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BHOAPL. मध्यप्रदेश में कड़ा के की ठंड के साथ मौमस लगातार करवट ले रहा है। कहीं कोहरे का कहर है तो कहीं बारिश से सर्दी बढ़ गई है। नए साल के पहले दिन से ग्वालियर-चंबल, बुंदेलखंड और भोपाल समेत अधिकांश जिले घने कोहरे के आगोश में हैं। इसे लेकर किसानों की चिंताएं ज्यादा बढ़ गईं हैं। उन्हें आशंका है कहीं इस मौसम से फसलों को नुकसान न हो जाए। यहां हम कृषि वैज्ञानिकों की सलाह भी बता रहे हैं, जिससे किसानों को फसलों की सुरक्षा में मदद मिल सकती है।
कृषि जानकारों की मानें तो मावठे से गेहूं के पौधे की ग्रोथ होगी, जबकि चना-मसूर को नुकसान हो सकता है। बारिश थमने के बाद आलू में फंगस लगने की आशंका है, तो सरसों में माहू का अटैक भी हो सकता है। ऐसे में किसानों को जरूरी उपाय करने होंगे।
जानें किस फसल को कितना फायदा-नुकसान
गेहूं : दिसंबर और जनवरी के मौसम में गेहूं की ग्रोथ होती है। इन दोनों महीने में ठंड ज्यादा रहती है। 10 डिग्री के आसपास टेम्प्रेचर है तो ग्रोथ अच्छी होती है। अभी 10 डिग्री के आसपास ही दिन-रात का तापमान है। बारिश होने से फसल के लिए मौसम और भी बेहतर हो गया है। यदि फसल फूल वाली अवस्था में है तो नुकसान की आशंका भी है।
चना, सरसों-मसूर: मावठा चना और मसूर की फसलों के लिए ठीक है। इससे इनका उत्पादन बढ़ जाता है, लेकिन कोहरा और शीतलहर से नुकसान की आशंका रहती है, क्योंकि इससे पौधे सूखने लगते हैं। इस प्रकार की शिकायतें सामने आने लगी हैं।
आलू: लगातार नमी होने और धूप नहीं मिलने से आलू समेत बड़े पत्ते वाली फसलें प्रभावित हो रही हैं। फफूंद जनित रोग हो सकते हैं और पौधे की ग्रोथ रुक जाती है। इसके लिए किसान अभी से अलर्ट रहें। कृषि वैज्ञानिकों की सलाह लेकर दवाओं का छिड़काव भी कर सकते हैं।
किसनों को सलाह
कृषि जानकारों का कहना है कि रात का टेम्प्रेचर 1 से 2 दिन तक 5 डिग्री से कम रहता है तो पाला गिरने की संभावना रहता है। इससे फसलें झुलस सकती हैं। कोल्ड-डे रहने की स्थिति में भी फसलों को नुकसान पहुंचता है। ऐसी स्थिति से बचने के लिए किसानों को खेत की मेढ़ पर धुआं करते रहना है।
बारिश थमने के बाद सरसों में माहू कीट का अटैक भी हो सकता है, इसलिए दवाओं का छिड़काव जरूरी रहेगा। इसके लिए फसलों पर निर्धारित मात्रा में सल्फर का स्प्रे कर सकते हैं।
गुना में धनिया की फसल को नुकसान
गुना में हुई बारिश से गेहूं, चना की फसलों को फायदा पहुंचेगा। जबकि धनिया की फसल को नुकसान होगा। कृषि विभाग के अधिकारी ने बताया कि इस तरह की नमी वाला मौसम गेहूं और चना की फसल के लिए लाभदायक है, लेकिन ऐसा ही मौसम कुछ दिन और रहा तो धनिया की फसल में नुकसान शुरू हो जाएगा। दूसरी ओर, किसानों का कहना है कि धनिया की फसल में नुकसान होने लगा है। धूप न निकलने से नमी वाला मौसम कीड़ों के लिए उपयुक्त होता है। धनिया की फसल में कीड़े लग सकते हैं।
सागर में मसूर, चना, प्याज की फसल प्रभावित
सागर में दो दिनों तक रुक-रुककर बारिश का दौर चला। अगर ऐसा ही मौसम रहा तो सबसे ज्यादा असर रबी सीजन की दलहनी फसलों के साथ ही आलू पर पड़ेगा। मौसम साफ होने के बाद तापमान कम होने से मटर, चना और आलू की फसलों पर पाला रोग का खतरा हो सकता है। किसान बबलू पांडे ने बताया कि कोहरा से मसूर, चना, प्याज समेत अन्य फसलें प्रभावित हो रही हैं। जिन फसलों में फूल आ गए थे, वह कोहरे और बारिश के कारण झड़ गए हैं।
बड़वानी में प्याज की फसल को नुकसान
बेमौसम बारिश से बड़वानी जिले में प्याज की फसल को नुकसान हुआ है। एक किसान ने बताया कि चार एकड़ में प्याज की फसल लगाई थी। फसल पककर तैयार थी, लेकिन बारिश होने से अब वह खेत पर ही सड़ने लगी है। अब लग रहा है कि लागत मूल्य भी निकल पाना मुश्किल है।
गेहूं की फसल के लिए बारिश अच्छी
नर्मदापुरम में हुई बारिश गेहूं की फसल के लिए अनुकूल है। किसानों को दूसरा पानी देने की जरूरत नहीं पड़ेगी। जिन किसानों ने चना फसल में पानी देने की तैयारी की थी, उनके लिए बारिश फायदेमंद है। जानकारों का कहना है कि जो किसान पानी दे चुके हैं, उनके लिए नुकसान है। चने में इल्ली लगने की आशंका है। किसानों को दवा का छिड़काव करना चाहिए। अगर ज्यादा पानी गिरता है तो चने को नुकसान हो सकता है।
देवास में आलू प्याज, लहसुन को नुकसान
देवास जिले में मावठे की बारिश गेहूं फसल के लिए लाभदायक है, लेकिन आलू और प्याज, लहसुन फसल को नुकसान की आशंका है। कुछ दिनों तक ऐसा ही मौसम रहा तो फसलों में बीमारियां लग सकती है, जिससे उत्पादन पर असर पड़ेगा।
ग्वालियर-चंबल में मावठा गिरने का इंतजार
ग्वालियर-चंबल में बारिश (मावठा) नहीं हुई है। 6 दिन से यहां लगातार आसमान में बादल मंडरा रहे हैं, लेकिन शुक्रवार शाम तक बारिश नहीं हुई है। किसानों का कहना है कि मावठा फसलों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। यह एक तरह से यह फसलों में यूरिया काम करता है। यही कारण है कि किसान मावठा का इंतजार कर रहे हैं।