मनीष गोधा, JAIPUR. राजस्थान की नई सरकार सुस्त पड़ी सरकारी मशीनरी को चुस्त करने में जुटी हुई है। इसके लिए सरकारी कार्यालयों के औचक निरीक्षण पर सबसे ज्यादा जोर दिया जा रहा है। खुद सीएम भजनलाल शर्मा, मुख्य सचिव सुधांश पंत इस काम में जुटे हुए हैं और उन्हें देख कर अब सरकार के मंत्री और अन्य विभागीय अधिकाारी भी यही करते नजर आ रहे है। इसका असर भी कुछ हद तक दिख रहा है और सरकारी कार्यालयों की सुस्ती कुछ हद तक दूर हुई है। राजस्थान में सरकार बदलने के साथ ही इस बदलाव का अहसास सबसे ज्यादा सरकारी कर्मचारी और अधिकारी महसूस कर रहे है। प्रदेश के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा 25 दिसंबर को सुबह के समय अचानक प्रदेश के सबसे बडे़ अस्पताल सवाई मानसिंह अस्पताल पहुंच गए और अस्पताल के अधीक्षक भागते-दौड़ते अस्पताल पहुंचे। इसके बाद सीएम पिछले दिनों रेलवे स्टेशन के पास स्थित थाने में पहुंच गए और हाजिरी रजिस्टर चैक कर लिया।
मुख्य सचिव के दौरों ने मचाई हलचल
इसके बाद मुख्य सचिव सुधांश पंत एक दिन अचानक सुबह साढे नौ बजे ही जयपुर विकास प्राधिकरण पहुंच गए और सीट से गायब मिली प्राधिकरण की सचिव आईएएस अधिकारी नलिनी कठोतिया तथा दो आरएएस अधिकारियों को एपीओ कर दिया।
बडे़ अधिकारियों पर गाज
सीट से गायब मिलने पर अब तक छोटे कर्मचारियेां पर तो कार्रवाई होती रही है, लेकिन सीधे एक आईएएस और दो आरएएस अधिकारियों को एपीओ किए जाने के कदम ने पूरी नौकरशाही में हलचल मचा दी। इसी सप्ताह दो दिन पहले पंत जयपुर कलेक्ट्रेट पहुंच गए और यहां भी जिन अधिकारियेां के चैंबर्स में फाइलों का ढेर मिला उनके फोटो ले लिए। एक अधिकारी ने जब यह कहा कि ड्राइवर नहीं आया, इसलिए ऑटो कर के आना पड़ा तो सीएस ने तीखे तेवरों से कहा कि सरकार पर ऐहसान थोडे़ ही किया है।
मंत्रियों में भी आया जोश
सीएम और सीएम की सक्रियता देख सरकार के मंत्रियों में भी जोश आया। शिक्षा मंत्री मदन दिलावर स्कूलों का निरीक्षण करने पहुंच गए और ना सिर्फ शिक्षकों की हाजिरी जांची, बल्कि उनके पढाने का तरीका भी देखा और बच्चों के साथ उन्हें दिया जाने वाला मिड डे मील भी चखा। इसी दिन उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा जयपुर के अंतर्राज्यीय बस स्टैंड सिंधी कैंप पहुंच गए और वहां के हालात देख कर अधिकारियों को जमकर लताड़ भी लगाई। यहां ड्राइवर कंडक्टर बिना वर्दी के नजर आए तो गंदगी का आलम भी दिखा।
अब विभागीय अधिकारी भी पहुंच रहे हैं
सरकार के मुखिया की सक्रियता को देखते हुए अब विभागों के अधिकारी भी इसी तरह के निरीक्षणों पर पहुंच रहे है। शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव नवीन जैन ने अधिकारियेां को निर्देश दे दिए हैं कि स्कूलों का निरीक्षण करें और रिपोर्ट भेजें। वे किसी भी दिन आ कर यह देखेंगे कि किसने कितने निरीक्षण किए है। जलदाय विभाग के प्रमुख सचिव समित शर्मा भी जयपुर में गांधी नगर स्थित जलदाय विभाग के कार्यालय में पहुंच गए। चिकित्सा विभाग ने भी सभी जिला चिकित्सा अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि हर सप्ताह उनके अधीन आने वाले अस्पताालों और चिकित्सालयों का निरीक्षण करें और हर सोमवार को इसकी रिपोर्ट भेजें। यह रिपोर्ट मुख्य सचिव तक भी जाएगी। इनके साथ ही प्रशासनिक सुधार विभाग की टीमें भी अब लगभग हर रोज किसी ना किसी कार्यालय में पहुंच कर उपस्थिति जांच रही है।
फाइलों के तुरंत निपटारे के निर्देश
मुख्य सचिव ने जयपुर विकास प्राधिकरण का दौरा किया था तो उन्हें सचिव के कमरे में फाइलों का ढेर मिला था और ज्यादातर पर डिस्कस करने की बात लिखी हुई थी। इसे लेकर वे काफी नाराज भी हुए थे और अब इसी को देखते हुए सभी विभागों से कहा गया है कि फाइलों का 24 घंटे में निस्तारण करें। जलदाय विभाग के एक मध्यम स्तर के अधिकारी ने बताया कि टेबिलों की दराजें तक जांची जा रही है और उपर से निर्देश हैं कि कोई भी फाइल या कागज पैंडिंग नहीं रहना चाहिए।
सिर्फ आधा घंटा लंच की छुट्टी मिलेगी
- सीएस के निर्देशों पर राजस्थान के कार्मिक विभाग ने नए सिरे से अनुशासन और समय पालन के निर्देश जारी कर दिए हैं। इनमें कहा गया है कि
- नियंत्रण अधिकारी को यह सुनिश्चित करना होगा कि सुबह साढ़े 9 बजे वे खुद और कर्मचारी ऑफिस आएं और शाम 6 बजे तक वहीं रहें।
- दोपहर डेढ़ से 2 बजे तक के लंच के अलावा कर्मचारी ऑफिस छोड़कर इधर-उधर नहीं जाएं।
- ऑफिस समय में कर्मचारी कहीं घूमता हुआ नहीं पाया जाए।
- अपने फाइल और काम का समय पर निस्तारण करेंगे।
- इन आदेशों की पालना न करने पर संबंधित कर्मी के खिलाफ होगी अनुशासनात्मक कार्रवाई।
- जिस फाइल में चर्चा किया जाना लिखा हो, उस पर उसी दिन या अगले दिन तक चर्चा करनी होगी।
- वरिष्ठ अधिकारियों को अपने विभाग के एक अनुभाग का हर माह निरीक्षण करना होगा।
कांग्रेस सरकार में बना एप आएगा काम
कर्मचारी अधिकारी कार्यालय में मौजूद रहें, इसके लिए कांग्रेस सरकार के समय एक लोकेशन बेस्ड एप बनवाया गया था। इसका उद्देश्य यह था कि कर्मचारी इसके जरिए ही उपस्थिति दर्ज करें और जीपीएस के जरिए यह सुनिश्चित हो जाए कि कर्मचारी कार्यालय में ही है। कौन कर्मचारी या अधिकारी कार्यालय में हैं, इसकी जानकाउी विभाग की वेबसाइट भी उपलब्ध करानी थी, ताकि किसी को कार्यालय आना हो तो वह देख कर आ सके कि कर्मचारी या अधिकारी कार्यालय में है या नहीं। पिछली सरकार के समय बना यह एप तब सिर्फ सामाजिक न्याय व अधिकारिता विभाग में काम में लिया गया था। अब इसे सभी विभागो के लिए लागू किया जा रहा है। सरकारी मशीनरी को चुस्त किए जाने की यह कवायद आगे भी इसी तरह असरदार बनी रहेगी या नहीं यह तो समय बताएगा, लेकिन फिलहाल तो सरकारी कर्मचारियों को महसूस हो रहा है कि सरकार बदली है।