जितेंद्र सिंह, GWALIOR. ग्वालियर में सम्राट मिहिर भोज पर गुर्जर और राजपूत समुदायों के दावे का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की ग्वालियर खंडपीठ में सम्राट मिहिर भोज के वंशज ने याचिका प्रस्तुत कर उनकी पहचान से छेड़छाड़ और राजनीति करने पर रोक लगाने की मांग की है। उच्च न्यायालय ने एकलपीठ ने याचिका को मिहिर भोज मामले में लंबित जनहित याचिका के साथ जोड़ने के आदेश दे दिए हैं। अब मामले की सुनवाई युगलपीठ में होगी।
वंशज बोले-पहचान बदलने का प्रयास
सम्राट मिहिर भोज के वंशज अरुणोदय सिंह परिहार ने याचिका प्रस्तुत कर कहा कि उनकी पहचान को बदलने के प्रयास किया जा रहा है। पहचान पर अतिक्रमण करने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने न्यायालय से ऐसे किसी भी प्रयास को रोक लगाए जाने की प्रार्थना की है। उन्होंने कहा कि किसी भी प्रकार की मूर्ति लगना, बोर्ड लगना, उनके नाम के अर्थ को परिवर्तित करना या वेबसाइट पर परिवर्तन के प्रयास, शैक्षणिक संस्थाओं में परिवर्तन के प्रयास किए जा रहे हैं, उन पर रोक लगाई जाए।
कमेटी ने वंशजों को सुना ही नहीं
ग्वालियर में साल 2021 में सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा को लेकर गुर्जर और क्षत्रिय समाज के बीच काफी टकराव हुआ था। मिहिर भोज पर अपनी-अपनी जाति का दावा करने वाले गुर्जर और क्षत्रियों ने काफी बवाल किया, जिसके बाद मामला ग्वालियर हाईकोर्ट पहुंचा था। हाईकोर्ट ने मामले का निराकरण करने के लिए संभागायुक्त की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की थी जिसमें इतिहासकार और प्रशासनिक अधिकारी शामिल किए थे। क्षत्रिय परिषद और दुजवीर संघ के स्थानीय प्रवक्ता शिद्ध प्रताप सिंह ने बताया कि कमेटी अन्य राज्यों में जाकर सम्राट मिहिर भोज की जाति खोज रही है। मध्यप्रदेश में रहने वाले सम्राट मिहिर भोज के वंशजों से पक्ष जानने का प्रयास ही नहीं किया। मजबूरन वंशजों को उच्च न्यायालय में आकर याचिका पेश करना पड़ी है।
हरियाणा पंजाब हाईकोर्ट ने भी मांगा जवाब
हरियाणा के कैथल में भी सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। गुर्जर और क्षत्रिय आमने-सामने आ गए हैं। इसी बीच विवाद हरियाणा-पंजाब हाईकोर्ट पहुंच गया, जिसके बाद हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार से मामले में जवाब तलब किया है।