वेंकटेश कोरी, JABALPUR. मुझे मां बनना है... मातृत्व सुख पाने के लिए जेल में बंद मेरे पति को जमानत का लाभ दिया जाए जिससे मुझे संतान की प्राप्ति हो सके। यह गुहार एक महिला ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में लगाई है। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में दायर इस अनोखे मामले के बारे में सुनकर हर कोई हैरत में है। खंडवा निवासी महिला द्वारा दायर याचिका की सुनवाई करते हुए मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान जबलपुर के नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज अस्पताल के डीन के नेतृत्व में पांच विशेषज्ञों की समिति गठित की थी, इस कमेटी को यह परीक्षण करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी कि ययाचिकाकर्ता महिला गर्भधारण और प्रसव की योग्य है कि नहीं। हाई कोर्ट के निर्देश पर गठित कमेटी ने जांच परीक्षण के बाद अपनी रिपोर्ट अदालत को सौंप दी है जिसमें याचिकाकर्ता महिला की रिपोर्ट निगेटिव आई है।
राजस्थान हाई कोर्ट के न्यायिक दृष्टांत का हवाला
इस पूरे मामले में याचिकाकर्ता महिला की ओर से पैरवी कर रहे हैं वरिष्ठ अधिवक्ता बसंत डेनियल ने अदालत के सामने राजस्थान हाई कोर्ट के अलावा अन्य न्यायिक दृष्टांतों का हवाला दिया है। उन्होंने राजस्थान के नंदलाल विरुद्ध राजस्थान सरकार के प्रकरण का जिक्र करते हुए कहा है कि संतान प्राप्ति का अधिकार हर महिला का मौलिक अधिकार होता है और यदि पति के अपराधों के चलते वह जेल में है तो इसमें पत्नी का क्या दोष है?
सरकार के जवाब के बाद महिला की हुई जांच
पूरे मामले की सुनवाई के दौरान मध्य प्रदेश सरकार की ओर से अदालत में जवाब पेश किया गया कि कोई भी महिला 42 और 43 वर्ष की उम्र में आते आते उसकी संतान उत्पन्न करने की क्षमता खत्म हो जाती है, सरकार के इसी जवाब के बाद मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने मेडिकल कॉलेज के डीन की अगुवाई में पांच सदस्यीय कमेटी का गठन कर महिला के सभी टेस्ट करराने के निर्देश दिए थे। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट मध्य प्रदेश हाई कोर्ट को सौंप दी हैं जिसके बाद अब इस पूरे मामले की सुनवाई 18 दिसंबर को निर्धारित की गई है।