अब सरकार ने भी माना AG ऑफिस पुल की जमीन सरकारी, हाईकोर्ट ने सिंधिया परिवार को नोटिस जारी कर मांगा जवाब, जानें क्या है पूरा मामला

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Vikram Jain
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अब सरकार ने भी माना AG ऑफिस पुल की जमीन सरकारी, हाईकोर्ट ने सिंधिया परिवार को नोटिस जारी कर मांगा जवाब, जानें क्या है पूरा मामला

BHOPAL. एजी ऑफिस पुल की जमीन के मामले में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को बड़ा झटका लगा है। ग्वालियर हाईकोर्ट ने मामले में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के पूरे परिवार को नोटिस जारी किया हैं। मामला एजी ऑफिस के पुल की जमीन के मुआवजे का है। इस मामले में याचिका राज्य सरकार ने दायर की थी, जिसके बाद ग्वालियर की निचली अदालत ने इस मामले में राज्य सरकार से कई बार जवाब मांगा, लेकिन राज्य सरकार ने कोई जवाब पेश नहीं किया, इसके बाद निचली अदालत ने इस मामले में 17 जुलाई को राज्य सरकार से जवाब पेश करने का अधिकार छिन लिया था। सिंधिया परिवार ने इस जमीन को कमला राजे चैरिटेबल ट्रस्ट के होने का दावा करते हुए सरकार से 7 करोड़ और 12 प्रतिशत ब्याज के साथ मुआवजे की मांग की थी।





हाईकोर्ट ने निचली अदालत के आदेश पर लगाया स्टे





इस बाद निचली अदालत के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में अपील की थी, जिस पर गुरुवार (24 अगस्त) को सुनवाई हुई। मामले में सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने निचली अदालत के आदेश को स्टे कर दिया, इसके बाद सिंधिया परिवार को इस मामले में नोटिस जारी किया गया। ये नोटिस ज्योतिरादित्य सिंधिया, उनकी पत्नी प्रियदर्शनी सिंधिया, उनके बेटे महान आर्यमन और उनकी मां माधवी राजे सिंधिया को जारी किया गया है। 





सर्वे नंबर के मुताबिक यह पीडब्ल्यूडी की जमीन





हाईकोर्ट की सुनवाई के दौरान एडवोकेट अवधेश तोमर ने आवेदन लगाकर कहा कि जिस जमीन को सिंधिया परिवार कमला राजे चैरिटेबल ट्रस्ट की बता रहे हैं, उसका सर्वे नंबर 1071, 1072 और 1073 मिसिल बंदोबस्त में पीडब्ल्यूडी की जमीन लिखा गया है। मामले की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने इस मामले में सिंधिया परिवार को नोटिस जारी कर उनका जवाब मांगा है।





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क्या है मामला





सिंधिया परिवार ने 2018 में ​ग्वालियर की निचली अदालत में याचिका दायर कर कहा था कि एजी ऑफिस पूल कमला राजे चेरिटेबल ट्रस्ट की जमीन पर अतिक्रमण करके बनाया गया है। ऐसे में ट्रस्ट को जमीन का 7 करोड़ रुपए 12 प्रतिशत ब्याज के साथ मुआवजे के रुप में देना चाहिए। इस मामले में निचली कोर्ट ने सरकार से जवाब पेश करने को कहा था, लेकिन सरकार की ओर से जवाब पेश नहीं किया गया। इसी बीच एडवोकेट अवधेश तोमर ने अपने पक्षकार संकेत साहू की ओर से आवेदन पेश कर कहा कि सिंधिया परिवार को फायदा पहुंचाने के लिए सरकार जानबुझकर जवाब पेश नहीं कर रही है। 17 जुलाई को मामले की सुनवाई के बाद निचली कोर्ट ने सरकार को पक्षकार मानने से इनकार करते हुए जवाब देने का अधिकार समाप्त कर दिया था। निचली कोर्ट से अधिकार छिनने की जानकारी मिलते ही आनन-फानन में कलेक्टर ग्वालियर की ओर से सरकार का पक्ष न्यायालय में पेश किया गया, लेकिन निचली अदालत ने उसे मानने से इनकार कर दिया था। इसके बाद राज्य सरकार ने निचली अदालत के फैसले के खिलाफ याचिका दायर की, मामले की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले का स्टे करते हुए सिंधिया परिवार को नोटिस जारी कर उनसे जमीन के दावे के संबंध में जवाब तलब किया है। 





उल्लेखनीय है कि सरकार ने निचली अदालत को जो जवाब दिया था उसमें साफ किया है कि जिस जमीन पर एजी ऑफिस का पुल बना है उसके सर्वे नंबर 1071, 1072 और 1073 सरकारी हैं, ऐसे में ट्रस्ट की जमीन पर अतिक्रमण का कोई सवाल ही नहीं उठता। अब सरकार नए सिरे से हाईकोर्ट में भी अपना जवाब पेश करेगी।



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