भ्रष्टाचार के मामले निपटाने में सरकार नहीं लेती दिलचस्पी, मप्र, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के आधे दागी अफसर हो जाते हैं बरी

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BP Shrivastava
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 भ्रष्टाचार के मामले निपटाने में सरकार नहीं लेती दिलचस्पी, मप्र, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के आधे दागी अफसर हो जाते हैं बरी

अरुण तिवारी, BHOPAL. राज्य सरकारें भले ही भ्रष्टाचार के मामलों में जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाने का दावा करती हों, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही नजर आती है। भ्रष्टाचार के मामलों में हाल ही में आई केंद्र सरकार की रिपोर्ट यही कह रही है। ये रिपोर्ट साल 2022 की है। इस रिपोर्ट के मुताबिक मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में औसतन 50 फीसदी अधिकारी-कर्मचारी भ्रष्टाचार के केस में ब-इज्जत बरी हो जाते हैं। इन मामलों की पेंडेंसी लगातार बढ़ रही है। वहीं हैरानी की बात ये भी है कि जिन पर आर्थिक गड़बड़ी के मामले दर्ज होते हैं, उन पर भी विभागीय एक्शन न के बराबर ही रहता है।

 सिलिसलेवार समझें भ्रष्टाचार की रिपोर्ट

साल 2022 में भ्रष्टाचार के मध्यप्रदेश में 294 मामले, राजस्थान में 511 मामले और छत्तीसगढ़ में 13 मामले सामने आए। लोकायुक्त या एंटीकरॅप्शन ब्यूरो ने जिन्हें रंगे हाथों पकड़ा, उनमें मप्र के 257 सरकारी नुमाइंदे हैं। इसके अलावा 17 पर बेनामी संपत्ति और 20 पर आर्थिक गड़बड़ी के मामले दर्ज किए गए। छत्तीसगढ़ में सभी 13 अधिकारी रंगे हाथों पकड़े गए। वहीं राजस्थान में 465 सरकारी लोगों को ट्रेप किया गया, 27 पर बेनामी संपत्ति और 19 पर आर्थिक गड़बड़ी के आरोप लगे।

भ्रष्टाचार को आंकड़ों से जानें

  • मध्यप्रदेश: कुल मामले - 294, रंगे हाथों पकड़े गए – 257, बेनामी संपत्ति – 17, आर्थिक गड़बड़ी – 20
  • छत्तीसगढ़: कुल मामले – 13
  • राजस्थान: कुल मामले – 511, रंगे हाथों पकड़े गए – 465, बेनामी संपत्ति – 27, आर्थिक गड़बड़ी – 19

एमपी में 81 फीसदी मामले लंबित

लंबित मामलों की संख्या, मध्यप्रदेश में यदि पिछले मामलों को भी जोड़ लिया जाए तो कुल मामले 878 हो जाते हैं। इनमें महज 18 मामलों की ही फाइनल रिपोर्ट सबमिट हो पाई है। 210 की चार्जशीट फाइल हुई हैं। इस तरह 650 केस पेंडिंग हैं यानी 81 फीसदी मामले लंबित हैं।

छत्तीसगढ़ में 95 % और राजस्थान में 94% पेंडेंसी

 छत्तीसगढ़ में पिछले मामले मिलाकर कुल 79 मामले हैं। इनमें 6 की फाइनल रिपोर्ट और 20 की चार्जशीट फाइल हुई है। पेंडेंसी 53 केस यानी 95 फीसदी है। राजस्थान में पिछले मिलाकर कुल 2349 मामले हैं। जिनमें 122 की फाइनल रिपोर्ट और 484 की चार्जशीट सबमिट की गई है। इस तरह यहां पर 1763 केस यानी 94 फीसदी पेंडेंसी है।

इस तरह भी समझें मामलों को

मप्र : कुल मामले -878, फाइनल रिपोर्ट -18, चार्जशीट - 210, लंबित - 650 यानी 81 फीसदी

छत्तीसगढ़ : कुल मामले -79, फाइनल रिपोर्ट -6, चार्जशीट - 20, लंबित - 53 यानी 95 फीसदी

राजस्थान : कुल मामले -2394, फाइनल रिपोर्ट -122, चार्जशीट0 - 484, लंबित -1763 यानी 94 फीसदी

50 फीसदी भ्रष्टाचार के मामलों में ब-इज्जत बरी

अब जानें किस तरह 50 फीसदी लोग भ्रष्टाचार के मामलों से ब-इज्जत बरी हो जाते हैं। मप्र में 2022 में सिर्फ 110 लोग दोषी साबित हुए यानी कन्विक्शन रेट 63 फीसदी रहा। मतलब साफ है कि 37 फीसदी लोग बरी हो गए। छत्तीसगढ़ में 4 दोषी हुए यानी 40 फीसदी दोषी और 60 फीसदी बरी हो गए। राजस्थान में 109 लोगों पर दोष सिद्ध हुआ यानी 51 फीसदी बाकी 49 फीसदी ने भ्रष्टाचार के दाग धो दिए।

छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा बरी हुए दागी अधिकारी

  • मध्यप्रदेश : दोषी -110 यानी 63 फीसदी, बरी - 37 फीसदी
  • छत्तीसगढ़ :  दोषी - 4 यानी 40 फीसदी, बरी - 60 फीसदी
  • राजस्थान : दोषी - 109 यानी 51 फीसदी, बरी - 49 फीसदी

इन पर सरकार की मेहरबानी

राज्य सरकारों की भ्रष्टाचार करने वालों पर खूब मेहरबानी होती है। यह हम नहीं केंद्र सरकार की रिपोर्ट ही बोल रही है। भ्रष्टाचार के मामलों में मप्र और छत्तीसगढ़ में एक पर भी विभागीय कार्यवाही नहीं हुई। वहीं राजस्थान में नाम करने के लिए महज 31 अधिकारियों पर ही कार्यवाही की गई। इस पूरे मामले में दो सवाल खड़े होते हैं। आखिर सरकार इन भ्रष्टचारियों पर मेहरबान क्यों होती है और दूसरा सवाल ये कि आखिर वो कौन सा डिटरर्जेंट है जिससे भ्रष्टाचार के दाग धुल जाते हैं।

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