हजार, 25 हजार इस तरह एक लाख यूपीआई में जमा होने का मैसेज आया। दूसरे दिन 98 हजार जमा होने का मैसेज आया। पैसे आने के बाद व्याख्याता ने उस खाते में ट्रांसफर कर दिए जो उनके साथी शिक्षक ने बताया था। 20 दिन बाद जब वे बैंक गए तो पता चला कि उनके खाते में दो लाख कम है। उन्होंने ट्रांजेक्शन की जानकारी निकाली, तब पता चला कि उनके खाते में एक भी पैसा नहीं आया था। उल्टा खाते से पैसा यूपी के दो व्यक्ति के खाते में जमा हुआ है। उन्होंने तेलीबांधा थाना में रिपोर्ट दर्ज कराई है। बाद में ये भी पता चला कि उनके दोस्त ने कॉल ही नहीं किया है, जबकि कॉल करने वाले की आवाज बिल्कुल उनके दोस्त की तरह थी। पुलिस ने जांच के बाद ठगी का केस दर्ज कर लिया है। साइबर सेल कॉल डिटेल और खातो की जानकारी निकाल रही है।



ऐसे समझें एआई और डीपफेक



आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक तरह से बनावटी (कृत्रिम) तरीके से विकसित की गई बौद्धिक क्षमता। इस तकनीक से कंप्यूटर सिस्टम या रोबोटिक सिस्टम तैयार किया जाता है। इसे मानव मस्तिष्क की तरह ही ऑपरेट किया जाता है। इसमें डीपफेक तकनीक होती है। इसमें किसी की आवाज, फोटो या वीडियो का सैंपल लेकर उसकी क्लोनिंग कर हूबाहू बनाया जाता है। वीडियो कॉल में चेहरा और वाइस कॉल में आवाज इतनी हुबहू रहती है कि फर्क करना मुश्किल होता है।



छत्तीसगढ़ पुलिस ने जारी किया अलर्ट



देश के कई बड़े शहरों में इस तकनीक से ठगी की लगातार वारदातों को देखते हुए छत्तीसगढ़ पुलिस ने अलर्ट जारी किया है। साइबर सेल के अफसरों ने लोगों से अपील की है कि किसी के पास अनजान या नए नंबर से रिश्तेदार व परिचित के नाम से भी कॉल आए तो अलर्ट रहें। अगर वे मदद मांगते हैं तो उनकी पहले बात सुन लें। फिर जिस रिश्तेदार का कॉल आया हो उसके मोबाइल नंबर पर कॉल करें। फोन पर खुद बातें कर क्रॉस चैक करें। यानी अनजान नंबर से परिचित का भी कॉल आने पर तुरंत ही पैसा जमा न करें। छोटी सी सावधानी से साइबर ठगी से बच सकते हैं।


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