INDORE. उज्जैन के महाकाल लोक में सप्तऋषियों की प्रतिमा गिरने के मामले में दायर जनहित याचिका पर शुक्रवार (14 जुलाई) को हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच के सामने सुनवाई हुई। सरकार के महाधिवक्ता और याचिकाकर्ता के वकील के बीच बहस के बाद बेंच ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। अब सबकी नजर इस मामले में कोर्ट की अगली कार्यवाही यानी सरकार को नोटिस जारी किया जाए या नहीं? इस पर है।
प्रशासनिक जज एसए धर्माधिकारी, जस्टिस ह्दयेश की डिविजन बेंच के समक्ष सुनवाई हुई। सरकार की तरफ से महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने पैरवी की। याचिकाकर्ता केके मिश्रा की ओर से सीनियर एडवोकेट अजय बागड़िया ने दलीलें पेश कीं। पिछली दफा भी सुनवाई हुई थी तो शासन ने इस याचिका को राजनीतिक से प्रेरित बताया था।
याचिकाकर्ता की मांग- रिटायर्ड जज से कराई जाए जांच
(कोर्ट में पक्ष-विपक्ष के बीच हुई जिरह के अंश)
महाधिवक्ता- यह याचिका हाईकोर्ट में चलने योग्य ही नहीं है। राजनीति से प्रेरित है। याचिकाकर्ता विपक्ष के नेता हैं।
याचिकाकर्ता- यह मामला धार्मिक आस्था का है। इसका राजनीति से कोई लेना-देना है।
महाधिवक्ता- मूर्ति गिरने के बाद लोकायुक्त ने स्वत:संज्ञान लेते हुए, जांच की। हाई कोर्ट में याचिका लगाकर अलग मांग की जांच कैसे की जा सकती है।
याचिकाकर्ता- लोकायुक्त का दायरा सीमित है। वह केवल करप्शन की जांच करती है। रिटायर हाईकोर्ट जज की निगरानी में तटस्थ जांच की जाना चाहिए।
महाधिवक्ता- याचिकाकर्ता कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता हैं। उन्होंने इस जानकारी को छुपाया है। अपना पूरा परिचय ही नहीं दिया। तथ्य छिपाकर याचिका दायर की है। इसे निरस्त करना चाहिए।
याचिकाकर्ता - याचिका में विस्तृत जानकारी दी गई है। और कुछ कमी लगती है तो कोर्ट समय दे हम उसे भी विस्तार से बता देंगे। देश के कई नेता इस तरह के मामलों में याचिका लगाते हैं। यह कोई नई बात नहीं है।