पूर्व सीएम का एक और फैसला पलटा, राजस्थान में अंग्रेजी छोड़ फिर हिन्दी की ओर लौटने लगे सरकारी स्कूल

author-image
Pratibha Rana
New Update
पूर्व सीएम का एक और फैसला पलटा, राजस्थान में अंग्रेजी छोड़ फिर हिन्दी की ओर लौटने लगे सरकारी स्कूल

मनीष गोधा, JAIPUR. राजस्थान में नई सरकार ने पिछली सरकार के फैसलों को बदलने के क्रम में अब पिछली सरकार के समय खोले गए अंग्रेजी सरकारी स्कूलों को फिर से हिन्दी माध्यम में बदलने का सिलसिला शुरू कर दिया है। फिलहाल दो ऐसे स्कूलों को हिन्दी माध्यम में बदलने के आदेश जारी किए गए है। बताया जा रहा है कि आने वाले समय में यह सिलसिला बना रहेगा।

स्कूल को फिर से हिन्दी माध्यम में बदलने के आदेश जारी

राजस्थान के माध्यमिक शिक्षा निदेशक आशीष मोदी ने डीडवाना-कुचामान और बीकानेर के लूणकरणसर के एक-एक स्कूल को फिर से हिन्दी माध्यम में बदलने के आदेश जारी कर दिए है। बताया जा रहा है कि यह निर्णय स्थानीय लोगों की मांग को देखते हुए किया गया है।

कांग्रेस सरकार ने किया था निर्णय

राजस्थान में पिछली कांग्रेस सरकार ने पहले चरण में प्रदेश में जिला स्तर पर एक-एक सरकारी स्कूल को अंग्रेजी माध्यम में बदलने का क्रम शुरू किया था। इसे अच्छा रेस्पांस मिला और जयपुर सहित कुछ जिलों में इन स्कूलों में प्रवेश के लिए होड नजर आने लगी। इससे उत्साहित होकर कांग्रेस ने अगले चरण में पंचायत समिति और इसके बाद नीचे पंचायत स्तर तक के स्कूलों को अंग्रेजी माध्यम में बदलना शुरू दिया, लेकिन इसके साथ ही यह कवायद सिर्फ संख्या बढ़ाने की कवायद बन कर रह गई।

संख्या बढ़ी तो स्तर गिरा

जब पंचायत समिति और पंचायत स्तर पर भी हिन्दी माध्यम स्कूलों को अंग्रेजी माध्यम में बदला जाने लगा तो इसका विरोध शुरू हो गया, क्योंकि अंग्रेजी में पढ़ाने वाले शिक्षक ही नहीं थे और जिन्हें लगाया गया, उन्हें भी ढंग से अंग्रेजी नहीं आती थी। इसके साथ ही अंग्रेजी माध्यम की किताबें लागू कर दी गई, जिन्हें बच्चे समझ ही नहीं पाते थे। नतीजा यह हुआ कि विरोध भी सामने आने लगा, लेकिन अधिकारी कुछ सुनने को तैयार ही नहीं थे।

अखिल राजस्थान विद्यालय शिक्षक संघ के अध्यक्ष रामकृष्ण अग्रवाल बताते हैं कि जयपुर शहर के ही एक स्कूल गोपालपुरा देवरी को जब जबर्दस्ती अंग्रेजी माध्यम में बदला गया तो यहां 200 बच्चे कम हो गए। वे बताते हैं कि सरकार ने शिक्षा विभाग के ब्लॉक और जिला शिक्षा अधिकारियों को अंग्रेजी माध्यम स्कूलों के लक्ष्य दे दिए थे और यही कारण था कि बिना मांग और तैयारी के हिन्दी माध्यम स्कूलों को अंग्रेजी माध्यम में बदल दिया गया। उन्होंने अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों को फिर से हिन्दी माध्यम में बदलरने का फैसले को सही बताते हुए कहा कि बच्चों को अधकचरी अंग्रेजी पढ़ाने से अच्छा है कि हिन्दी माध्यम में ही अच्छी शिक्षा दी जाए। हालांकि शिक्षकों का एक वर्ग यह भी मानता है कि जो व्यवस्था चल रही थी उसे बंद करने के बजाए बेहतर किया जाना चाहिए था। राजस्थान पंचायती राज व माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रवक्ता नारायण सिंह सिसोदिया का कहना है कि अंग्रेजी माध्यम स्कूल बंद करने के बजाए सरकार को एक ही स्कूल में दोनों माध्यम से पढ़ाई करानी चाहिए ताकि बच्चों को विकल्प मिल सके और अंग्रेजी माध्यम के शिक्षकों की पर्याप्त भर्ती करनी चाहिए ताकि बेरोजगारों को रोजगार मिल सके।

भाजपा ने पहले ही दे दिए थे संकेत

भाजपा ने चुनाव से पहले ही इन अंग्रेजी माध्यम स्कूलों का विरोध शुरू कर दिया था और उस समय यह मुद्दा चुनावों में भी नजर आया था। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी यह कहते सुने गए थे कि भाजपा के नेता खुद के बच्चों को अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में पढ़ाते है, लेकिन वे गांव के बच्चों को पिछड़ा रखना चाहते हैं, इसलिए वे अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों का विरोध कर रहे है।

नए शिक्षा मंत्री ने कहा था समीक्षाा करेंगे

चुनाव के बाद भाजपा सरकार के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने पद सम्भालते ही यह कह दिया था कि अंग्रेजी माध्यम स्कूल बिना तैयारी और शिक्षकों के खोले गए हैं, इसलिए इसकी समीक्षा की जाएगी।


सीएम भजनलाल शर्मा former CM Ashok Gehlot CM Bhajanlal Sharma राजस्थान न्यूज पूर्व सीएम अशोक गहलोत पूर्व सीएम का एक और फैसला पलटा राजस्थान की नई सरकार Rajasthan News another decision of former CM reversed New government of Rajasthan