जितेंद्र सिंह, GWALIOR. मध्यप्रदेश में 2500 रुपए में सरकारी नौकरी देने का मामला सामने आया है। 2500 रुपए देने के बाद सरकारी नौकरी का नियुक्ति पत्र लेकर अभ्यर्थी ग्वालियर के गजराराजा मेडिकल कॉलेज और माधव डिस्पेंसरी में जॉइनिंग के लिए पहुंच गए। जब अधिकारियों ने जॉइनिंग लेटर देखा तो एक बार तो वो भी हक्के-बक्के रह गए। लेकिन नियुक्ति पत्र फर्जी था, इसलिए बेचारों को मायूस होकर लौटना पड़ा। अस्पताल प्रशासन ने मामले की शिकायत पुलिस को करने के साथ-साथ वरिष्ठ अधिकारियों को भी नौकरी के नाम पर हो रहे फर्जीवाड़े के बारे में बता दिया है।
नियुक्ति पत्र पर नाम, लोगो और हस्ताक्षर हूबहू
गजराराजा मेडिकल कॉलेज का नाम, लोगो और डीन के हस्ताक्षर वाला नियुक्ति पत्र लेकर एक युवक जयारोग्य अस्पताल अधीक्षक कार्यालय पहुंचा। उसने नियुक्ति पत्र दिखाया तो अधिकारियों ने जांच करने के बाद उसे बताया कि फर्जी है। पूछताछ करने पर युवक ने बताया कि उससे नियुक्ति पत्र के बदले में 2500 रुपए की मांग की गई है। संदेह होने पर पता करने आया था। नियुक्ति पत्र पर कॉलेज का नाम, लोगो और हस्ताक्षर देकर अधिकारी भी हक्के-बक्के रह गए।
दलालों के सॉफ्ट टारगेट पर भिंड-मुरैना के बेरोजगार
शिक्षक भर्ती, पटवारी भर्ती और वन रक्षक भर्ती परीक्षा मामले में फर्जीवाड़े को लेकर भिंड, मुरैना का नाम जमकर उछला है। गजराराजा मेडिकल अधीक्षक के पास फर्जी नियुक्ति पत्र लेकर जॉइनिंग करने पहुंचे अभ्यर्थी भी भिंड और मुरैना के हैं। इससे एक बात तो साफ है कि दलाल और फर्जीवाड़ा करने वाली गैंग के सॉफ्ट टारगेट पर भिंड-मुरैना के बेरोजगार हैं, जिन्हें सरकारी नौकरी का लालच देकर शिकार बनाया जा रहा है।
अधीक्षक ने पुलिस को लिखा पत्र, सूचना जारी
जयारोग्य अस्पताल अधीक्षक डॉ. आरकेएस धाकड़ ने मामला संज्ञान में आने के पास कंपू थाना पुलिस को पत्र लिखा है, जिसमें अवगत करवाया गया है कि पिछले कुछ दिनों से अस्पताल में फर्जी नियुक्ति पत्र लेकर लोग आ रहे हैं। नियुक्ति पत्र पर मेडिकल कॉलेज का नाम, लोगो और अधिकारियों के हस्ताक्षर का उपयोग किया जा रहा है। नौकरी के नाम पर 2500 रुपए की मांग की जा रही है। इस तरह से न सिर्फ निर्दोष छात्र और उनके परिजन को वित्तीय क्षति होती है, बल्कि संस्थान का नाम भी धूमिल होता है, इसलिए उचित कार्रवाई की जाए।
वरिष्ठ अधिकारियों को भी फर्जी नियुक्ति पत्र के बारे में बताया
फर्जी नियुक्ति पत्र सामने आने, कॉलेज का नाम, लोगो और अधिकारियों के हस्ताक्षर उपयोग करने के बाद अस्पताल प्रशासन ने मामले को गंभीरता से लिया है। उन्होंने चिकित्सा शिक्षा विभाग, मेडिकल यूनिवर्सिटी, पुलिस और जिला प्रशासन को भी इस बारे में बताया है।