JABALPUR. एमपी के पूर्व वित्त मंत्री राघवजी को कुकृत्य मामले में हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। हाईकोर्ट जस्टिस संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि प्रदेश की राजनीति में महत्तपूर्ण विभाग रखने वाले व्यक्ति की छवि धूमिल करने के लिए प्रतिद्वंदियों के इशारे पर FIR दर्ज करवाई है। अपराधिक कार्यवाही में स्पष्ट रूप से दुर्भावना के वाद उपस्थित है। एकलपीठ ने FIR को खारिज करने के आदेश दिए है। आपको बता दें कि राघवजी के एक पूर्व कर्मचारी ने भोपाल के हबीबगंज थाने में उनके विरुद्ध सात जुलाई, 2013 को एफआईआर दर्ज कराई थी। शिकायतकर्ता ने स्वीकार किया कि उसने एक अन्य पीड़ित की मदद से वित्तमंत्री का छिपकर वीडियो बनाया था।
ये बोले मामले की पैरवी करने वाले वकील
राघवजी मामले की पैरवी करने वाले वकील शशांक शेखर दुग्वेकर ने बताया कि एफआईआर से लेकर कहीं भी जबर्दस्ती जैसा मामला नहीं था। आरोप लगाने वाले ने कैमरा लगाने की बात भी कही थी। हमने अपनी दलील में इस बात का भी जिक्र किया था। यानी साफ था कि अगर जबर्दस्ती जैसी बात होती तो आरोप लगाने वाला भागने की कोशिश करता, जो कि नहीं हुआ। 6 सितंबर 2018 को एक ऐतिहासिक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सहमति से वयस्क समलैंगिक संबंधों को अपराध नहीं माना जाएगा। शीर्ष कोर्ट ने कहा था कि समलैंगिकता (होमोसेक्सुअलिटी) स्वाभाविक है और लोगों का इस पर कोई नियंत्रण नहीं है। शीर्ष अदालत की संविधान पीठ के इस फैसले ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की ब्रिटिश काल की धारा 377 को खत्म किया था।